बुध ग्रह
वो इंसान अधिक खतरनाक होता है जिसका कोई अपना कोई सिद्धांत न हो और ऐसे आदमी भरोशे के काबिल नही होते बुध ग्रह में ये ही खाशियत है की इसका अपना कोई सिद्धांत नही होता जिस ग्रह के साथ हो वैसा ही फल देने लगता है गंगा गये गंगादास जमना गये जमनादास|
इसिलिय बुध को बहरूपिया हिंजड़ा आदि की संज्ञा दी गई है| खुशहाली हरियाली, खाली स्थान, खांचा, बुद्धि , नकल , नकलची , दलाल , सटेबज, जी हजुरिया चमगादड़ , बहन , लडकी , साली , मोशी , नर्ष , तोता, भेद , बकरी, मूंग , पन्ना , हरारंग, नाक , तांत मुह कास्वाद, साज बाज के समान, कोरा कोग्ज , सितार , टोपी, सुखी घास , सीडी, शंख ,, शिप, पूंछ , मटका, अंडा , प्याज, चोडे पतों वाले पेड़, लोटा आदि बुध के प्रतीक होता है| सूर्य बुध का मित्र है और सूर्य के साथ मिलने पर बुध के दोष नस्ट होकर इसके गुण उत्पन हो जाया करते है| बुध का दूसरा मित्र शुक्र है क्योंकि शुक्र की मिटटी के बगैर बुध की हरियाली हो ही नही सकती | यदि पोधे को मिटटी से उखड दिया जाए तो उसकी हरियाली खत्म होकर उसका रंग पिला (गुरु) का हो जाएगा| दांत (बुध) न रहे तो शुक्र भी आँख फेर लेता है | सिंग (बुध) न रहे तो सांड भी अपनी शुक्र की शक्ति गँवा बैढ़ता है| साज बाज बजने लगे तो शरीर में शुक्र की भावना हिलोरे लेने लगती है| टोपी (बुध ) बिना शर्ट या कुरते( शुक्र) के बिना पहनी तो बुरी लगी| लडकी में शुक्र यानी कामदेव ने जन्म न लिया तो वो बाँझ हुई |
बुध का तीसरा मित्र है राहू| हाथी ( राहू) की सुनड (बुध) ही उसे खाने पिने सूंघने आदि में अति आवश्यक है| किसी भी जानवर की पूंछ (बुध) उसके मानसिक विचारो(राहू) को दर्शाती है| बुधि बुध का श्रेष्ठ होना विचारों(राहु) पर कफी निर्भर करता है यानी की इनका विशेस सम्बन्ध है| ये दोनों सहयोगी और मित्र है और दोनों की ही बुरी हालत यदि किसी कुंडली में होतो जातक की बहुत बुरी हालत होगी|
बुध से चन्द्र दुश्मनी करता है हालांकि बुध चन्द्र को अपना दुश्मन नही मानता इसिलिय जब बुध चन्द्र के चोथे भाव में हो तो व्यापार आदि का उत्तम फल देता है लेकिन को चन्द्र की बचैनी मानसिक अशांति बनी रहती है| बकरी ( बुध) का दूध( चन्द्र) कोई मजबूरी में ही पिया करता है| नाक ( बुध) में चांदी ( चन्द्र} डालने से बुधि बढ़ी लेकिन जैसे ही बच्चे के दांत (बुध) आये माँ का दूध मिलना बंद हो गया| फिटकरी (बुध) ने पानी को निर्मल क्र दिया लेकिन समुन्द्र(चन्द्र) ने शिप(बुध) को बाहर किनारे पर फेंक दिया | कहें का मतलब है की चन्द्र के साथ होने से बुध तो उत्तम हो जाता है लेकिन चन्द्र खराब हो जाता है|
संसार बुध और गुरु की खींचातानी पर चला करता है | जैसे भगवान श्री राम को राजतिलक ( बिर्हस्पती) राम के पिता(बिर्हस्पती ) गुरु वशिस्ठ ( बिर्हस्पती ) ने देना चाह तो नोकरानी मंथरा (बुध) मोशी कैकई(बुध) ने रोड़ा अटकाया| माता (चन्द्र) भाई (मंगल) राम वंश सम्बन्धी(सूर्य) सभी राम के हक में थे लेकिन परेशानी में डाला बुध ने और जंगल में सूर्पनखा की नाक (बुध) ही मुख्य कारण बनी| बाद में बन्दर (सूर्य) भाई लक्ष्मण(मंगल) ऋषि मुनि (बिर्हस्पती ) ने राम का पूरा साथ दिया लेकिन राक्षस ( शनि) रावन (राहू) केतु(मेघनाद) एक साथ एक मंच पर इक्क्ठे हो गये | सीता शुक्र लड़ाई का बहाना बनी | इस प्रकार ग्रहों के दो ग्रुप बने जिसमे एक तरफ गुरु चन्द्र सूर्य मंगल होते है तो दुसरे में बुध