धन और ज्योतिष
आज के समय में धन होना सबसे आवश्यक माना गया है वैसे भी पुरानी कहावत है की पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में धन माया यानी धन को प्राचीन समय से ही प्रमुखता दी गई है | आप खुद देखिये की तीजा सुख सुलक्षना नारी चोथा सुख पुत्र आज्ञाकारी पांचवां सुख राज में पासा छ टा सुख देश में वासा और सातवां सुख संतोषी जीवन यानि इन सभी मुख्य सुखों में धन के सुख को दूसरा स्थान दिया गया है |
ज्योतिष में हमारी कुंडली का दूसरा भाव धन का भाव माना गया है तो ग्यारवाँ भाव आय लाभ का तो सप्तम भाव हमारी दैनिक आमदनी का | यदि ये किसी प्रकार से दूषित हो रहे हो तो धन की समस्या रहती है | दूसरा भाव हमारी पारिवारिक धन की सिथ्ती और संचित धन की सिथ्ती दर्शाता है जब ये भाव इसका मालिक और इस भाव का कारक ग्रह सभी दूषित हो तो जातक को धन की समस्या का सामना अवस्य करना पड़ता है | इसी प्रकार यदि ११वा भाव दूषित हो तो जातक को आमदनी में समस्या का सामना करना पड़ता है | इसी प्रकार कुंडली का चोथा भाव जातक द्वारा खुद की कमाई से बनाये हुवे मकान भूमि वाहन आदि का होता है और इस भाव की कमजोरी इन सब सुखों में कुछ न कुछ कमी करती है | जैसा की उपर बताया की पहला सुख निरोगी काया यानी हमारी कुंडली का लग्न लग्नेश और पहले भाव का कारक इन सब की सिथ्ती सही हो तभी जातक इन सब सुखो को भोग सकता है | इस प्रकार यदि दुसरे ग्यारवें भाव के मालिक कुंडली में त्रिक भाव ८ ६ १२ में हो तो जातक को धन के सम्बन्ध में बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है | ऐसे में दरिद्र योग का निर्माण भी हो जाता है और जातक को धन की समस्या का सामना करना पड़ता है | कई बार इन ग्रह योगों से जातक के पास धन होते हुवे भि उनको भोग नही सकता है और मानसिक रूप से दरिद्र बना रहता है जिसमे चोथे भाव का मुख्य रूप से पीड़ित होकर भुमिका निभाना होता है |
अब समस्या आती है की धन की समस्या को कैसे दूर किया जाए | तो सबसे पहले तो हमे अपनी कुंडली में उपर लिखित भावों में से यदि कोई भाव दूषित उस से सम्बन्धित उपाय करके कुछ हद तक समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है | साथ ही कुंडली का १२व भाव हमारे व्यय का होता है और यदि ये भाव बली हो तो जातक को खर्च का अधिक सामना करना पड़ता है ये अलग बात है की इसमें यदि शुभ ग्रह हो तो शुभ कार्यों पर खर्च होता है और अशुभ ग्रह हो तो अशुभ कार्यों जैसे बिम्मारी आदि पर अधिक खर्च होता है |
अब बात आती है धन के सामान्य उपाय की जिनकी चर्चा करने के लिय है ये पोस्ट की है |
सबसे पहले तो आप अपने घर में धन या तिजोरी जहाँ रखते है वो स्थान घर के दक्षिण पश्चिम कोने में हो तो आपके लिय सबसे अच्छा रहेगा |
दूसरी मुख्य बात ये की आपक धन रखने का स्थान कभी भी खाली न होना चाहिए उसमे कुछ न कुछ रूपए अवश्य रखे यदि रूपए न हो तो बादाम आदि सूखे मेवे उस स्थान में अवश्य रखे |
जिनकी भी कुंडली में विष योग बन रहा हो उसे कभी भी लोहे की अलमारी या चमड़े से बनी हुई किसी वस्तु में अपना धन नही रखना चाहिए |
जिनकी भी कुंडली में गुरु बुद्ध का योग हो उन्हें अपने सोने के जेवर किसी हरे रंग के वस्त्र में लपेट कर रखने चाहिए |
ग्रहों के दुस्प्रभाव को दूर करने के लिय अपने भोजन में से गाय कुते और कोवे को खिलाना चाहिए { अपने प्रोशे गये भोजन में से एक हिसा अलग निकल कर रख लें }
घर में पत्नी शुक्र यानी साक्षात लक्ष्मी स्वरूप होती है अत: उसको भी खुस रखना आवश्यक है | माता चन्द्र स्वरुप होती है जो की धनदायक माने गये है अत : माँ को खुश रखे बगैर सभी सुखों की कल्पना भी नही की जा सकती |
इसी प्रकार जिनकी कुंडली में चन्द्र चोथे भाव में हो उनको दिल खोलकर खर्च करना चाहिए क्योंकि लाल किताब में ऐसा माना गया है की ऐसा आदमी जितना खर्च करता है उसकी आमदनी उतनी ही ज्यादा बढती है ।
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