ॐ नमो भगवते पशुपतये नमो नमो अधिपतये नमो रुद्राय ध्वस-ध्वस खड्ग रावण चल-चल,विहर-विहर,सर-सर,नृपे-नृपे, स्फोटय श्मशान भस्मानां चित्त शरीराय घंटा कपाल माला धराय व्याघ्र चर्म परिधानाय शशांकित शेखराय कृष्ण सर्प यग्योपविताय चल-चल,चलाचल-चलाचल,अनिवृत्तिक पिपलिनी हन-हन, भुत-प्रेत त्रासय-त्रासय ह्रीं मंडल मध्ये फट-फट वश्य कुरु-कुरु ------- नामधेयस्य प्रवेशय-प्रवेशय आवह प्रचंड धारासि देव-देवी-रुद्रो आपेक्षय महाविद्यारूद्रो आज्ञापयति ठः ठ: ठ: स्वाहा।
ये गुरूजी ने बताया हुआ मंत्र हे उसे बिना गुरूजी की आज्ञा नहीं करना चाहिए।
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