ज्योतिषीय उपाय और उनका आधार, कर्म और भाग्य
आप कोई उपाय करते है तो उस उपाय के पीछे कोई न कोई लोजिक अवस्य अवस्य होता है हालाँकि बहुत से लोग ऐसे ही कंही से भी पढकर उपाय करना सुरु कर देते है और फिर बोलते है की मै इतने उपाय कर चूका हूँ मुझे कोई फायदा नही हुआ | उपाय के रूप में जो मुख्य रूप से किये जाते है उनमे किसी भी ग्रह से सम्बन्धित वस्तु को जल में बहाना , या उसे जमीन में दबाना या उसका दान करना , सम्बन्धित ग्रह के मन्त्र जप करना , सम्बन्धित ग्रह के रत्न धारण करना , उस ग्रह से सम्बन्धित जानवर को उस ग्रह से सम्बन्धित वस्तु खिलाना , उस से सम्बन्धित रिश्तेदार जानवर, पेड़ पोधों की सेवा करना और उस से सम्बन्धित वस्तु को घर में कायम करना |
*यदि आप कोई भी उपाय करते है तो उसके पीछे छिपे हुवे रहस्य को आपको अवस्य समझना चाहिए इसिलिय आज उन रहस्यों को खोल रहा हूँ |*
जब भी आप किसी ग्रह की वस्तु को जल प्रवाह करते है या जमीन में दबाते है तो उस साल के लिय आप उस ग्रह के प्रभाव को खत्म कर रहे होते है ऐसे में आपको ये विशेष ध्यान रखना होता है की ऐसे उपाय से उस ग्रह के कारक रिश्तेदार को नुक्सान होने की पूरी सम्भवना बन जाती है जैसे की एक उपाय है की मंगल अस्ठ्म में हो तो शहद का बर्तन जमीन में दबाना होता है ऐसे में जैसे की मंगल भाई का कारक ग्रह होता है और तीसरा भाव भाई को दर्शाता है ऐसे में यदि तीसरा भाव पाप प्रभाव में हो तो ऐसे उपाय से ये सम्भव है की आपके भाई को उस साल कोई मुसीबत का सामना करना पड़ जाए | इसी तरह से शनी जो की मजदूर वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है और आप के निचे मजदूर कार्य करते है और वर्षफल में और लग्न कुंडली में शनी अच्छे भाव में आया हुआ है और आप शनी से सम्बन्धित वस्तु जल प्रवाह कर देते है तो आपको अपने व्यवसाय में नुक्सान होना सम्भव हो जाता है |
किसी भी ग्रह के मन्त्र जप आप उस सिथ्ती में करे जब कुंडली में वो ग्रह कारक होकर कमजोर हो रहा हो तो उस ग्रह के मन्त्र जप करने से उसका रत्न धारण कर उसे मजबूत करके उसके शुभ फलों में बढ़ोतरी की जा सकती है।
यदि कोई ग्रह कुंडली में अशुभफल देने वाला सिद्ध हो रहा है तो आप उसके दान कर सकते है |
एक उपाय है की ग्रह से सम्बन्धित वस्तु उसी के जानवर को खिलाना जैसे की हम किसी ग्रह को नस्ट नही सकते तो ऐसे में उस ग्रह को काबू करने के लिय हम उसी ग्रह की वस्तु को उसी से सम्बन्धित जानवर को खिला देते है जैसे की यदि शुक्र अशुभ फल देने वाला सिद्ध हो रहा है तो हम शुक्र की गाय को शुक्र की ज्वार को खिला देते है और शुक्र खुद उसे खाकर नस्ट करके गोबर में तब्दील कर देता है और हमे शुक्र से सम्बन्धित अशुभ फलों में कमी हो जाती है | ऐसे ही यदि सूर्य अशुभ फल दे रहा है तो तो हम भूरी चीटियों को गुड डालकर उसके अशुभ प्रभाव में कमी करते है |
इसी तरह किसी ग्रह से सम्बन्धित वस्तु को घर में कायम किया जा सकता है जैसे की दुसरे भाव में चन्द्र उंच होता है कालपुरुष की कुंडली में ऐसे में इस भाव के चन्द्र के शुभ फलों में बढ़ोतरी के लिय चन्द्र माता से चावल चन्द्र लेकर अपने कमरे में कायम करे तो ऐसे में ये चावल जैसे जैसे पुराने होते जाते है चन्द्र के शुभ फल में बडोतरी होती जाती है |
यदि किसी ग्रह से सम्बन्धित रिश्तेदार या जानवर की हम सेवा करते है तो उसका १००% हमे फल मिलता है और यदि उस से सम्बन्धित पेड़ आदि की सेवा करते है तो पचास प्रतिसत फल मिल जाता है | यदि किसी पथर रत्न को धारण करते है तो 25% तक उस ग्रह के हमे फले मिलते है हालाँकि रत्न के बारे में अलग अलग विद्वानों के अलग अलग मत है लेकिन मेरी नजर में जितने भी श्रेष्ठ ज्योत्षी है उनका ये ही मत है की रत्न का ज्यादा प्रभाव न होकर यदि आप उस ग्रह के मन्त्र जप करते है उस से सम्बन्धित रिश्तेदारों ककी सेवा करते है तो उसका पूर्ण प्रभाव आपको मिलता है| रत्न को यदि प्राण प्र्तिस्ठित करवा करे धारण करते है तो फिर इसमें कोई स हक नही की उसका प्रभाव बहुत ज्यादा बढ़ जाता है |
