जन्म तिथि और स्वभाव
प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक और फ़िर
प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक दो पक्षो की तिथिया होती है,अमावस्या तक कृष्ण पक्ष की तिथिया कहलाती है और प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक की तिथिया शुक्ल पक्ष
की तिथिया कहलाती है। तिथि का प्रभाव
भी जातक पर उसी प्रकार से पडता है जैसे
ग्रह और नक्षत्र का पडता है।
*तिथियों के भी स्वामी होते है*
तिथियों का विवरण इस प्रकार से है-
प्रतिपदा : धनी और बुद्धिमान होना
द्वितीया: मान मर्यादा मे आगे कुल का नाम बढाने वाला विदेशवास और कानून को जानने वाला
तृतीया: धन और सम्पत्ति को ध्यान मे रखने वाला कार्य और राज्य से लाभ लेने वाला सन्तान और पिता के प्रति समर्पित
चतुर्थी : इस तिथि मे पैदा होने वाला जातक यात्रा प्रिय होता है वाहनोका शौकीन होता है कामोत्तेजना अधिक होती है सांस का मरीज होता है
पंचमी: जातक धार्मिक होता है धर्म स्थानो की तरफ़ अधिक लगाव होता है न्याय ऊंची शिक्षा और विदेश के प्रति अच्छी जानकारी होती है
षष्ठी : दिमाग से तेज होता है शरीर मे दुर्बलता होती है बुद्धि से सभी काम निपटाने की हिम्मत रखता है
सप्तमी : जातक मे बीमारी के कई कारण बनते है सत्य बोलने की तरफ़ ध्यान होता है रात मे किये गये काम नही बन पाते है
अष्टमी : जातक धन की तरफ़ अधिक
आकर्षित रहता कर्जा करने और लोगो का धन हडपने की आदत होती है,चिन्ता से
बीमार रहना माना जाता है
नवमी : जातक का रुझान प्रसिद्धि की तरफ़ अधिक होता है राज्य और गुप्त काम के अन्दर माहिर होता है,यौन सम्बन्ध बनाने मे माहिर होता है
दसवीं : जातक अपने चरित्र की तरफ़ अधिक ध्यान रखता है,कठिन समय को पहिचानने वाला होता है जहां भी जाता है लोग कहना मानने लगते है
एकादशी : जातक धनी होता है कानून
को मानने और मनवाने वाला होता है
पूर्वजो की सम्पत्ति और मर्यादा को कायम
रखना चाहता है
द्वादसी : जातक सुन्दर विचारो को ग्रहण करने वाला होता है लोगो को जातक के विचार पसंद आते है और मित्रता से सभी काम पूरे करने वाला होता है
त्रियोदसी: जातक की धन के प्रति अधिक
चाहत होती है लेकिन कितना ही कमाया जाये बचत नही होती है पुरुषों को स्त्रियों के प्रति और स्त्रियों को पुरुषो के प्रति अधिक आकर्षण होता है खेल कूद मनोरंजन और जल्दी से धन कमाने के साधन आदि मे आगे रहता है
चतुर्दशी : जातक को शत्रुता वाले कामो की तरफ़ अधिक ध्यान रहता है गूढ बातो को निकालकर शत्रुता करने की आदत होती है रोजाना के कामो में ब्याज से काम करना किराये से काम करवाने की इच्छा रखना बीमारी से कमाना पुलिस आदि की सहायता लेना और देना आदि बाते देखी जाती है
पूर्णिमा: जातक के अन्दर जो भी इच्छा होती है उसे पूरा करने के लिये साम दाम दण्ड भेद आदि सभी नीतियों से काम
को पूरा करने के लिये उद्धत रहता है
विचारो की श्रेणी मे वह विचार पनप पाते है
जो सकारात्मक होते है,देवी शक्ति पर विश्वास करना और महिने में आठ दिन अपने ही बनाये हुये कष्टो मे जूझना आदि देखा जाता है
अमावस्या: जातक् का ध्यान शिक्षा देने और शिक्षा को प्राप्त करने के
लिये आजीवन रहता है वह
किसी भी काम मे अपने को पूर्ण
नही समझ पाता है जहां भी जाता है
अपनी शिक्षा के अनुसार वाणी का प्रयोग
करने लगता है,लोग गुरु के नाम से जानते है साथ ही अपने पूर्वजो की मर्यादा का भी ध्यान रखता है स्वयं के काम भी जैसे नित्य क्रिया आदि समय से पूर्ण करता है सन्तान भी समय पर सहारा देने वाली होती है तांत्रिक शक्तियों पर विश्वास अधिक होता हे।
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