सूर्य बुद्ध योग बुधादित्य योग
सूर्य बुद्ध का योग ज्योतिष में बुधादित्य योग नाम से जाना जाता है| चूँकि ये दोनों अक्सर पास पास ही रहते है इसिलिय अधिकतर कुंडलियों में योग पाया जाता है| सूर्य जो की हमारी आत्मा का कारक है जब उसे बुद्ध रूपी बुद्धि कासाथ मिल जाता है तो उसके शुभ फलों में विरधी होती है| इस योग को राजयोगकारक मानागया है| जातक को ये योग काफी विद्वान बनाता है| जातक को सरकार से लाभ मिलने केयोग बनते है| बुद्ध जातक की विधाता की कलम के समान सहायता करता है| सूर्य बन्दर तो बुद्ध लंगूर की दुम की तरह उसकी हर समय सहायता करने वाली होती है| जातक की उम्र लम्बी लेकिन मौत अचानक होती है| जातक की शिक्षा उसको फायदा देती है|
सूर्य रेखा यदि हाथ मेंमस्तिष्क रेखा तक चली जाए तो जातक की जवानी में किस्मत जागती है| यदि सूर्य के बुर्ज से कोई रेखा बुद्ध के बुर्ज में चली जाए तो जातक का ससुराल आमिर खानदान होता है| जातक का स्त्री पक्ष उत्तम होता है| जातक की किस्मत शीशे की तरह चमकती है| जातक को ज्योतिष योग का लाभ मिलता है| सर रेखा से यदि कोई रेखा बुद्ध यासूर्य के बुर्ज पर चली जाए बुद्ध का निहायत शुभ फल मिलता है| सेहत और व्यवसाय उत्तम होता है लेकिन यदि कुंडली में चन्द्र खराब हो रहा हो तो दिमाकी सदमात जातक को हो सकते है|
इन दोनों के योग वाले जातक की औरत का रंग साफ और नेक दिल | जातक अपनी कमाई पर भरोषा करने वाला होता है| लेकिन इन दोनों केयोग में जातक को खुद के व्यापार की जगह नोकरी से ही ज्यादा लाभ मिलता है | बाकी इन दोनों ग्रहों मेंसेजो मजबूत हो उससे जातक को ज्यादा लाभ होता है जैसे सूर्य सरकार तो बुद्ध व्यापार| दोनों में से किसी एक में फायदा|
पहले भाव में दोनों का योग जातक को शुभ फलदेने वाला होताहै| जातक को सरकार योग ज्तोतिष से लाभ के योग बनते है|
दुसरे भाव में इनका योग होने पर जातक की जिस्मानी और दिमागी ताकत उम्दा होती है|
सूर्य बुद्ध कायोग तीसरे भाव मेंहोने पर जातक का राहू भी शुभ फल देनें वाला हो जाता है बस जातक चला चलन पर काबू रखे|
चोथे ,पांचवें भाव में दोनों अपना अपना फल देंगे|
छटे भाव में बुद्ध उत्तम तो सूर्य मंदा हो जता है| कनिष्का अनामिका से जितनी ज्यादा छोटी हो उतना ही मंद भाग्य होगा ये जितनी अनामिका के पास की होती जाए भाग्य उतना ही मजबूत होगा|
सप्तम भाव मेंइनका योग हो और शुक्र कायम हो तो औरत आमिर खानदान की और उत्तम होगी ,वरना उल्टा फल होगा| इस भाव मेंसूर्य बुद्ध के योग वाला जातक मुशीबत के समय मुसीबत का दरिया बन्दर की तरह छलांग लगाकर पार क्र जाने वाला होता है और यदि ऐसा न हो तो जातक का बचपन और बुढ़ापा अच्छा होगा| ऐसे जातक को ज्योतिष और योग का अभ्याश उत्तम फल देता है|लेकिन यदि इसी समय भाव नम्बर नो में बुद्ध का दुसमन ग्रह हो तो बुद्ध सूर्य के शुभ फल को कम करनेवाला हो जाएगा|
अस्ठ्म भाव मेंइनका योग बहन बुआ बेटी को नुक्सान देगा और यदि कोई ग्रह दुसरे भाव में हुआ तो उसके फल में भी खराबी करेगा|
नवम भाव में योग होने पर जातक की जिन्दगी का हाल लसुड़े की गुठली जैसा होगा हालांकि उम्र के २४वेन साल से लेक र३४वेन साल तक उत्तम फल मिलेग और ३४वेन सालके बाद जातक की विशेष तररकी. केयोग बनतेहै।
दसम भाव में इनका योग होने पर शनी का ज्यादा शुभ जातक को नही मिलेगा|जातक धनवान होगा लेकिन अपने काम खुद बिगाड़ने वाला भी हो सकता है| भाव पहले और दुसरे में सिथत ग्रह को विशेष प्रभाव इन दोनों ग्रहों पर होगा|
ग्यारवें भाव मेंइनका योग हो और जातक के घर में धर्म को मानने वाला पूजा करनेवाला नेक इन्सान हो तो जातक को उत्तम फल मिलता है|
बारवें भाव में दोनोंअपना अपना फल देंगे बुद्ध का फल खराब तो सूर्य का उत्तम फल होगा|
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