*वैदिक ज्योतिष में बुध*
वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को मुख्य रूप से वाणी और बुद्धि का कारक माना जाता है। इसलिए बुध के प्रबल प्रभाव वाले जातक आम तौर पर बहुत बुद्धिमान होते हैं तथा उनका अपनी वाणी पर बहुत अच्छा नियंत्रण होता है जिसके चलते वे अपनी बुद्धि तथा वाणी कौशल के बल पर मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना लेने में सक्षम होते हैं। ऐसे जातकों की वाणी तथा व्यवहार आम तौर पर अवसर के अनुकूल ही होता है जिसके कारण ये अपने जीवन में बहुत लाभ प्राप्त करते हैं। किसी भी व्यक्ति से अपनी बुद्धि तथा वाणी के बल पर अपना काम निकलवा लेना ऐसे लोगों की विशेषता होती है तथा किसी प्रकार की बातचीत, बहस या वाक प्रतियोगिता में इनसे जीत पाना अत्यंत कठिन होता है। आम तौर पर ऐसे लोग सामने वाले की शारीरिक मुद्रा तथा मनोस्थिति का सही आंकलन कर लेने के कारण उसके द्वारा पूछे जाने वाले संभावित प्रश्नों के बारे में पहले से ही अनुमान लगा लेते हैं तथा इसी कारण सामने वाले व्यक्ति के प्रश्न पूछते ही ये उसका उत्तर तुरंत दे देते हैं। इसलिए ऐसे लोगों से बातचीत में पार पाना किसी साधारण व्यक्ति के बस की बात नहीं होती तथा ऐसे जातक अपने वाणी कौशल तथा बुद्धि के बल पर आसानी से सच को झूठ तथा झूठ को सच साबित कर देने में भी सक्षम होते हैं।
अपनी इन्हीं विशेषताओं के चलते बुध आम तौर पर उन्हीं क्षेत्रों तथा उनसे जुड़े लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनमें सफलता प्राप्त करने के लिए चतुर वाणी, तेज गणना तथा बुद्धि कौशल की आवश्यकता दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक होती है जैसे कि वकील, पत्रकार, वित्तिय सलाहकार तथा अन्य प्रकार के सलाहकार, अनुसंधान तथा विश्लेषणात्मक क्षेत्रों से जुड़े व्यक्ति, मार्किटिंग क्षेत्र से जुड़े लोग, व्यापार जगत से जुड़े लोग, मध्यस्थता करके मुनाफा कमाने वाले लोग, अकाउंटेंट, साफ्टवेयर इंजीनियर, राजनीतिज्ञ, राजनयिक, अध्यापक, लेखक, ज्योतिषि तथा ऐसे ही अन्य व्यवसाय तथा उनसे जुड़े लोग। इस प्रकार यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि आज के इस व्यसायिक जगत में बुध ग्रह के प्रभाव वाले जातक ही सबसे अधिक सफल पाये जाते हैं।
बुध को ज्योतिष की गणनाओं के लिए ज्योतिषियों का एक वर्ग तटस्थ अथवा नपुंसक ग्रह मानता है जबकि ज्योतिषियों का दूसरा वर्ग इन्हें स्त्री ग्रह मानता है। मनुष्य के शरीर में बुध मुख्य रूप से वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। कन्या राशि में स्थित होने से बुध सर्वाधिक बलशाली हो जाते हैं जो कि इनकी अपनी राशि है तथा इस राशि में स्थित होने पर बुध को उच्च का बुध भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त मिथुन राशि में स्थित होने से भी बुध को अतिरिक्त बल प्राप्त होता है तथा यह राशि भी बुध की अपनी राशि है। कुंडली में बुध का प्रबल प्रभाव होने पर कुंडली धारक सामान्यतया बहुत व्यवहार कुशल होता है तथा कठिन से कठिन अथवा उलझे से उलझे मामलों को भी कूटनीति से ही सुलझाने में विश्वास रखता है। ऐसे जातक बड़े शांत स्वभाव के होते हैं तथा प्रत्येक मामले को सुलझाने में अपनी चतुराई से ही काम लेते हैं तथा इसी कारण ऐसे जातक अपने सांसारिक जीवन में बड़े सफल होते हैं जिसके कारण कई बार इनके आस-पास के लोग इन्हें स्वार्थी तथा पैसे के पीछे भागने वाले भी कह देते हैं किन्तु ऐसे जातक अपनी धुन के बहुत पक्के होते हैं तथा लोगों की कही बातों पर विचार न करके अपने काम में ही लगे रहते हैं।
बुध मीन राशि मे स्थित होने पर बलहीन हो जाते हैं और इसी कारण मीन राशि में स्थित बुध को नीच का बुध भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त बुध किसी कुंडली में अपनी स्थिति विशेष के कारण अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव के कारण भी बलहीन हो सकते हैं जिसके कारण जातक पेट, गले या नर्वस तंत्र से संबंधित समस्याओं अथवा बिमारियों से पीड़ित हो सकता है।
इसके अतिरिक्त बुध पर किन्हीं विशेष बुरे ग्रहों का प्रभाव कुंडली धारक को आंतों की बिमारी, दमा, त्वचा के रोग, अनिद्रा, मनोवैज्ञानिक रोग तथा ऐसी ही कई अन्य बिमारियों से पीड़ित कर सकता है।
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