Thursday, February 23, 2017

ज्योतिष ओर फल

ज्योतिष ओर फल

फल कथन करते समय देश काल परिस्थतीक का भी महत्व एक लग्न और एक लग्न की डिग्री में महत्वपूर्ण व्यक्ति का जन्म एक स्थान में कभी नहीं होता। यदि किसी दूरस्थ देश में किसी दूसरे व्यक्ति का जन्म इस समय हो भी , तो आक्षांस और देशांतर में परिवर्तन होने से उसके लग्न और लग्न की डिग्री में परिवर्तन आ जाएगा। फिर भी जब जन्म दर बहुत अधिक हो , तो या बहुत सारे बच्चे भिन्न-भिन्न जगहों पर एक ही दिन एक ही लग्न में या एक ही लग्न डिग्री में जन्म लें , तो क्या सभी के कार्यकलाप , चारित्रिक विशेशताएं , व्यवसाय , शिक्षा-दीक्षा , सुख-दुख एक जैसे ही होंगे ?
मेरी समझ से उनके कार्यकलाप , उनकी बौद्धिक तीक्ष्णता , सुख-दुख की अनुभूति , लगभग एक जैसी ही होगी। किन्तु इन जातकों की शिक्षा-दीक्षा , व्यवसाय आदि संदर्भ भौगोलिक और सामाजिक परिवेश के अनुसार भिन्न भी हो सकते हैं। यहॉ लोगों को इस बात का संशय हो सकता है कि ग्रहों की चर्चा के साथ अकस्मात् भौगोलिक सामाजिक परिवेश की चर्चा क्यो की जा रही है ? स्मरण रहे , पृथ्वी भी एक ग्रह है और इसके प्रभाव को भी इंकार नहीं किया जा सकता। आकाश के सभी ग्रहों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है , परंतु भिन्न-भिन्न युगों सत्युग , त्रेतायुग , द्वापर और कलियुग में मनुष्‍यों के भिनन-भिन्न स्वभाव की चर्चा है। मनुष्‍य ग्रह से संचालित है , तो मनुष्‍य के सामूहिक स्वभाव परिवर्तन को भी ग्रहों से ही संचालित समझा जा सकता है , जो किसी युग विशेष को ही जन्म देता है।
लेकिन सोंचने वाली बात तो यह है कि जब ग्रहों की गति , स्थिति , परिभ्रमण पथ , स्वरुप और स्वभाव आकाश में ज्यो का त्यो बना हुआ है , फिर इन युगों की विशेषताओं को किन ग्रहों से जोड़ा जाए । युग-परिवर्तन निश्चित तौर पर पृथ्वी के परिवेश के परिवर्तन का परिणाम है। पृथ्वी पर जनसंख्या का बोझ बढ़ता जाना , मनुष्‍य की सुख-सुविधाओं के लिए वैज्ञानिक अनुसंधानों का तॉता लगना , मनुष्‍य का सुविधावादी और आलसी होते चले जाना , भोगवादी संस्कृति का विकास होना , जंगल-झाड़ का साफ होते जाना , उद्योगों और मशीनों का विकास होते जाना , पर्यावरण का संकट उपस्थित होना , ये सब अन्य ग्रहों की देन नहीं। यह पृथ्वी के तल पर ही घट रही घटनाएं हैं। पृथ्वी का वायुमंडल प्रतिदिन गर्म होता जा रहा है। आकाश में ओजोन की परत कमजोर पड़ रही है , दोनो ध्रुवों के बर्फ अधिक से अधिक पिघलते जा रहे हैं , हो सकता है , पृथ्वी में किसी दिन प्रलय भी आ जाए ,इन सबमें अन्य ग्रहों का कोई प्रभाव नहीं है।
