राहू और बारवां भाव
राहु वास्तव में छाया ग्रह है,यह अपने ऊपर कोई आक्षेप नही लेता है,यह एक बिन्दु की तरह से है जो जीव के उसी के रूप में आगे पीछे चलता है,कभी जीव का साथ नही छोडता है,इसके अन्दर एक अजीब सी शक्ति होती है,जब जीव का दिमाग इसके अन्दर फ़ंस जाता है तो वह जीव के साथ जो नही होना होता है वह करवा देता है। यह तीन मिनट की गति से कुंडली में प्रतिदिन की औसत चाल चलता है,इसका भरोसा नही होता है,कि सुबह यह क्या कर रहा है दोपहर को क्या करेगा और शाम होते ही यह क्या दिखाना शुरु कर देगा। राहु को ही कालपुरुष की संज्ञा दी गयी है,वह विराट रूप में सभी के सामने है उसकी सीमा अनन्त है,उसकी दूरी को कोई नाप नही सका है,केवल उसकी संज्ञा नीले रंग के रूप में अनन्त आकाश की ऊंचाइयों में देखी जा सकती है,यह केतु से हमशा विरोध में रहता है,और उसकी उल्टी दिशा का बोधक होता है,जो केतु सहायता के रूप में सामने आता है यह उसी का बल हरण करने के बाद उसकी शक्ति और बोध दोनो को बेकार करने के लिये अपनी योग्यता का प्रमाण देने से नही चूकता है। सूर्य के साथ अपनी युति बनाते ही वह पिता या पुत्र को आलसी बना देता है,जो कार्य जीवन के प्रति उन्नति देने वाले होते है वे आलस की बजह से पूरे नही हो पाते है,वह आंखो को भ्रम में डाल देता है होता कुछ है और वह दिखाना कुछ शुरु कर देता है। जातक के साथ जो भी कार्य चल रहा होता है उसके अन्दर असावधानी पैदा करने के बाद उस कार्य को बेकार करने के लिये अपनी शक्ति को देता है,पलक झपकते ही आंख की किरकिरी बनकर सडक में मिला देता है|
अब हम देखते है की बारवां भाव जो की हमारे व्यय का माना जाता है ये भाव हमारे मन में अचानक से आये हुवे ख्यालात कल्पना मोक्ष आदि का भी माना गया है | इस भाव में आया हुआ राहू जातक को कल्पनाशील बहुत बना देता है | जातक जीवन में अनेक प्रकार की योजनाये बनाता है लेकिन अंत में उन योजनाओं का नतीजा सिवाए सिर्फ के जातक को कुछ हासिल नही होता \ लाल किताब में इस भाव के राहू को शेखचिल्ली की संज्ञा दी गई है जैसे की आप सभी जानते है की शेखचिल्ली की कहानियों को हास्यापद के रूप में लिया जाता है की कैसे वो एक पैसे के बारे में सोचकर ह बड़े व्यापार और अच्छा खुशहाल परिवार की कल्पना कर लेता है लेकिन अंत में उसके सभी सपने बिखर जाते है इसी प्रकार इस भाव का राहू भी जातक के सपनों को बिखरने वाला माना गया है \ जातक सोचता तो पता नही क्या क्या है लेकिन अंत में उसे कुछ हासिल नही हो पाता है \
राहू को ज्योतिष में धुंवा ,माना गया है और धुंवा भी ऐसा धुंवा जो गीली लकडयों कन्डो आदि से बना हो और जिसे हम रोटी पकाने आदि के कुछ भी काम में नही ले सकते ये धुंवा हमारे आँखे के सामने सिवाए अँधेरा करने के अन्य कुछ काम नही आता बल्कि हमारी आँखों को ही नुक्सान पहुंचा देता है इसिलिय इस भाव का राहू जातक की आँखों की रौशनी के लिए भी उत्तम फल नही देता और जातक के मन के उपर एक तरह से भ्रम रूपी धुंवा फैला देता है जिस से जातक किसी न किसी भ्रम में जीने लग जाता है | जातक के मन में कई बार ये भी भ्रम पैदा हो जाता है की वो किसी देवी देवता को आसानी से सिद्ध कर लेगा या कोई ऐसी विद्या बहुत जल्द सिख लेगा की किसी की शक्ल देखते ही उसके बारे में सब में सब कुछ बता देगा \
इस भाव के राहू वाले जातक जीवन के सुखों का भी पूर्ण रूप से आनन्द नही ले पाते है उनके अचेतन मन में कोई न कोइ समस्या बनी रहती है जिस से वो जीवन का पूर्ण आनन्द नही ले पाते \ आप इन्हें मानसिक रूप से कमजोर कह सकते है जिस से इन्हें कोई न कोई छोटी मोटी मानसिक बिमारी भी हो जाती है \
इस भाव के राहू वाले जातक की एक ख़ास बात अवस्य होती है की वो चाहे मन से बैचेन रहे लेकिन जानबुझकर किसी अन्य का बुरा नही करता है , दूसरों का फला करने की हमेशा कोसिस करता है चाहे उसे उसकी नेकी का फल मिले या न मिले \
इस भाव का राहू खर्च के सन्दर्भ में भी अच्छा नही होता राहू को हाथी माना गया है और जातक का खर्च हाथी के समान बड़ा होता चला जाता है \
एक ख़ास बात की भाव का राहू रात के समय अलामते भी बहुत लाता है रात के समय कई बार ऐसी बातें हो जाती है जिनका कोई आधार नही होता लेकिन कुछ समय के लिए जातक को मानसिक रूप से काफी परेशान भी कर देती है \
अब बात आती है उपाय की तो इस भाव के राहू के लिय जातक को अपनी कमाई का एक हिस्सा अपनी बहन बुआ बेटी पर खर्च अवस्य करते रहना चाहिए जिस से उसे धन को बचत करने में सहायता मिलेगी और व्यर्थ के खर्च में कमी होगी साथ ही जातक को मंगल की सहायता लेनी चाहिए हमेशा चूल्हे के पास बैठकर रोटी खानी चाहिए और एक लाल रंग के कपड़े की चोकोर थैली में सौंफ बांधकर अपने सिरहाने रखनी चाहिए \ ध्यान रखे की गोचर में इस भाव में आया हुआ राहू जातक को बहुत ज्यादा कल्पनाशील बना देता है इसिलिय जब भी किसी भी जातक के इस भाव में राहू गोचर में आया हुआ हो उसे कोई न्या काम सुरुवात करने से बचना चाहिए \
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