Wednesday, February 8, 2017

शुक्र बुद्ध योग

शुक्र  बुद्ध  योग

बुद्ध  शुक्र  के  बारे  में बात  करते है  | बुद्ध  और  शु८क्र  दोनों  ग्रह  आपस  में मित्रता का  सम्बन्ध  रखते  है  और  एक दुसरे  के  सहायक  सिद्ध   होते है  | हरा  पोधा  बुद्ध  होता  है  और  जब  तक  उसे  मिटटी  शुक्र  की मदद  मिलती  रहती  है  वो हर  रहता  है  याने  की  जब  पोधे  बुद्ध  को जमीन  शुक्र  से निकाल  दिया  जाए  तो  वो  पिला यानी  की  गुरु  का  रंग  लेने  लग जाता  है  दुसरे  शब्दों में बुद्ध  खत्म होने  लगता  है  | इसी  प्रकार  दांत  बुद्ध  होते  है  तो जब  मुह  में दांत  न रहे  तो  शुक्र  यानी  की पत्नी  दुसरे  शब्दों में काम  भावना   भी जातक  से मुह  फेरने  लगती  है  |  सिंग  बुद्ध  न रहे  तो  सांड शुक्र  भी  अपनी काम   शक्ति  गंवा  देता है  | साज  बाज  के  साधन  यानी   की वाध्य  यंत्र   { बुध } जब  बजने  लगते  है  तो  शरीर  में शुक्र  यानी  की काम  भावना  हिलोरें  लेने  लगती है  |  टोपी  बुद्ध  बिना  कुरते  शुक्र  के पहनी जाए  तो  भद्दी  लगने  लगती है  | जब  लडकी  बुद्ध में काम  वाशना  यानी  की  शुक्र  न हो  तो  वो बाँझ  हो जाती  है  | इस  प्रकार  हम समझ  सकते  है  की ये  दोनों  एक दुसरे  की मदद  करने  वाले  और  सहयोगी  है |
लाल   किताब कहती  है  की  जब ये  दोनों  एक  साथ  हो तो  मस्नोई  सूर्य  यानी की सूर्य के समान जातक को  फल  देते  है |  एक   लाइन  लिखी हुई  है  जो इस  प्रकार है

“” बुद्ध  शुक्र  जब हो  इक्कठे  शनी  भी उम्दा  होता  है  ,
धन  दौलत  की  कमी  न कोई  घी मिटटी  से  निकलता है  |””
लेकिन  कुंडली में कुछ  भाव में इनका  अच्छ  फल  नही  मिलता  जैसे  की  चोथे  भाव  में इन दोनों  का  योग लाल  किताब में  अच्छा  नही  बताया  गया  है | इस  घर में इन  दोनों  का योग  होने  पर  माता  और मामा  खानदान  को  समस्या बनी  रहती है साथ  ही  जातक  के ससुराल  पक्ष  को भी  दिक्कत रहती है और  जातक का चाल चलन शक्की  होगा  लेकिन  यदि कुंडली में चन्द्र  कायम हो तो फिर इनका  इस  भाव में दुस्प्रभाव  नही मिलता  |
छ्टे  भाव  में इनका  योग  स्किन  की समस्या  पेशाब  कमर  दर्द  की  समस्या  और  पुत्र  सन्तान  के  पैदा  होने में दिक्कत  देता  है  लेकिन  बुद्ध  से  सम्बन्धित  कारोबार में  जातक   को  विशेष  लाभ  मिलता है |
अस्ठ्म  भाव  के  बारे  में  एक लाइन  है है  की रब्ब  ने बनाई  ऐसी  जोड़ी  एक अंधा  एक कोढ़ी  दुसरे  शब्दों में  जातक  के विवाह  और औलाद  से  सम्बन्धित  समस्या  का  सामना करना  पड़ता  है  |
नवम  भाव में  भी इनका  योग  अच्छा  नही मना गया  |
व्यय भाव  में इन दोनों  का फल बहुत  अशुभ  फल बताया  गया है |  बुद्ध  बकरी  गाय  शुक्र  a पेट  फाड़ने की  कोसिस  करती है | ग्रहस्थ जीवन  खराब  हो जाता  है |  जब  ऐसे  जातक के लडकी का  जन्म होता  है  उसके  बाद   ग्रहस्थ जीवन में ज्यादा  समस्या  आती  है  जातक  की  पत्नी  को  स्वास्थ्य  की  समस्या  का  सामना करना  पड़ता है  |
बाकि  के  भावों में इनका  योग  अच्छा  फल  देने  वाला  माना गया  है | मित्रों  ये लाल  किताब  पर  आधारित  विवेचना  है  वैदिक के हिसाब से इनका  फल देखने के लिय  आपको  ये  देखना होगा  की  किस  लग्न  की कुंडली में किस भाव  में कितने  अंशो  पर इनका योग  बन रहा है  |  कुंडली में अन्य  ग्रहों  की   सिथ्ती और  ग्रहों  का  इनके  साथ  सम्बन्ध  होने  पर  इनके  फल अलग  हो  सकते  है  इसिलिय  पूर्ण  रूप  से  फल  पूरी  कुंडली पर निर्भर  करेंगे |
उपाय  के  रूप में इन  दोनों का शुभ  फल प्राप्त करने  के लिय  जातक को  घर  में  आटा पिसने  वाले चक्की  रखनी  चाहिए |

7 comments:

Unknown said...

Very nice...

Unknown said...

मेरे कूंडली के बारे में कुछ बता सकते हैं, जन्म तारीख 15/81976 राञी 10 बजकर 30 मिनट

Unknown said...

15/8/1976 राञौ 10बजकर 30 मिनट

R said...

Sir madam tula lagan ke 12 bhaw m budh shukra ki yuti hai to kya fal hoga w upay batane ki kripa Karen

Unknown said...

अष्टम भाव का शुक्र २५ डिग्री और नवम भाव का बुध ०.५डिग्री का हो तो इसे युति माने या नहीं और ये कैसा फल देगी।

Shodharthi said...

Which effect is created when other planets like sun snd mars also enters with them

Samrat krishna said...

Ye yuti nahi kahi ja sakti jb grah ek hi bhaav me sath ho to yuti hoti hai