बारवें भाव का बिर्हस्पती
मित्रों ज्योतिष में बारवां भाव मोक्ष मुक्ति का भाव माना गया है ये व्यय भाव कहलाता है|
आज? ऐसा माना जाता है की इस भाव में सिथत ग्रह जातक की पिछले जन्म कीअवस्था के बारे में बताता है यदि यहाँ गुरु ग्रह है आपकी कुंडली में तो आप पिछले जन्म में एक सुखी और खुशहाल जिन्दगी के मालिक थे जिसका प्रभाव ये है की इस जन्म में आप एक आशावादी इंसान होंगे| आपका नजरिया सकारात्मक होता है| इस भाव वाले गुरु के इंसान अपने मित्रों सम्बन्धियों में ये विस्वास पैदा करता है की जिन्दगी को नकारा नही जा सकता | इस इंसान को जिन्दगी का तिरस्कार बिलकुल भी मंजूर नही होता| ऐसा इंसान जिन्दगी को हर हाल में जीना पसंद करता है|
ऐसे इंसान के पास हमदर्दी की बहुत बड़ी ताकत होती है जो वो दूसरों कीसहायता के लिय प्रयोग करता है वो सहायता करते समय इस बात का ध्यान नही रखता की सामने वाला इसके काबिल है सामनेवाला कोई साधू है या कोई चंडाल इंसान है या फिर समाज में लोग उसे इसके लिय क्या कहंगे | इसी कारण इस भाव के गुरु वाले जातक को जीवन में एक बार मान हानि का सामना भी करना पड़ता है| जिसका कारण दूसरों की मुश्किलों में खुद को डालना होता है लेकिन जातक ऐसे अपमान की परवाह नही करता |
यहाँ का गुरु ग्रह आर्थिक पक्ष से शुभ फल देता है और इसमें तब और विरधी होती है जब आध्यात्मिक रूपसे अन्त्र्साधना की तरफ चला जाए लेकिन इसका मतलब ये नही की जातक समाज से अपना मुह मोड़ ले ऐसा इन्सान घर त्याग करने वाला साधू नही होता बल्कि समाज में साधू जैसे विचार रखने वाला इंसान होता है लेकिन यदि गुरु को किसी तरह बुध का साथ मिल जाए या जातक को गले में माला पहनने की आदत हो जाए तो गुरु का शुभ प्रभाव खत्म हो जाता है जो गुरु धन दोलत के भंडारे बांटने वाला होता है तो उसके उस खजने पर ताला लग जाता है| उसके परिवार में गिरावट का दोर सुरु हो जाता है|
चूँकि ये भाव खर्च का होता है और खर्च केवल धन दोलत का ही नही होता किसी केपास विद्या ज्ञान है तो उसका भी खर्च होता है और इस भाव के गुरु वाला अपना ज्ञान खूब लोगों को बाँटता है| यानी इस भाव का गुरु शुभ सम्बन्ध में खर्च करवाता है वो खर्च चाहे कैसा भी हो|
लाल किताब में इस भाव के गुरु वाले जातक को माया पर पेशाब की धार मारने वाला कहा गया है यानी जातक को ज्यादा लालच नही होता| ऐसा इन्सान यदि किसी को दुआ दे तो उसकी दुआ अवश्य काबुल होती है ऐसे जातक को हमेशा किसी को बददुआ देनेसे बचने चाहिए| यदि ऐसा जातक दूसरों का भला करता है पूजा पाठ करता है तो उसके खुद के भाग्य में भी विरधी होती है|
इस भाव में गुरु चन्द्र का योग शुभ नही माना गया क्योंकि चन्द्र इस भाव में हमारी ख़ुशी पर काला पर्दा डालने वाला माना गया है इस भाव में इन दोनों ग्रहों की युति होने पर चांदी का खाली बर्तन घर में एक कोने में जमीन खोदकर दबाना चाहिए|
गुरु मंगल का योग धन के मामले में शुभ फल देता है लेकिन जातक की जरुरुत से ज्यादा धन खर्च की इच्छा रहती है|
गुरु शुक्र का योग इस भाव में शुभ फल देता है क्योंकि कालपुरुष की कुंडली के अनुसार यहाँ शुक्र उंच का हो जाता है|
गुरु सूर्य की युति इस भाव में जातक के खानदान की तररकी में सहायक सिद्ध होती है|
गुरु शनी की युति शुभ होती है जातक का भाग्य उदय उसकी शादी के बाद होता है|
राहू गुरु की युति आध्यात्मिक विकास में बाधा बनती है जातक धार्मिक होने का दिखावा बहुत करता है| आर्थिक सिथ्ती में भी जातक के जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आते है|
गुरु केतु की युति शुभ फल देती है जातक आध्यत्म में काफी सफल होता है| जातक की धर्म में गहरी रूचि होती है|
फल में कमी या अधिकता अन्य ग्रहों की स्थिति पर भी निर्भर करती है|
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