ग्रहों के प्रभाव से मनुष्‍य की चिंतनधाराएं बदलती रहती हैं , किन्तु पृथ्वी के विभिन्न भागों में रहनेवाले एक ही दिन एक ही लग्न में पैदा होनेवाले दो व्यक्तियों के बीच काफी समानता के बावजूद अपने-अपने देश की सभ्यता , संस्कृति , सामाजिक , राजनीतिक और भौगोलिक परिवेश से प्रभावित होने की भिन्नता भी रहती है। संसाधनों की भिन्नता व्यवसाय की भिन्नता का कारण बनेगी  समुद्र के किनारे रहनेवाले लोग , बड़े शहरों में रहनेवाले लोग , गॉवो में रहनेवाले संपन्न लोग और गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाले लोग अपने देशकाल के अनुसार ही व्यवसाय का चुनाव अलग-अलग ढंग से करेंगे। एक ही प्रकार के आई क्यू रखनेवाले दो व्यक्तियों की शिक्षा-दीक्षा भिन्न-भिन्न हो सकती है , किन्तु उनकी चिंतन-शैली एक जैसी ही हो  इस तरह पृथ्वी के प्रभाव के अंतर्गत आनेवाले भौगोलिक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस कारण एक ही लग्न में एक ही डिग्री में भी जन्म लेनेवाले व्यक्ति का शरीर भौगोलिक परिवेश के अनुसार गोरा या काला हो सकता है। लम्बाई में कमी-अधिकता कुछ भी हो सकती है , किन्तु स्वास्थ्य , शरीर को कमजोर या मजबूत बनानेवाली ग्रंथियॉ , शारीरिक आवश्यकताएं और शरीर से संबंधित मामलों का आत्मविश्वास एक जैसा हो सकता है। सभी के धन और परिवार विशयक चिंतन एक जैसे माने जा सकते है सभी में पुरुषार्थ-क्षमता या शक्ति को संगठित करने की क्षमता एक जैसी होगी सभी के लिए संपत्ति , स्थायित्व और संस्था से संबंधित एक ही प्रकार के दृष्टिकोण होंगे। सभी अपने बाल-बच्चों से एक जैसी लगाव और सुख प्राप्त कर सकेंगे। सभी की सूझ-बूझ एक जैसी होगी। सभी अपनी समस्याओं को हल करने में समान धैर्य और संघर्ष क्षमता का परिचय देंगे। सभी अपनी जीवनसाथी से एक जैसा ही सुख प्राप्त करेंगे। अपनी-अपनी गृहस्थी के प्रति उनका दृष्टिकोण एक जैसा ही होगा। सभी का जीवन दर्शन एक जैसा ही होगा , जीवन-शैली एक जैसी ही होगी। भाग्य , धर्म , मानवीय पक्ष के मामलों में उदारवादिता या कट्टरवादिता का एक जैसा रुख होगा। सभी के सामाजिक राजनीतिक मामलों की सफलता एक जैसी होगी। सभी का अभीष्‍ट लाभ एक जैसा होगा। सभी में खर्च करने की प्रवृत्ति एक जैसी ही होगी।
किन्तु शरीर का वजन , रंग या रुप एक जैसा नहीं होगा। संयुक्त परिवार की लंबाई , चौड़ाई एक जैसी न  वास्तव में कुंडली में बनते योग को बांच कर उसे ही 100% मानने की भूल ही इस विवाद का कारण बनती है.जातक के जीवन में इस योग को 20% उसके सामाजिक व् पारिवारिक दशा पर निर्भर होना पड़ता है.20% जातक से जुड़े रक्त सम्बन्धियों का रोल इस योग में होता है ,20% उसका स्वयं का प्रयास अर्थात कर्म यहाँ प्रभावित करने वाला कारक बनता है,बाकि का 20% हम हासिल शाश्त्रों के सुझाये उपायों(जिनमे ज्योतिष आदि सामिल हैं) द्वारा इसे प्रभावित करते हैं.तब जाकर योग का वास्तविक प्रतिशत प्राप्त होने की गणना करना बेहतर निर्णय देने में सहायक बनता है. सामान योग में जन्मा जातक अफ्रीका के जंगलों में आदिवासी कबीले का मुखिया बनता है.यही योग अमेरिका में उसे बराक ओबामा भी बना सकता है.सरकारी विभाग से धन प्राप्ति का योग एक चपरासी की कुंडली में भी विराजमान होता है व् अधिकारी की भी.अत यह सव वाते फलकथन करते समय जरुर देखना चाहिए।

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