चन्द्र शनी योग एक अंधे घोड़े की सवारी
चन्द्र शनी का योग हो उसे अँधा घोडा या दरिया में तैरता हुआ मकान कहा हुआ है |जिस प्रकार एक अंधे घोड़े पर संवार घुड़सवार को ये नही मालुम होता की उसे जाना कहा है उसी प्रकार जातक को अपने जीवन के लक्ष्य का ही पता नही चल पाता बचपन में वो सोचता है की आई ऐ अस ऑफिसर बनुगा लेकिन बन जाता है है कोई पटवारी या कोई चपड़ासी |जातक का लक्ष्य होता कुछ है और वो पहुँच कंही और जाता है | जिस प्रकार नदी में तैरते हुवे मकान की मंजिल का पता नही होता की वो कहां जाकर ठहरेगा उसी प्रकार की हालत जातक की होती है | सोचता कुछ है हो कुछ और ही जाता है | जातक का धन जा कहा रहा है ये जातक को पता ही नही चलता यानी बेहिसाब फिजूल खर्च जिसका कोई हिसाब किताब ही न हो | देखें की ये पोस्ट आप पर लागू हो रही है नही ?
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ज्योतिष में विष योग बुरे फल देने वाले योगों मेंसे एक महत्वपूर्ण योग है| चन्द्र ज्योतिष में हमारे मन का कारक है तो शनी उदासी का और इन दोनों का योग जातक को मानसिक रूप से उदास रखता है|चन्द्र को पानी माना गया है तो शनी को जहर | ऐसे में जहर पानी में मिला हुआ या दूध में जहर जैसी जिन्दगी का हाल होगा जातक का| चन्द्र जो ठंठे पानी की बाबड़ी है तो शनी अपनी काली स्याही उसमे फैला कर उसको गन्दा कर देगा| चन्द्र को धन तो शनी को खजांची माना गया है ऐसे योग में यदि जातक के पास पैसा भी होगा तो उसे अपने प्रयोग के लिय निकालना सांप के सर से मणि निकालने के समान होगा| चन्द्र शनी के योग से मन्सोई केतु बन जाता है जो की नीच का असर देता | है|
शनी की उदासी मन की शान्ति को जलाती रहती है| चन्द्र जो की चांदी का बर्तन होता है उसे शनी का साथ लोहे का बर्तन बना देता है| शनी का मकान मन को शांति देने की बजाय दुःख का ही सबब्ब बनते है| यदि जातक शनी के काम करता है तो उसे दुःख ही मिलते है| जातक की कमाई उसके यारे प्यारे ही खा जाते है| जब भी वर्षफल में चन्द्र के दुश्मन ग्रह खाना नम्बर एक में आते है जातक को धन का नुक्सान होता है| दूध जो की चन्द्र का प्रतीक है सांप जो की शनी का प्रतीक है उसके अक्स से ही जहरीला हो जाता है| चन्द्र से निकली हुई रेखा जिस कद्र दिल रेखा को पार करते हुवे शनी के बुर्ज की तरफ जायेगी इन दोनों काबुरा प्रभाव जातक पर बढ़ता जाएगा|
इन दोनों के योग का स्वरूप एक कछुवा के समान होता है ये इन दोनों के योग को दर्शाता है | जैसे की आजकल कछुवे की अंगूठी प्रचलन में है और जो लोग इसे धारण कर रहे है वो के तरह से चन्द्र शनी को एक साथ कायम कर रहे है | अब यदि कुंडली में इन दोनों का योग बुरा फल देने वाला है तो उस से इसका दुस्प्रभाव बढ़ जाएगा और यदि शुभ फल दे रहा है तो उसका शुभ फल में बढ़ोतरी होगी \ अशुभ फल में कमी के लिय इस अंगूठी का दान करना सहायक सिद्ध हो सकता है |
पहले भाव में इन दोनों का बुरा फल ही जातक को मिलता है|
जबकि दुसरे भाव में चन्द्र का घोडा काले रंग का हो जाता है | जातक को शुभ फल मिलता है| सफर से जातक को लाभ मिलता है| इस भाव के लिय यदि जातक लोगो के लिय पानी का प्रबंध करे तो उसे इस योग के दुस्प्रिणाम नही मिलते |