शुक्र शनी राहू केतु होते है| इसमें शुक्र का मुख्य रोल होता है वैसे भी शत्रु भाव छटा और मिर्त्यु का भाव आठवां के बिच सातवां शुक्र का ही भाव आता हैबुद्ध को लाल किताब में तीसरे और छटे भाव की मल्कियत दी गई है और थी इनके सामने नोवें और बारवें भाव की मल्कियत बिर्हस्पती को दी गई है यानीं बुद्ध का बिर्हस्पती से आमने सामने का मुकाबला चलता रहता है और ये माना जाता है की तीसरा भाव अपनी सातवी दृष्टी से नोवें भाव को देखता है और छटा भाव बारवें को देखता है लेकिन नोवां तीसरे को और बारवा छटे को नही देखता है लेकिन बुद्ध में ये खासियत है की ये नोवे में होते हुवे तीसरे भाव को देख सकता हैऔर बारवें में होते हुवे छटे भाव को( नोट ये लाल किताब का सिध्हंत है वैदिक का नही) जिसके कारन यदि इन भावों में बुद्ध के दुश्मन ग्रह हुवे तो वो उनका बहुत नुक्सान पहुंचता है|बुद्ध कुंडली में कंही भी हो तीसरे नॉवे छटे और बारेवं भाव को अवस्य प्रभावित करता है\ इसका उदाहरण हम चमगादर से ले सकते है जिसके बारे में ये माना जाता है की यदि वो पेड़ पर सिद्धा बैठा है तो आगे की तरफ और यदि लटका हुआ है तो अपने पीछे की तरफ देखता है और ये सिफत केवल बुद्ध में ही पाई जाती है| नोवें भाव को बुद्ध का कैदखाना माना गया है ऐसेमें कोई ग्रह नोवें भाव में हो और बुद्ध उस ग्रह के पक्के घर में हो तो ग्रह बुद्ध का कैदी होगा और उसी के अनुसार अपना फल देगा| ऐसे में यदि जातक की बुद्धि यानी बुद्ध ठीक हो तो वो काफी ग्रहों के दुस्प्रभाव से बचा रह सकता है| राहू के गंदे विचार और शनी के छल फरेब से जातक जितना दूर रहेगा उतना ही आसन जातक अपना जीवन बना सकता है| जैसाकी उपर गरहो के साथ सम्बन्ध बताया है बुद्ध शनी को अपना मित्र मानता है लेकिन शनी बुध को नही क्योंकि शनी चलाक होता है और वो बुद्ध की सिफ्फ्त को जनता है की पता नही कब किस के साथ मिलकर उसका साथ दे जाए|
जैसा की उपर बताया है की बुद्ध राहू एक साथ हो और किसी मंदे भाव में हो तो जातक का जीवन बहुत बुरा हो जाता है ऐसे में लाल किताब कहती है की ऐसे जातक को जेलखाना पागलखाना दवाखाना या विराना नशीब होता है|
अब आप बुद्ध की सिफ्फ्त तो समझ ही गये होंगे बुद्ध प्रधान व्यक्ति सबकी जी हजुरी करने वाला मीठी वाणी बोलने वाला दिमाक से चतुर व्यापार में सफल होने वाला समाज से सभी से सम्बन्ध बनाकर रखने वाला लेकिन मोकापरस्त होता है|
*बुद्ध खराब होने पर बहन बुआ बेटी से या तो सम्बन्ध खराब हो जाते है या उनकी हालत सही नही रहती| शरीर की नाड़ियों में विकार पैदा हो जाते है\ वाणी में कोई न कोई दोष उत्पन हो जाता है| व्यापार में सफलता नही मिलती है|*
अब बात आती है उपाय की तो उपाय कुंडली में बुद्ध किस भाव में है और अन्य ग्रहों की क्या सिथ्ती है उस पर निर्भर करते है| बुद्ध के सामान्य उपाय ये है जब बुद्ध आपको बुरा फल दे रहा हो तब आप अंडे प्याज का सेवन न करे और न ही इनका व्यापार करे| बहन बुआ बेटी का पूरा अदर सम्मान और उनकी सेवा करे | माँ दुर्गा की पूजा करे | फिटकड़ी के पानी से दांत साफ़ करे| घर में बजने वाले खराब वाध्य यंत्र न रखे कोढ़िया घर में न रखे| कदू यानी पेठा धर्मस्थान में दान करे| बकरी का दान और पंछियों की सेवाउत्तम फल देगी\ हरे रंग का कम से कम प्रयोग करे उर छोटीकन्याओं का आशीर्वाद लें उनको भोजन कराए|
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