*बीमारी और ज्योतिष*
मनुष्य के जीवनकाल में उसका स्वास्थ्य और बीमारी इस बात पर निर्भर करती है कि दूसरे घर के ग्रह आठवें घर को बचाने में कितने सक्षम हैं। आठवें घर के ग्रह सदैव वक्र दृष्टि से दूसरे घर को देखते हैं। दूसरा घर आठवें घर का द्वार है। आठवें घर से ही रोग व मृत्यु का निर्धारण किया जाता है,साथ ही साथ दूसरे, छठे, बारहवें घर का भी विश्लेषण किया जाता है।वषर्फल में तीसरे व पांचवे घर में आने वाले ग्रह स्वास्थ्य, फिजूलखर्च, धन की प्राप्ति और मृत्यु को बताते हैं। भले ही दूसरे घर का ग्रह मृत्यु को रोकनेवाला हो फिर भी ग्यारहवे घर का ग्रह धोखा देगा और आठवां मृत्यु का कारक होगा। पांचवां घर टकराव के लिए तथा बारहवां व तीसरा घर बीमारी तथा मृत्यु के फैसले के लिए न्यायाधीश होगा। रक्त से संबंधित जो रोग हैं वे रक्त का प्रवाह असंतुलित होने या
रक्त में प्रदूषण के कारण होते हैं। रक्त से संबंधित रोग हीमोग्लोबिन कम होना, इंसोमेनिया, हाइपरटेंशन, कैंसर, ट्यूमर, हार्टअटैक, हैपेटाइटिस आदि हैं। यहां तक कि मधुमेह भी मंगल व शुक्र का संबंध असंतुलित होने के कारण होता है। जब भी किसी व्यक्ति को इन रोगों के कारण परेशानी होती है, मंगल ग्रह का सही विश्लेषण हम दो स्थिति में कर सकते हैं।कुंडली का पहला घर यानी एक नंबर राशि
में मंगल शुभ होता है और अक्सर राजयोग कारक होता है। पर वृश्चिक राशि यानी आठवीं राशि का मंगल मारक होता है अर्थात मंगल बद होता है। किसी कुंडली में मंगल के साथ, बृहस्पति या चंद्र हो तो मंगल बद नहीं होता है। शुभ मंगल शुभ फल देता है और अगर कुंडली में मंगल शुभ है और उसके साथ बृहस्पति, सूर्य अथवा चंद्र शुभ फल दे रहे हैं तो ऐसा व्यक्ति अक्सर शासक होता है। चंद्र का संबंध मन से है। चंद्र पानी भी है, इसी प्रकार यदि मंगल, चंद्र दोनों में से कोई दूषित है तो निश्चित ही मनुष्य रक्तचाप, हाइपरटेंशन से पीड़ित होगा। सूर्य, बुध की युति व दृष्टि से हो या साथ-साथ होने से वही फल देगी जो अकेला मंगल देता है और सूर्य अथवा बुध इनमें से कोई एक दूषित अथवा अशुभ है और चंद्र से संबंध हो जाता है तो निश्चित ही जातक को मानसिक तनाव,रक्तचाप अथवा हार्टअटैक होगा।इसको दूर करने के लिए कुंडली का पूर्ण विश्लेषण करें और यह देखें कि चंद्र व मंगल में से कौन सा ग्रह अशुभ फल दे रहा हैे। इसी आधार पर सूर्य, बुध की युति से मंगल बन रहा है और उसका चंद्र से संबंध हो गया है तो कहीं ने कहीं दोष होने से उपरोक्त बीमारियां मनुष्य को घेर सकती है।
ग्रह जब भ्रमण करते हुए संवेदनशील राशियों केअंगों से होकर गुजरता है तो वह उनको नुकसान पहुंचाता है।
नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को ध्यान में रखकर आप अपने
भविष्य को सुखद बना सकते हैं। वैदिक वाक्य है कि पिछले जन्म में किया हुआ पाप इस जन्म में रोग के रूप में सामने आता है।
अग्नि, पृथ्वी, जल,आकाश और वायु इन्हीं पांच तत्वों से यह नश्वर शरीर निर्मित हुआ है। यही पांच तत्व में
मेष, सिंह और धनु अग्नि तत्व
वृष,कन्या और मकर पृथ्वी तत्व
मिथुन, तुला और कुंभ वायु तत्व
कर्क, वृश्चिक और मीन जल तत्व का
प्रतिनिधित्व करते हैं।
कालपुरुष की कुंडली में मेष का स्थान मस्तक, वृष का मुख, मिथुन का कंधे और छाती तथा कर्क का हृदय पर निवास है
जबकि सिंह का उदर (पेट), कन्या का कमर, तुला का पेडू और वृश्चिक राशि का निवास लिंग प्रदेश है। धनु राशि तथा
मीन का पगतल और अंगुलियों पर वास है।बारह राशियों को बारह भाव के नाम से जाना जाता है। इन भावों के द्वारा क्रमश: शरीर, धन, भाई, माता,पुत्र, ऋण-रोग, पत्नी, आयु, धर्म, कर्म, आय और व्यय का चक्र मानव के जीवन में चलता रहता है।जो राशि शरीर के जिस अंग का प्रतिनिधित्व
करती है, उसी राशि में बैठे ग्रहों के प्रभाव के अनुसार रोग की उत्पत्ति होती है। कुंडली में बैठे ग्रहों के अनुसार किसी भी जातक के रोग के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
कोई भी ग्रह जब भ्रमण करते हुए संवेदनशील राशियों के अंगों से होकर गुजरता है तो वह उन अंगों को नुकसान पहुंचाता है। जैसे सिंह राशि में शनि और मंगल चल रहे हैं तो मीन लग्न मकर और कन्या लग्न में पैदा लोगों के लिए यह समय स्वास्थ्यव्की दृष्टि से अच्छा नहीं कहा जा सकता।
अब सिंह राशि कालपुरुष की कुंडली में हृदय, पेट (उदर) के क्षेत्र पर वास करती है तो इन लग्नों में पैदा लोगों को हृदयघात और पेट से संबंधित बीमारियों का खतरा बना रहेगा। इसी प्रकार कुंडली में यदि सूर्य के साथ पापग्रह शनि या राहु आदि बैठे हों तो जातक में विटामिन ए की कमी रहती है। साथ ही विटामिन सी की कमी रहती है जिससे आंखें और हड्डियों की बीमारी का भय रहता है। चंद्र और शुक्र के साथ जब भी पाप ग्रहों का संबंध होगा तो जलीय रोग जैसे शुगर, मूत्र विकार और स्नायुमंडल जनित बीमारियां होती है। मंगल शरीर में रक्त का स्वामी है। यदि ये नीच राशिगत, शनि और अन्य पाप ग्रहों से ग्रसित हैं तो व्यक्ति को रक्तविकार और कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं।
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