तीसरे भाव में इनका योग होने पर घर में तिजोरी तो होगी लेकिन धन से खाली होगी और घर में चोरी होने के योग बनेगे| ऐसे में केतु का उपाय होगा| साथ ही यदि जातक लाल फिटकड़ी यानी बुद्ध को जमीन में दबाता है तो उसका भी उसे लाभ मिलता है लेकिन ये उपाय करने से पहले बुद्ध की सिथ्ती कुंडली में देखनी आवश्यक है |
चोथे भाव में योग शुभ होगा यदि सूर्य पहले सातवें दसवें भाव में न हो| पानी से मौत होने के योग बनेगे और जातक का धन उसके बाल बच्चों के काम आएगा| लेकिन यदि जातक किसी दूसरी औरत के चक्कर में पड़ता है चाल चलन पर काबू नही रखता तो उसकी तबाही होगी| इस भाव में योग होने पर सांप का दूध पिलाना चाहिए |
.पंचम भाव में इनका योग सन्तान के लिय शुभ नही होगा| इसके लिय जातक को अपनी तिजोरी में छुहारे रखने चाहिए |
छटे भाव में दुनियादारी के तिन कुते जो कहे गये है वो जातक के लिय अशुभ होंगे{ बहन के घर भाई , नाना के घर दोयता और ससुराल में जमाई ' यदि ये तीनो यहाँ आकर बस जाते है और इनके रहमो कर्म पर पलते है तो लाल किताब में इन्हें दुनियादारी के कुते कहा है| इसिलिय इन तीनो को अपने पास रखने से बचना चाहिए |
यदि सप्तम भाव में इनका योग हो और सर रेखा पर विषर्ग : का निशान हो तो जातक की आँखों में खराबी होगी| यदि शुक्र के बुर्ज पर ये निशान हो तो स्त्री से सम्बन्धित झगड़ों में जिन्दगी बर्बाद होगी|
इन दोनों के योग अस्ठ्म भाव में हो और उम्र रेखा दो शाखी होते हुवे उसका शुक्र की बुर्ज की तरफ वाली शाख लम्बी हो दूसरी से तो मौत मात्रभूमि में होती है| जातक को सांप डसने का वाकया भी हो सकता है|
दोनों का योग नोवें भाव में धन दौलत के लिय उत्तम लेकिन चन्द्र का फल अशुभ होगा|
दसवें ग्यारवें भाव में अशुभ फल होंगे पानी के भरे हुवे कुवेंभी खुश्क हो जाते है|
बारवें भाव में इनका योग होने पर जातक धन दौलत का लालची नही होता और स्त्री सुख हल्का होता है जातक को|
चन्द्र शनीके योग वाले जातक को कोई भी कार्य पर जाते समय सामने हथियारया कुल्हाड़ा आदि मिले उस सेबचना चाहिए अशुभ फल मिलता है|
चन्द्र शनी का योग जिसकी भी कुंडली में हो उसे चमड़े की वस्तु का प्रयोग नही करना और चमड़े का पर्स तो बिलकुल भी प्रयोग नही करना चाहिए | अपना धन रखने के लिय एक लाल और काले रंग के कपड़े की थैली का पर्स प्रयोग करना चाहिए या लाल काला प्रश कपड़े का बना हुआ प्रयोग करना चाहिए | शनी के दुस्प्रभाव को कम करने के लिय 43 दिन लगातार सूर्य उदय से पूर्व कीकर के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए | जब भी चन्द्र ग्रहण हो शनी से सम्बन्धित चीजों का जल प्रवाह करे | ऐसे जातकों को एसी भैस पालने से बचना चाहिए जिसका रंग पूर्ण रूप से काला हो लेकिन माथा सफेद हो | इन दोनों में से कौन सा ग्रह जातक पर प्रबल है उसका फैसला जातक की आँखे करती है यदि आँख घोड़े के समान है तो जातक का चन्द्र अच्छा है और उस पर हावी है यदि सांप के समान आँखे है तो शनी का प्रभाव जातक पर ज्यादा है |इस योग वाले जातक को aअवैध सम्बन्ध किसी भी सुरत में नही बनाने चाहिए |
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