Sunday, February 19, 2017

कुण्डली में कौन से योग उच्च अधिकारी में सफलता दिला सकते हैं

कुण्डली में कौन से योग उच्च
अधिकारी में सफलता दिला सकते हैं .

कुण्डली में बनने वाले योग ही बताते है
कि व्यक्ति की आजीविका का क्षेत्र
क्या रहेगा. प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश
की लालसा अधिकांश लोगों में रहती है.

1) प्रशासनिक अधिकारी बनकर सफलता पाने के लिए
सूर्य, गुरु, मंगल, राहु व चन्द्र आदि ग्रह बली होने
चाहिए।
2) यदि कुण्डली में अमात्यकारक ग्रह
बली है अर्थात् स्वराशि, उच्च या वर्गोत्तम में है एवं
केन्द्र में हो या तीसरे या दसवें हो तो अत्यन्त
उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
3) अमात्यकारक ग्रह नवांश में आत्मकारक ग्रह से केन्द्र,
तीसरे या एकादशा भाव में हो तो जातक बाधा रहित
नौकरी करता है।
4) एकादशेश नौवें भाव में हो या दशमेश के साथ युत हो या दृष्ट
हो तो जातक में प्रशासनिक अधिकारी बनने
की संभावना अधिक होती है।
5) पंचम भाव में उच्च का गुरु या शुक्र हो और उस पर शुभ
ग्रहों का प्रभाव हो एवं सूर्य अच्छी स्थिति में
हो तो जातक इन दशाओं में उच्च प्रशासनिक
अधिकारी बनता है।
6) लेकिन, जब इन्हीं सूर्य के साथ मंगल मिले हैं,
तो पुलिस, सेना, इंजीनियर, अग्निशमन विभाग, कृषि कार्य,
जमीन-जायदाद, ठेकेदारी,
सर्जरी, खेल, राजनीति तथा अन्य प्रबंधन
कार्य के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा सकते हैं।
यदि इनकी युति पराक्रम भाव में दशम अथवा एकादश भाव
में हो इंजीनियरिंग, आईआईटी वैज्ञानिक
बनने के साथ-साथ अच्छे खिलाड़ी और प्रशासक बनना लगभग सुनिश्चित कर देती है।आज के प्रोफेशनल युग में इनका प्रभाव और फल चरम पर रहता है। इसलिये यह मानकर चलें कि यदि कुंडली में मंगल, सूर्य
तीसरे दसवे या ग्याहरवें भाव में हो तो अन्य ग्रहों के द्वारा बने हयु योगों को ध्यान में रखकर उपरोक्त कहे गये क्षेत्रों में अपना भाग्य आजमाना चाहिये। यदि इनके साथ बुध भी जुड़ जायें तो एजुकेशन, बैंक और
बीमा क्षेत्र में किस्मत आजमा सकते हैं। लेकिन, इसके लिये कुंडली में बुध ओर गुरु की स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत है।
7) लग्नेश और दशमेश स्वराशि या उच्च का होकर केन्द्र
या त्रिकोण में स्थित हो और गुरु उच्च या स्वराशि में हो तो जातक
प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
8) लग्न में सूर्य और बुध हो और गुरु की शुभ
दृष्टि इन पर हो तो जातक प्रशासनिक सेवा में उच्च पद प्राप्त करने
में सफल रहता है।
9) कुण्डली में नौकरी में सफलता मिलने
की संभावनाएं और अधिक हो जाती है
यदि इन कारक ग्रहों की दशाएं भी मिल
जाएं।
10) आई.ए.एस. बनने के लिये तृतीयेश, षष्ठेश,
दशमेश व एकादशेश की दशा मिलनी सोने में
सुहागा होता है अर्थात् सफलता निश्चित है !
11) दशम भाव में सर्वाष्टक वर्ग की संख्या से कम
संख्या पंचम भाव में होनी चाहिए।
ऐसा हो तो नौकरी में कैरियर अच्छा रहता है।
12) दशम में कम एवं एकादश में सर्वाष्टक वर्ग
की संख्या अधिक होनी चाहिए। यह
अन्तर जितना अधिक होता है ऐसा होने पर अल्प श्रम में अधिक
लाभ होता है।
13) तीसरे, छठे, दसवें, एकादश में सर्वाष्टक वर्ग
की संख्या बढ़ते क्रम में हो तो प्रशासनिक सेवाओं में
धन, यश एवं उन्नति तीनों एक साथ मिलते हैं! ऐसे
अधिकारी की सभी प्रशंसा करते
हैं !
14) प्रशासनिक अधिकारी मे चयन के लिये सूर्य, गुरु,
मंगल, राहु व चन्द्र आदि ग्रह बलिष्ठ होने चाहिए. मंगल से
व्यक्ति में साहस, पराक्रम व जोश आता है.
जो प्रतियोगीताओं में सफलता की प्राप्ति के
लिये अत्यन्त आवश्यक है.
15) भाव एकादश का स्वामी नवम घर में हो या दशम
भाव के स्वामी से युति या दृ्ष्ट हो तो व्यक्ति के
प्रशासनिक अधिकारी बनने
की संभावना बनती है.
16) पंचम भाव में उच्च का गुरु या शुक्र होने पर उसपर शुभ
ग्रहों का प्रभाव हो तथा सूर्य
भी अच्छी स्थिति में
हो तो व्यक्ति इन्ही ग्रहों की दशाओं में
उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनता है.
17) लग्नेश और दशमेश स्वग्रही या उच्च के होकर
केन्द्र या त्रिकोण में हो और गुरु उच्च
का या स्वग्रही हो तो भी व्यक्ति क
अधिकारी बनने की प्रबल
संभावना होती है.
18) कुण्डली के केन्द्र में विशेषकर लग्न में सूर्य,
और बुध हों और गुरु की शुभ दृ्ष्टि इन पर
हो तो जातक प्रशासनिक सेवा में उच्च पद प्राप्त करने में सफल
रहता है।

