ज्योतिष और वाहन सुख योग
युग परिवर्तन के साथ-साथ वाहन के अर्थ भी परिवर्तित
हो गए हैं प्राचीन समय में हाथी,घोडा, पालकी आदि
वाहन की गणना में आते थे परन्तु आज के युग में जीवन की
शैली, जीवन की आवश्कताएं ,जीवन की परिस्थितियां
परिवर्तित हो चुकी हैं और प्राचीन काल के वाहनों के
स्थान पर आधुनिक वाहनों ने ले ली है आज के युग में वाहन
ऐश्वर्य का प्रतीक ना हो कर आवश्यकता है किसी भी
जातक की जन्म-कुंडली में चतुर्थ भाव सुख ,ऐश्वर्य और
वाहन का स्थान है इसी भाव से हमें व्यक्ति विशेष की
सम्पन्नता और ऐश्वर्य का ज्ञान होता है वाहन का कारक शुक्र है यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में,
1 शुक्र चतुर्थ भाव में हो उस के भाग्य वाहन सुख होता है
2 शुक्र चतुर्थ भाव में चतुर्थ भाव के स्वामी के साथ युति कर रहा हो तो उतम वाहन का योग होता है
3 शुक्र एकादश भाव में हो तो जातक के पास अनेक वाहनों
का योग होता है
4 शुक्र नवम भाव में हो तो भी जातक के पास अनेक वाहनों योग होता है
5 शुक्र का सम्बन्ध चन्द्रमा से हो तो भी जातक के भाग्य में वाहनों का सुख होताहै
6 चतुर्थ भाव के स्वामी का सम्बन्ध चन्द्र के साथ हो तो भी जातक के भाग्य में वाहन सुख होताहै
7 चतुर्थ भाव का स्वामी केन्द्र में शुभ ग्रहों के साथ हो तो भी जातक को वाहन सुख प्राप्त होताहै
8 नवम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में हो तो वाहन सुख होता है
9 दशम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में हो तो भी वाहन सुख होताहै
10 एकादश भाव का स्वमी चतुर्थ भाव में हो तो भी वाहन सुख होताहै
11 नवम का स्वामी, दशम भाव का स्वामी, एकादश भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में युति करें तो जातक को उतम वाहनों
की प्राप्ति होती है
12 दशम भाव में कोई उच्च का ग्रह स्थित हो और उस ग्रह को लग्न का स्वामी या 14 नवम भाव का स्वामी दृष्टि डाले
तो वाहन का पूर्ण जीवन में सुख मिलता है
13 सप्तम भाव का स्वामी एकादश भाव में चन्द्र और एकादश भाव के स्वामी साथ युति या दृष्टि हो तो ऐसे जातक के पास अनेक के तरह के वाहन होते है
14 चतुर्थ भाव का स्वामी उच्च का हो और जिस राशि में वह ग्रह उच्च का हो उस राशि का स्वामी केन्द्र या त्रिकोण में हो तो ऐसे जातक के पास वाहनों का पूर्ण सुख होता है
15 द्धिवितीय भाव का स्वामी लग्न में स्थित हो,दशम भाव का स्वामी धन भाव में हो या दशम भाव का स्वामी उच्च का हो कर शुभ भाव में स्थित हो तो वाहन योग होता है ।
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