मंगल बारवां भाव
मित्रों जन्मकुंडली में १२वा भाव हमारे व्यय होस्पिटल के खर्च विदेश और शरीर के व्यय का होता है | इस भाव का मंगल जातक को मिला जुला प्रभाव देता है |
इस भाव मे मंगल किसी भी हालत में हो जातक को हिम्मत अवश्य देता है जिन्दगी में चाहे कितनी भी मुशिब्तें आये जातक की हिम्मत नही टूटती दिन के समय जातक चाहे कितनी भी तकलीफों का सामना करे लेकिन उसकी रात की नींद हराम नही होती |
लेकिन यदि जातक का मंगल नीच का इस भाव में हो तो जातक पर जूठी तोहमत भी लग जाती है |
अशुभ रूप का मंगल इस भाव में हो तो जातक के दुसमन कोई और नही उसके सगे सम्बन्धी ही होते है जिसमे उसके भाई या उसका गुरु आदि हो सकते है | मंगल अथाह शक्ति का नाम है और इस शक्ति को प्रयोग में लाना मंगल के वस् की बात नही ऐसे में जातक की यदि संगती गलत लोगों के साथ हो जाती है तो जातक को बहुत बुरा फल मिलता है या कुंडली में मंगल के साथ बुध का साथ हो तो भी जातक को शुभ फल नही मिलता है | इस भाव के अशुभ मंगल के फल को शुभ करने के लिय जातक को अपने भाई की सेवा करनी चाहेये | जो भी मित्र रिश्तेदार घर आये उन्हें मीठा दूध पिलाना चाहेये |
यहाँ का मंगल एकलव्य के सामान है जो अपना वचन पूरा करने के लिय अंगूठा अपने गुरु को दान कर देता है और शक्तिमान होते हुवे भी अपने गुरु के कारण शक्तिहीन हो जाता है | यदि इस भाव में मंगल शुभ हो तो जातक को उम्र के २८वेन साल से शुभ फल अवश्य मिलता है |
चूँकि मंगल अग्नि तत्व ग्रह है और ये भाव शैया सुख का होता है तो मंगल शैया सुख में कमी अवश्य करता है जातक को पत्नी से पूर्ण सुख कम ही मिलता है और इसका कारण ये भी है की मंगल अपनी आठवीं दृष्टी से सप्तम भाव को देखता है जो हमारी शादीशुदा जिन्दगी का होता है | मंगल अपनी चोथी दृष्टी से तीसरे भाव को देखता है और इस कारण भी मंगल भाइयों के लिय शुभ नही माना जाता है | लेकिन अपनी स्सत्विन दृष्टी रोग भाव पर होने से जातक को शत्रुओं से अवश्य बचाता हिया |
इस भाव में मंगल गुरु का योग शुभ फल ही देता है क्योंकि कालपुरुष की कुंडली में यहाँ गुरु की ही राशि आती है |
मंगल शनि का योग शुभ फल नही देता और ऐसा माना जाता है की इस योग वाले जातक को मोक्ष के लिय अभी कई जन्मों का फासला तय करना है |
मंगल शुक्र के योग में जातक को ऐश आराम की जिन्दगी पसंद करने वाला बनता है |
मंगल बुध का योग जातक को शुभ फल नही देता है | साथ ही ये योग जातक के भाइयों के लिय भी शुभ नहीं होता |
मंगल राहू के योग को यहाँ लाल किताब में शुभ माना गया है ज्राहू जातक को कोई बुरा फल नही दे पता है |
मंगल केतु या मंगल सूर्य का योग ज्यादा शुभ शुभ फल नही देता |
मित्रों शुभ से अभिप्राय यदि कोई ग्रह अपनी राशि मुल्त्रिकोंन राशि उंच की राशि या मित्र राशि में हो तो से होता है | ये केवल आंशिक विवेचना है पूर्ण फल पूरी कुंडली पर निर्भर करता है |
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