संबंधियो व् सम्बंधित कारक ग्रह
ग्रह किसी न किसी संबंधी का प्रतिनिधित्व करता है।जिन कारक ग्रहो की स्थिति जातक के अनुकूल और बलवान होती है उन संबंधियो की ओर से पूरा सुख और सहयोग मिलता है।जिन संबंधी कारक ग्रहो की स्थिति निर्बल या अशुभ होती है उन कारक संबंधी जनों की और से सुख, सहयोग नही मिल पाता, ऐसे कारक ग्रह कुंडली में अनिष्ट हो तब उन संबंधियो की ओर से जातक को परेशानिया भी हो सकती है।।
सूर्य::- सूर्य पिता, सरकारी कर्मचारी, उच्च अधिकारी, सरकार का कारक है।।
चंद्रमा::- चंद्रमा माँ का मुख्य कारक है।दादी, परदादी आदि का विचार भी चंद्र से किया जाता है।।
मंगल::- मंगल छोटे भाई, दोस्त, प्रेमी इसके आलावा जो लोग किसी लड़ाई- झगडे, या समाज में शांति व्यवस्था रखने का करते है जैसे पुलिस आदि उनका कारक भी मंगल होता है।।
बुध::- संबंधियो में यह कई संबंधियो का कारक होता है।बहन, बुआ, फूफा, मौसी, मौसा, ननिहाल पक्ष, मामा, दोस्त इन्ही सब संबंधियो की ओर से सम्बंधित संबंधियो का विचार भी बुध की स्थिति से किया जाता है।
बृहस्पति::- यह दादा, देव, ईश्वर, गुरु मतलब जीवन में जो भी इंसान हमे कुछ सीखाता है कोई सीख देता है उसका कारक गुरु है।इसके आलावा स्त्री के लिए पति का कारक है, ब्राहम्ण, ज्ञानीजनो का कारक भी यही है।।
शुक्र::- शुक्र पत्नी, प्रेमिका, अन्य कोई स्त्री का कारक शुक्र है।।यहाँ अन्य स्त्री में माँ और बहन के लिए शुक्र से विचार नही किया जायेगा।माँ के लिए कारक चंद्र और बहन के लिए बुध होगा।।
शनि::- यह चाचा, ताऊ, नोकर, अपने से नीचे स्थिति पर काम करने वाले लोग, इसके आलावा विदेशी लोग या जिनलोगों का कोई नया विदेश से कोई सम्बन्ध जुड़ता हो उनका कारक भी यही है।।
राहु::- कोई विदेशी दोस्त या विदेश से जुड़े संबंधियो का प्रतिनिधित्व राहु करता है।।
केतु::- यह भी विदेशी व्यक्ति राहु के सामान कारक तत्व का है।ननिहाल पक्ष का भी यह कही न कही प्रतिनिधित्व करता है।।
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