Saturday, February 4, 2017

शनी राहू योग की युति

शनी  राहू योग  की  युति

शनी  राहू योग  की  युति  पर  कुछ  लिख  रहा  हूँ \  आमतोर  पर इस  योग  को  सर्प  योग  की  संज्ञा  विद्वानों  के  द्वारा दी  जाती  है  जिसके  अधिकतर  बुरे  परिणाम  ही  जातक  को  अक्सर  बताये  जाते है  \  लेकिन  लाल  किताब  में  इनकी  युति  को  कुछ  विशेष   सिथतियों   में  लाभदायक  भी  बताया  है  | शनी  जिसे  उम्र  का  मालिक  बताया  गया  है  तो  राहू  उसकी  लम्बी  उम्र  का हाथी  के  रूप  में  फरिस्ता  बनकर  आता  है जैसे  की  आपने  कुछ  तस्वीरों  में  शनी महाराज  को  हाथी  की  सवारी करते  हुवे  देखा  होगा  हाथी  को  राहू  ही  माना गया  है  \ इन  दोनों  की  युति  कई  बार  इच्छाधारी  सांप के समान  जातक  को  अपना  फल  दे देती  है  जिस  प्रकार  सांप  अपनी  उम्र  तक  ही  बुरा  होता  है  लेकिन  उसकी  उम्र  पूरी  हो जाने  के बाद  वो  इच्छा धारी  बन  जाता  है  उसी  प्रकार  इन  दोनों  की  युति  भी  जातक  को  ३६ वें  साल  की  उम्र  तक  ही  ज्यादा  बुरा  फल  दे  सकती  है \
लाल  किताब  में  मना जाता  है  की  जब  इनकी  युति  कुंडली  में युति  बनती  है  तो  कई  बार  जातक के शरीर  पर  एक  ख़ास  निशान  बनता  है  वो  निशाँ  पद्म  का भी  हो सकता है  और  लहसुन का  भी  \  यदि  वो  पदम  का  निशान हो  तो  जातक  को  इनकी  युति  इच्छाधारी सांप  के  समान  सभी  मनोकामना पूर्ण  करने  वाली  सिद्ध  होती  है  जैसे की  एक  सांप  में जहर होता  है  लेकिन  सांप  की मणि  उसका  जहर  चूस  लेती  है , शनी  यमदूत  बनता है  तो  राहू  हाथी के रूप  में  उसकी  सवारी  बन  जाता  है  शनी लोहा    होता  है  तो  राहू  चकमक  पथर  जके  समान  आग जलाने में काम  आने  वाला  बन  जाता  है  ,  उसी  प्रकार  इनकी  युति  जातक  को  बुरे  फल  न  देकर  शुभ  फल  ही  देती है  \  लेकिन  यदि  शरीर  के  उपर  लहसुन  का निशान  हो  तो  उसका  जातक  को  बुरा  फल  मिलता  है  \ ये  निशान  यदि  नाभि  के उपर  की  तरफ  हो  तो  परिवार  के  सदस्यों  की  उम्र  कम करता  है  और  यदि  नाभि  से निचे  की  तरफ  हो  तो  जातक  को  धन  दौलत  का  नुक्सान  करता  है  |  
पदम  का निशान  काले  रंग  का  बड़ा तिल होता  है  जो  की  अंगूठे के  निचे  दब  जाता  है लेकिन  उसका  आकार  यदि  ज्यादा  बड़ा हो  और  वो  अंगूठे  के  निचे न  आये  तो  वो  लहसुन  कहलाता है  \  यदि  ये  लहसुन का  निशान  शरीर  पर  हो  तो  कुंडली  के  सभी  ग्रहों  पर  ग्रहण  लगा  देता  है  जिसके  बुरे  फल  जातक  को  मिलते  है  \
रात  का  समय  शनी  का पक्की  रात  का समय  राहू  का  और  यदि  ऐसे  समय  में यदि  शनी के बादाम  राहू  का नारियल  यदि  जातक  आग  में भुने  या  कढाई में भूनकर  मिठाई  आदि  में प्रयोग  करे  तो  उसका  जातक  पर बुरा  प्रभाव  पड़ता  है इसिलिय  इस  से  जातक  को  हमेशा  बचना  चाहिए  \
पहले  भाव  में इनकी  युति  जातक  को  बहुत ज्यादा  महत्वाकांक्षी  बना  देती  है  जिसके कारण  जातक  धन  दौलत  तो  बहुत  कमा  लेता  है  लेकिन  उसका  विवाहिक  जीवन  ज्यादा सुखप्रद नही  होता  है  \
दुसरे  भाव में  इनकी  युति  परिवार  कुटुंब  में कोई  न कोई  समस्या  देती  रहती  है  या  परिवार  पर  कोई  कुदरती  समस्या  भी  आ जाती  है | धन के  सम्बन्ध  में भी  जातक  को  समस्या का सामना करना  पड़ता  है ] उपाय के रूप  में चांदी  की  ठोस  गोली  हमेशा  साथ  में रखनी  चाहिए  |
तीसरे  भाव में युति  से जातक  के  भाइयों  से सम्बन्धित  समस्या  और  जातक  अपनी  मेहनत  और  पराक्रम  को  बेकार में खर्च  करने  वाला  बन  जाता  है \
चोथे  भाव  में युति  मानसिक  समस्या  और  विवाहिक  जीवन में  बहुत  ज्यादा  समस्या  पैदा करने  वाली  सिद्ध  होती  है  \