*हालाकि आपके विचार सम्भव है की मुझ से अलग हो |*
ज्योतिष और कर्म और भाग्य
बहोत् से लोगों को कहते सुना है की भाग्य में जो लिखा है वो होकर रहेगा उसे कोई टाल नही सकता यानी हम कुछ करे या न करे होनी है तो वो होकर ही रहेगी लेकिन हमारी जिंदगी में जितना महत्व किस्मत का है उतना ही कर्म का भी है। यदि होनी ही है तो फिर कर्म की क्या आवश्यकता जैसे हम बुखार से पीड़ित है तो फिर उसे ठीक करने के लिये दवाई लेनी ही पड़ेगी और ये हम मानकर चले की होनी होगी तो अपने आप ठीक हो जायेगी लेकिन होती नही। यदि हमे अच्छी फसल लेनी है तो बिजाई तो करनी ही पड़ेगी उसका फल कितना हमे मिलेगा ये किस्मत पर निर्भर करेगा। मान लो की एक गरीब आदमी के दस लाख की लॉटरी निकल जाती है तो लोग कहेंगे की भाग्यशाली है जो इतनी बड़ी लॉटरी निकली लेकिन उन पैसो को लेने के लिये उनको संभाल कर रखने के लिये उनको खर्च करने के लिये कुछ न कुछ तो मेहनत अवश्य करनी ही पड़ेगी यानी किस्मत और कर्म एक सिक्के के दो पहलु है एक के बिना दूसरा सम्भव नही । यदि हमारी किस्मत अच्छी है तो हमे थोड़ी सी मेहनत से ही बहुत लाभ हो जाताहै । कुछ जन्मजात किस्मत के धनि होते है जैसे की किसी करोड़पति के घर में जन्म ले लिया तो वो कोई कर्म किये बिना ही करोड़पति बन गया एक दूसरा बच्चा गरीब घर में जन्म लेता है और उसे करोड़पति बनने के लिये बहुत मेहनत करनी पड़ेगी लेकिन यदि यहां उसके भाग्य ने साथ न दिया तो बन न भी पाये।
अब बात आती है कुंडली की। जो जन्मकुंडली में जो ग्रह होते है वो हमारे पिछले जन्म के कर्मो के अनुसार ही सिथत होते है । जैसा की आपको पता है की पिछले जन्म के कर्म को कोई बदल नही सकता लेकिन इस जन्म के कर्मो के द्वारा सुधारा अवश्य जा सकता है जैसे की एक कंपनी द्वारा 10 30 50 हार्सपावर की मोटर बनाई जाती है और एक अच्छे मिस्त्री द्वारा उनकी उचित देखभाल द्वारा लंबे समय तक काम लिया जा सकता है और ख़राब होने पर पुर्जे बदल ठीक भी किया जा सकता है लेकिन हार्श पौर्णि बढ़ाई जा सकती इसी प्रकार जन्म कुंडली में सिथत ग्रहों को तो नही बदला जा सकता लेकिन उचित उपाय और अच्छे कर्म करके हमारे जीवन रूपी मोटर को सही चलाया जा सकता है। ये बात ध्यान रखने योग्य है की आज के कर्म कल की किस्मत अवश्य बनायेगे।
कर्म के बिना किस्मत और किस्मत के बिना कर्म नही बन सकते। कर्म के लिये बुद्धि की आवश्यकता होती है और बुद्धि तभी अच्छी होगी जब किस्मत अच्छी होगी । कहा भी जाता है की विनाशकाले विपरीत बुद्धि यानी जिसको नुक्सान होना होता है पहले उसकी बुद्धि ख़राब होती है और कोई ये मानने को तैयार नही होता की उसकी बुद्धि ख़राब है।और सही समय में बुद्धि सही काम करती है और ये भी किस्मत से ही होता है की जातक को कोई अच्छा ज्योत्षी मिल जाता है जो उसकी राह आसान कर देता है वरना इस्मेभि उसको ठगा ही जाता है।
पिछले जन्म और इस जन्म के कर्म मिलकर ही किस्मत का निर्माण करते है और यदि इस जन्म के कर्म अच्छे है तो पिछले जन्म के दुष्कर्मों का प्रभाव कुछ कम किया जा सकता है। और अच्छे कर्मो द्वारा दुःख भोगने की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। लेकिन पिछले जन्म के कर्मों का फल फिर भी प्रधान ही रहता है क्योंकि यदि सब कुछ बदला जा सकता तो एक ज्योतिषी खुद ही किसी देश का प्रधानमन्त्री या कोई ऊंचा पद प्राप्त कर लेता लेकिन वास्तविकता में ऐसा होता नही है क्योंकि सभी अपने अपने कर्मों से बंधे हुवे है। सार यही है कर्म करोगे तभी किस्मत साथ देगी और किस्मत सही होगी तभी कर्मो का पूर्ण फल मिलेगा पिछले हुवे जैसे हुवे इस जन्म के कर्म अच्छे करो।
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