मारक ग्रह
मित्रों जैसा की आपको पता है की मृत्यु जीवन का अटल सत्य है जिसे बदला नही जा सकता | ज्योतिष में भी मृत्यु को खास महत्व दिया गया है लेकिन साथ ही ये हिदायत खास रूप से दी गई है की कभी भी किसी को उसकी मृत्यु का अनुमान नही बताना चाहिए | मृत्यु जो केवल उस परमपिता परमात्मा के हाथ में है और जिसके बारे में सायद ही कोई सटीक अनुमान लगा सके |इसमें गलती होने की सम्भावना बहुत रहती है इसिलिय किसी को बताकर वहम नही देना चाहिए ऐसा भी माना गया है |
कुंडली का अस्ठ्म भाव आयु भाव कहलाता है और मृत्यु से बड़ा दुःख किसे नही माना जाता इसिलिय इस भाव को सबसे पापी भाव माना गया है | आयु का निर्यण और मृत्यु किस प्रकार से होगी उसका निर्यण इसी भाव के अनुसार मुख्य रूप से किया जाता है | चूँकि ये आयु का भाव है और सप्तम भाव इससे बारवां भाव होने के कारण इसका व्यय भाव होता है यानी की आयु का छय दुसरे शब्दों में मारक भाव | तीसरा भाव अस्ठ्म से अस्ठ्म होने के कारण आंशिक रूप से आयु को दर्शाता है और उसका बारवां भाव दूसरा भाव होने से दुसरे भाव का मारक भाव की संज्ञा दी गई है इसिलिय इस भाव के मालिक और सप्तम भाव के मालिक को मारकेश भी कहा जाता है | पहला भाव हमारा शरीर को दर्शाता है और बारवा भाव शरीर के छय का इसिलिय इस भाव के मालिक को भी मारकेश माना जा सकता है |
जैसा भी आपको पता है की कोई भी ग्रह अपना फल दशा में देता है ऐसे में यदि मारक ग्रह की दशा हो और जातक का आयु खंड समाप्त हो रहा हो तो मृत्यु हो सकती है वरना शारीरक मानसिक आर्थिक दिक्कत का सामना जातक को करना पड़ता है |
मारकेश ग्रह के निर्यण के लिय पहले सप्तमेश को फिर दिवितियेश को फिर केन्द्राधिप्ती दोष से दूषित शुक्र को फिर केन्द्रेश गुरु को और अंत में व्ययेश को देखें इन में से जो भी मारक भाव में पड़े वो मारकेश होगा | यदि इनमे से कोई मारक भाव में न हो तो जो इनमे से नीच राशि का होगा वो मारक होगा यदि ये भी न हो तो अस्त ग्रह और पापी ग्रहों से युक्त मारक होगा , ये भी न हो तो शत्रु राशि में पापी ग्रह से युक्त ग्रह मारक होगा | इनमे से उपरलिखित ग्रहों में जिसमे सबसे ज्यादा गुण होंगे वो सबसे प्रबल मारक होगा | पापी ग्रह का यहाँ हम अर्थ भावेश के आधार पर पापी को लेंगे |
इसके साथ ही कुछ विद्वानों ने सप्त छिद्र बताये है जिनकी दशा में किसी की मृत्यु सम्भव हो सकती है वो है अस्ठमेष , अस्ठ्म में सिथत ग्रह , अस्ठ्म भाव को देखने वाले ग्रह , अस्ठमेष का अधिश्त्रू ग्रह , जन्म लग्न से बाइसवें द्रेश्कन का स्वामी ,चोसटवें नवमांश का स्वामी , अस्ठ्मेश के साथ ग्रह इन सातों में से जो भी सबसे अधिक जो बलवान होगा उसकी दशा में जातक की मृत्यु होती है |
शनी क्योंकि मृत्यु के कारक माने जाते है इसिलिय उनको विशेष मारकता प्रदान की गई है जब वो किसी अन्य मार्क ग्रह के साथ होंगे तो उस ग्रह की मारकता खुद ग्रहण कर लेते है |
राहू केतु जब दुसरे सातवें अस्ठ्म या फिर बारवें भाव में मारकेश के साथ या मारकेश से सप्तम भाव में हो तो मारक हो जाते है |
ये ध्यान रखे की इनको देखते समय जातक की आयु खंड अवस्य देखें यदि की जातक अल्पायु है मध्यम आयु है या दीर्घायु है | यदि किसी की दीर्घायु है और मध्यम आयु मं मारकेश की दशा आती है तो मृत्यु न होकर जातक को मृत्यु तुल्य कस्ट भोगने पड़ते है |
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