Saturday, February 4, 2017

गुरु शनी योग

गुरु शनी योग

शनी और गुरु के योग | गुरु जो ज्ञान का मालिक है और शनी जो वराग्य का मालिक है दोनों का साथ जातक को अध्यात्मिक छेत्रमें सफलता प्रदान करता है| दोनों का योग जातक की किस्मत के लिय फकिर की झोली के समान होगा जिसके बारे में किसी का अनुमान लगाना आसान नही होग| गुरु शनी किसी भी भाव में एक साथ हो ऐसा टेवा धर्मी होगा जिसमे पापी ग्रह का मंदा असर नही होता|
गुरु ग्रह दोनों जहानों की हवा का मालिक है लेकिन नेक हिस्सा यानी ऐसी हवा जिसमे सर्दी यानी चन्द्र गर्मी यानी सूर्य और मीठी नेक खासियत यानी मंगल की मोजुदगी हो लेकिन जब इसमें कोई अन्य ग्रह का असर सामिल हो जाए तो केवल एक हिस्से का मालिक होता है यानी गुरु हमेशाशुभ फल देने वाला माना गया है जब उसको सूर्य चन्द्र या मंगल का साथ मिले लेकिन अन्य ग्रह साथ न हो| शनी तो बिर्हस्पती के घर दुसरे नोवें बारवें में बुरा फल नही देता लेकिन गुरु ग्रह शनी केघरो दसवें ग्यारवें नीच नकारा हो जाता है||
बिर्हस्पती हवा तो शनी आँख की चालाकी की ताकत दोनों मिल जाए तो पथर को भी सोने क्र देने की ताकत हो जाती है यानी अगर जातक की कुंडली में बिर्हस्पती और शनी दोनों कायम हो और जातक शराब मॉस बेईमानी सेदूर हो तो शनी की दोनों जहानों की माया गुरु के चरणों में होगी यानी उस जातक के पास अच्छी धनदौलत होगी |
इन दोनों के योग में कोई एक नीच होऔर दूसरा अच्छी हालत में हो तो ये एक दुसरे केबुरे प्रभाव को समाप्त करने वाले सिद्ध होतेहै याने शनी के बुरे फल को गुरु कम कर देता है जबकि गुरु के बुरे फल को शनी कम क्र देता है| शनी के दौर के समय गुरु फैसला करता हैऔर गुरु के दौर के समय शनी फैसला करता है|
हस्तरेखा में भाग्य रेखा गुरु की तोउम्र रेखा शनि की होती है| और दोनों बिलकुल उल्ट पहलु में होती है यानी जैसे जैसे उम्र रेखा गुरु के बुर्ज सेदूर जाती रहती है उसी प्रकार भाग्य रेखा गुरु के बुर्ज के पास नजदीक आती रहती है| भाग्य रेखा के बिना इन्सान की जिन्दगी कच्ची कहानी और बेमायनी यानि सिर्फ खानापूर्ति का नाम होता है| भाग्य रेखा और उम्र रेखा हाथ में किस जगह मिल रही है या नही नही रही है उसका प्रभाव जातक पर पड़ता है|
जिनकी भी कुंडली मेंइन दोनों का योग पाया जाता है उन जातको की अक्सर ज्योतिष मेंरूचि पाई जाती है| ऐसे इंसान अक्सर धार्मिक भावना के और पूजा पाठ करने वाले मिलते है| कुछ जातकों में संसार के प्रति विरक्ति की भावना भी पैदा हो जाती है ऐसा अनुभव में आया है| ऐसा इन्सान भक्ति की राह में भी सफलता प्राप्त करता है|
कुछ  विद्वानों  के अनुसार इस  योग वाले  मुह में राम बगल  में छुरी  वाले इंसान होते  है उनको  समझ पाना  सामान्य  इंसान के बस  की बात  नही होती |

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