पंचम में इनकी  युति  औलाद  लोटरी शेयर  बाज़ार  आर्थिक सिथ्ती  आदि  के सम्बन्ध  में अच्छा फल  नही  देती  है  |
छटे भाव  में इनकी  युति  से जातक  शत्रु  पक्ष हावी  रहता  है  |  कमाई  को  बचत के रूप  में भी  आसानी  से  बदल  लेता  है \  लेकिन  यदि  कोई  बिमारी  आ  जाती  है  तो  वो  लम्बे  समय  तक  परेशान  करने  वाले  आती  है  जिसके  कारण  जल्दी  से डॉक्टर के भी समझ  में नही  आते  \
सप्तम  भाव  में युति  विवाहिक  सुख  को  नाश करने  वाली होती  है  साथ  ही  जातक  गलत तरीके  से  धन  कमाने की  इच्छा  भी  रखने  वाला  होता  है लेकिन  उसमे  उसको  सफलता  कम  ही मिल पाती  है |
अस्ठ्म  भाव में इनकी  युति  गुप्त  रोग  और  अज्ञात  कारणों  से  जीवन  में समस्या  आने  के योग  बना  देती  है  \
नवम  में धन  दौलत  के सम्बन्ध में इनकी  युति  अच्छा फल  देती  है  चाहे  जातक  को  पिता  से  धन  न  मिले  लेकिन  जातक  खुद  अच्छा  धन  कमा  सकता  है  \
दसम  भाव में इनकी  युति  जातक  को  कोई  बुरा  फल  नही  देती लेकिन  जातक  के  धार्मिक  विस्वास  में  कमी  और  दूसरों  का  भला  करने  की  चाहत  को  कम अवस्य कर  देती  है \
ग्यारवें  भाव  में इनकी  युति  कोई  विशेष  बुरा फल  जातक को  नही  देती  है |
बरवें  भाव में इनकी  युति कोई  शुभ  फल  नही  देती  है  जातक  के  बेहिसाब  खर्च  में बढ़ोतरी होती रहती  है  और  जातक  की  अधिकतर  योजनाये  असफल  हो  जाती  है  \
मित्रों  इस  प्रकार  आंशिक  रूप  से  इनकी  युति पर  लाल  किताब  के  आधार  प[र  कुछ  लिखा  है  हालाँकि  पूर्ण  फल पूरी  कुंडली  में अन्य ग्रहों  की  सिथ्ती  पर  भी  निर्भर  करता  है \  एक  बात  अंत में ये कहना  चाहूँगा  की  ये युति  जिस  भी  जातक  की  कुंडली  में होती  है  वो  बहुत ही चालाक  किस्म  के  इंसान  होते  है  उनको  समझना हर  किसी  के  बस  की  बात  नही  होती  और अपना कार्य  निकालने के  लिय  वो  कई  बार किसी  भी  हद  तक  जा सकते  है ।

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