होरा कुंडली फल विचार
होरा कुंडली से जातक के पूर्व वर्ण सवभाव गुण सुख सुविधा धन संपदा और आर्थिक प्रिसिथितियों आदि का ज्ञान होता है | इसके अतिरिक्त भूमि धन संपदा मकान चल अचल सम्पति मकान आदि का पता चलता है |
प्रत्येक राशि की दो होरा होती है और एक होरा १५ अंश की होती है | विषम राशियों में १ से १५ अंश तक सूर्य की होरा और १६ से ३० अंश तक चन्द्र की होरा होती है | सम राशियों में १ से १५ अंश तक चन्द्र की और १६ से ३० अंश तक सूर्य की होरा होती है |
यदि किसी जातक का जन्म सूर्य की होरा में हुवा हो और सूर्य सिंह में ही अपने मित्रो के साथ हो यानी चन्द्र गुरु मंगल के साथ हो तो जातक उच्च विद्वान आकर्षक व्यक्तित्व वाला प्रतिभाशाली धन संपदा से युक्त धर्म परायण भाग्यवान मकान वाहन आदि से युक्त वीर साहसी होता है |
यदि सूर्य की होरा में दोनों प्रकार के ग्रह जैसे गुरु शनि राहू चन्द्र आदि हो तो जातक का परम्भिक जीवन कस्मटय होता है | कार्य व्यवसाय में काफी संघर्ष के बाद सफलता मिलती है |
यदि सूर्य की होरा में पापी ग्रह शनि राहू आदि हो तो जातक को उपरलिखित चीजों में कमी होती है धन संपदा आदि का अभाव होता है |
यदि होरा लग्न में चन्द्र की राशि हो और उसमे चन्द्र गुरु शुक्र आदि शुभ ग्रह हो तो जातक का स्वभाव सोम्य होता है जातक को अच्छी सुंदर सुशिल पत्नी मिलती है विवाह के बाद वाहन आदि का सुख मिलता है |
कर्क राशि की होरा में मंगल राहू शनि आदि पापी ग्रह हो तो जातक को इस्त्री से सुख कम मिलता है आर्थिक मानसिक परेशानी का का सामना करना पड़ता है गुप्त रोग व्यर्थ का किह्र्च आदि समस्या का सामना करना पड़ता है |
यदि दोनों प्रकार के ग्रह हो तो मिश्रित फल की प्राप्ति होती है |
एक अन्य मान्यता के अनुसार सभी पुरुष ग्रह सूर्य की होरा में और इस्त्री ग्रह चन्द्र की होरा में शुभ फल देते है |
फलकथन करते समय लगन कुंडली का विशेष रूप से साथ में अध्ययन जरुरी होता है |
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