Tuesday, February 7, 2017

अशोक का पेड़ प्रतीक है सकारात्मक उर्जा का

*वास्तु शास्त्र के अनुसार अशोक का पेड़ प्रतीक है सकारात्मक उर्जा का*

अशोक का वास्तु में प्रयोगः- अशोक का वृक्ष घर में उत्तर दिशा में लगाना चाहिए।जिससे गृह में सकारात्मक ऊर्जा का संचारण बना रहता है। घर में अशोक के वृक्ष होने से सुख, शन्ति एवं समृद्धि बनी रहती है एंव अकाल मृत्यु नहीं होती है। परिवार की महिलाओं को शारीरिक व मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। यदि महिलायें अशोक के वृक्ष पर प्रतिदिन जल अर्पित करती रहे तो उनकी इच्छायें एवं वैवाहिक जीवन में सुखद वातावरण बना रहता है। जो छात्र पढ़ते बहुत है। परन्तु कुछ समय बाद वह सब भूल जाते है। वह लोग अशोक की छाल तथा ब्रहमी समान मात्रा में सुखाकर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह शाम एक गिलास हल्के गर्म दूध के साथ सेवन करने से शीर्घ ही लाभ मिलेगा।
अशोक पेड़ के अन्य प्रयोग
- 1-जो जातक निरन्तर व्यवसाय में हानि उठा रहे एवं उनका व्यवसाय बन्द होने की कगार पर है। वह जातक निम्न प्रयोग करके लाभ प्राप्त कर सकते है। अशोक वृक्ष के बीजों को प्राप्त कर उन्हें स्वच्छ करके धूप व अगरबत्ती दे। आंखें बन्द करके अपनी समस्या से मुक्ति देने की प्रार्थना करें तदांतर इन बीजों में से एक बीज को किसी ताबीज में भरकर अपने गले में धारण कर लें। शेष बीजों को धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार को करना अति उत्तम रहेंगा।
2- किसी भी शुभ मुर्हूत में अशोक के पेड़ की जड़ को पूर्व निमन्त्रण देकर निकाल लायें। उस समय आप मौन रहें। घर में लाकर इसे गंगा जल से शुद्ध करके तिजोरी या धन रखने के स्थान रखें। इस प्रकार का उपाय करने से उस घर में धन की स्थिति पहले की अपेक्षा काफी सुदृढ़ हो जाती है।
3- अशोक वृक्ष के फलों को मंगलवार के दिन हनुमान जी को अर्पित करने से मंगल ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है।
4- यदि किसी कन्या का विवाह नहीं हो रहा है। और परिवार के लोग काफी चिन्तित एवं परेशान है। वह लोग यह उपाय कर सकते है। अशोक वृक्ष की जड़ तथा पत्ते प्राप्त कर,उस कन्या के स्नान करने वाले जल में डाल दें। तत्पश्चात उस जल में कान्या स्नान करें। ध्यान रखें कि पत्ते व जड़ जल से बाहर न गिरे। स्नान करने के पश्चात इन पत्तों को परिवार का कोई भी सदस्य पीपल वृक्ष के डाल डाल दे। यह प्रयोग कम से कम 41 दिन तक अवश्य करें। यह उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से ही प्रारम्भ करें। ऐसा करने से शीघ्र ही उस कन्या का विवाह निश्चित हो जायेगा।

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