प्रशासनिक अधिकारी बनने के लिये ज्योतिष योग
(Astrology Yoga for Administrative Officer Carrer)

1. उच्च शिक्षा के योग
आई. ए. एस. जैसे उच्च पद की प्राप्ति के लिये
व्यक्ति की कुण्डली में शिक्षा का स्तर
अच्छा होना चाहिए. शिक्षा के लिये शिक्षा के
भाव दूसरा, चतुर्थ भाव, पंचम भाव व नवम भाव
को देखा जाता है. इन भाव/भावेशों के बली होने पर
व्यक्ति की शिक्षा उतम मानी जाती है. शिक्षा से
जुडे ग्रह है बुध, गुरु व मंगल इसके अतिरिक्त
शिक्षा को विशिष्ट बनाने वाले योग भी व्यक्ति की सफलता का मार्ग खोलते है. शिक्षा के अच्छे होने से व्यक्ति नौकरी की परीक्षा में बैठने के लिये योग्यता आती है.

2. आवश्यक भाव: छठा, पहला व दशम घर
किसी भी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा में सफलता के
लिये लग्न, षष्टम, तथा दशम भावो/
भावेशों का शक्तिशाली होना तथा इनमे पारस्परिक
संबन्ध होना आवश्यक है. ये भाव/ भावेश जितने समर्थ
होगें और उनमें पारस्परिक सम्बन्ध जितने गहरे होगें
उतनी ही उंचाई तक व्यक्ति अपनी नौकरी में
जा सकेगा.इसके अतिरिक्त सफलता के लिये पूरी तौर से समर्पण तथा एकाग्र मेहनत की आवश्यकता होती है. इन सब गुणौ का बोध तीसरा घर कराता है. जिससे पराक्रम के
घर के नाम से जाना जाता है. तीसरा भाव इसलिये
भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योकी यह दशम घर से छठा घर है.
इस घर से व्यवसाय के शत्रु देखे जाते है.
इसके बली होने से व्यक्ति में व्यवसाय के शत्रुओं से लडने
की क्षमता आती है. यह घर उर्जा देता है. जिससे
सफलता की उंचाईयों को छूना संभव हो पाता है.

