Saturday, February 4, 2017

विवाह और वैवाहिक जीवन

विवाह और वैवाहिक जीवन
A:-संभन्दित भाव ।
1:-दूसरा भाव:-परिवार और परिवार की उन्नति और विस्तार।
2:-चौथा भाव:-पारिवारिक खुशियां और सुख ।
3:-पांचवा भाव:-संतान और प्रेम संभंध ।
4:-सातवा भाव:-पति/पत्नी ,विवाह,वैवाहिक जीवन।
5:-आठवां भाव:- सुमंगल्या (स्त्री की जन्म कुंडली में) ।
6:-बारहवां भाव:-शयन सुख ।

*विवाह हेतु संभन्दित गृह*
1:-शुक्र:-पत्नी का कारक, विवाह,यौनाचार,कामुकता आदि।
2:-गुरु:-पति का कारक  ।
3:-मंगल:-पति का कारक, विवाह का बंधन,यौनाचार आदि ।

*शुक्र का राशियों में संभंध*
1:-मेष:-प्रवल प्रेमी,कई स्त्रियों के साथ संभंध ।
2:-बृषभ:-वैवाहिक परमानंद,सुन्दर और कर्तव्यनिष्ठ पत्नी,सुखी विवाह,प्रेम में अटल।
3:-मिथुन:-अत्यधिक  काम लोलुपता,कामुक,दोहरा संभंध,ज्ञानी पत्नी,यदि शुक्र पीड़ित--दो विवाह योग, पत्नी से वियोग का योग।
4:-कर्क:-तीक्ष्ण कामुक ,यौनाचार में अधिक संलिप्त ,यदि शुक्र पीड़ित--दो पत्नी,भावुक पत्नी,वैवाहिक जीवन में कम खुशियां ।
5:-सिंह:-कुलीन परिवार से अछि रमणीय पत्नी,गहरी निष्ठावान भावनाएं कम काम शक्ति ।
6:-कन्या:-प्रेम के द्वारा योनाचार की अपेक्षा मानसिक संतुष्टि,निम्न जाती की स्त्रियों का स्नेही,पत्नी सुन्दर विचारवाली,पत्नी से वियोग का योग ।
7:-तुला:-समृद्धशाली सफल विवाह के साथ प्रेम सम्भन्धों में सफलता ,उदार,सौभाग्यशाली और सुन्दर पत्नी।
8:-बृश्चिक:-अतिरिक्त वैवाहिक संभंध,उत्तेजना होने पर शीघ्र  वीर्य पतन,झगड़ालू  पत्नी का योग।
9:-धनु:-सुखी वैवाहिक जीवन,एक सफल विवाह हलके फुल्के इश्क हो सकते हैं।
10:-मकर:-अस्थिर प्रेम संभंध,प्रेम में बदनामी,विवाह में विलम्ब,घमंडी पत्नी हो सकती हैं।
11:-कुम्भ:-सम्भोग की आदतों में शुद्ध ,प्रेम में सफलता,विलम्ब से विवाह,खुश मिजाज और अच्छी भली पत्नी का पति।
12:-मीन:-कई लगाव लेकिन अंत में एक सुखी विवाह,शालीन और सती सावित्री पत्नी,वैवाहिक जीवन में खुशियों की कमी।

*अन्य ग्रहों के साथ शुक्र युति*
1:-शुक्र+सूर्य=जातक यौनाचार में सक्रिय,एक उच्च जन्म की पत्नी जिसके व्यक्तित्व में राजसिक आभा होती हैं।
2:-शुक्र+चन्द्रमा=एक उच्च सामाजिक प्रतिष्ठा वाली पत्नी,कदाचित वह असंगत हो सकती हैं।
3:-शुक्र+मंगल= जातक अधिक  कामुक और पत्नी अभिमानी एवं दिखने में युवा होती है,अर्थात हम यह कह सकते हैं कि मंगल किसी की उम्र को भी चुरा लेता है ,अगर कोई 50 वर्ष का होगा तो हमें वह 40 वर्ष जैसा दिखाई देगा।अतः यहाँ यह सिद्धान्त लागु होता हैं कि मंगल उम्र चुराता हैं।
4:-शुक्र+बुद्ध=बुद्धिमान पत्नी,सज्जन और दिखने में युवा,जातक की सोच ओरबातें कामुकता के रंग में रंगी होती हैं,अश्लील साहित्य का स्नेही होता हैं।
5:-शुक्र+गुरु= पत्नी धर्म पारायण,सुन्दर,विशुद्ध और अच्छे पुत्रों की जन्म देने वाली होती हैं।
6:-शुक्र+शनि=एक सौम्य पत्नी और जाताक अच्छी वैवाहिक खुशियों का आनंद लेता है यदि शुक्र+शनि पीड़ित हों तो पत्नी बुरे स्वाभाव की होती हैं।
7:-शुक्र+राहु=असफल गुप्त प्रेम संभंध होते हैं।
8:-शुक्र+केतु=संसर्ग के विषयों में अति संबेदंनशील, अति शुक्ष्म ग्राही होते हैं।

*देखें शुक्र किस भाव में हैं*

1:-लग्न:-पहला भाव;-रोमानी स्त्रियों के प्रति आकर्षण,जातक अपनी पत्नी से प्रेम करता हैं।
2:-दूसरे भाव:-जोरू का गुलाम,विवाह असन्तुष्टि,असंस्तुस्ट पत्नी।
3:-तीसरा भाव:-एक कर्तव्यनिष्ठ पत्नी के साथ अच्छा परिवार,परन्तु पर स्त्रियों का रसिया।
4:-चौथा भाव:- सुखी पारिवारिक जीवन,हल्के फुल्के प्रेम संभंध ।
5:-पांचवा भाव:-रोमानी सख्सियत, विवाह से पहले प्रेम संभंध भी हो सकते हैं।
6:-छटा भाव:-अनैतिक ,पोरुसत्व की कमी,स्त्रियों की नापसंद,रोगी पत्नी का पति ।
7:-सातवां भाव:- यौनाचार का स्नेही, सुन्दर पत्नी,कामुक और रोमानी व्यक्तित्व ।
8:-आठवां भाव:-गैर कानूनी संभंध,प्रेम सम्भनधों में परेशानिया,अस्वस्थ पत्नी हो सकती हैं।
9:-नवम भाव:-एक सुखी पारिवारिक जीवन ,समर्पित पत्नी हो सकती हैं।
10:-दसम भाव:-एक अच्छा विवाह,प्रचुर योनांनंद,पत्नी से लाभ हो सकता हैं।
11:-ग्यारह भाव:-रोमानी व्यक्तित्व ,पत्नी से लाभ हो सकता हैं
12:-बारहवां भाव:-योनांनंद का स्नेही,प्रेम प्रसंगों में सिद्धान्तहीन,रोगी पत्नी का पति हो सकता हैं।

1 comment:

pranab said...

In sabki sthiti lagn kundli mein dekhe ya navmansh kundli mein??