3. आवश्यक ग्रह
कुण्डली के सभी ग्रहों में सूर्य
को राजा की उपाधि दी गई है. तथा गुरु को ज्ञान
का कारक कहा गया है. ये दो ग्रह मुख्य रुप से
प्रशासनिक प्रतियोगिताओं में सफलता और उच्च पद
प्राप्ति मे सहायक ग्रह माना जाता है. एसे
अधिकारियों के लिये जिनका कार्य मुख्य रुप से
जनता की सेवा करना है.
उनके लिये शनि का महत्व अधिक हो जाता है.
क्योकि शनि जनता व प्रशासनिक अधिकारियों के
बीच के सेतू है. कई प्रशासनिक अधिकारी नौकरी करते
समय भी लेखन को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने
में सफल हुए है. यह मंगल व बुध की कृपा के बिना संभव
नहीं है. मंगल को स्याही व बुध को कलम
कहा जाता है.
प्रशासनिक अधिकारी मे चयन के लिये सूर्य, गुरु, मंगल,
राहु व चन्द्र आदि ग्रह बलिष्ठ होने चाहिए. मंगल से व्यक्ति में साहस, पराक्रम व जोश आता है. जो प्रतियोगीताओं में
सफलता की प्राप्ति के लिये अत्यन्त आवश्यक है.

4. अमात्यकारक ग्रह की भूमिका
प्रशासनिक अधिकारी के पद की प्राप्ति के लिये
अमात्यकारक ग्रह बडी भूमिका निभाता है. अगर
किसी कुण्डली में अमात्यकारक बली है. (स्वग्रही,
उच्च के, वर्गोतम) आदि स्थिति में हों. तथा केन्द्र में है.
इसके अतिरिक्त बलशाली अमात्यकारक तीसरे व एकादश घरों में होने पर
व्यक्ति को अपने जीवन काल में काफी उंचाई तक जाने
का मौका मिलता है.
इस स्थिति में व्यक्ति को एसे काम करने के अवसर
मिलते है. जिनमें वह आनन्द का अनुभव कर पाता है.
अमात्यकारक नवाशं में आत्मकारक से केन्द्र
अथवा तीसरे या एकादश भाव में
हो तो व्यक्ति को सुन्दर व बाधा रहित
नौकरी मिलती है. इसलिये अमात्यकारक की नवाशं में
स्थिति भी देखी जाती है.

5. दशायें
व्यक्ति की कुण्डली में नौकरी में सफलता मिलने
की संभावनाएं अधिक है. और दशा भी उन्ही ग्रहों से
संबन्धित मिल जाये तो सफलता अवश्य मिलती है.
व्यक्ति को आई.ए.एस. बनने के लिये दशम, छठे, तीसरे व
लग्न भाव/भावेशों की दशा मिलनी अच्छी होगी.

6 अन्य योग
क) भाव एकादश का स्वामी नवम घर में हो या दशम
भाव के स्वामी से युति या दृ्ष्ट हो तो व्यक्ति के
प्रशासनिक अधिकारी बनने की संभावना बनती है.
ख) पंचम भाव में उच्च का गुरु या शुक्र होने पर उसपर शुभ
ग्रहों का प्रभाव हो तथा सूर्य भी अच्छी स्थिति में
हो तो व्यक्ति इन्ही ग्रहों की दशाओं में उच्च
प्रशासनिक अधिकारी बनता है.
ग) लग्नेश और दशमेश स्वग्रही या उच्च के होकर केन्द्र
या त्रिकोण में हो और गुरु उच्च
का या स्वग्रही हो तो भी व्यक्ति की प्रशासनिक
अधिकारी बनने की प्रबल संभावना होती है.
घ) कुण्डली के केन्द्र में विशेषकर लग्न में सूर्य, और बुध
हों और गुरु की शुभ दृ्ष्टि इन पर हो तो जातक
प्रशासनिक सेवा में उच्च पद प्राप्त करने में सफल
रहता है।

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