ग्रहों की युति के फल
जब दो या दो अधिक ग्रह ग्रह एक ही भाव में एक साथ हो तो उनके फल का अनुमान किस आधार पर लगाया जाए | आज मै इसी के उपर मेरे विचार रख रहा हूँ |
ग्रहों की युति का फल देखते समय हमे पहले तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए की वो काल पुरुष की कुंडली में किस किस भाव के स्वामी है उसी के अनुरूप हमारे प्राचीन ज्योतिषीय विद्वानों ने विभिन्न योगो का उल्लेख ग्रंथो में किया है | उसके बाद हम सामान्य जीवन में जिन ग्रहों की वस्तुओं का प्रयोग करते है उनको साथ मिलाने पर हमे उनका कैसा फल मिलता है उनका ध्यान रखना चाहिए आज इसी विषय पर लिख रहा हूँ |
जैसे दूध चन्द्र का होता है यदि उसमे मंगल का मीठा मिला दिया जाए तो उसका स्वाद और बढ़ जाता है इसिलिय इनका योग ज्योतिष में शुभ मना गया है और इसे महालक्ष्मी योग की संज्ञा दी गई है |
इसी प्रकार यदि दूध में गुरु की कारक वस्तु केसर को मिला दिया जाए तो दूध की ताकत कई गुना बढ़ जाती है इसिलिय कहा जाता है की गुरु के साथ होने पर चन्द्र बली हो जाता है |
इसी प्रकार यदि दूध में केतु की कारक वस्तु खटाई डाल दी जाए तो फट जाता है और किसी काम का नही रहता इसिलिय केतु चन्द्र का योग शुभ नही माना जाता |
दूध में शनी का जहर डालने पर वो जहरीला हो जाता है |
ज्योतिष में चन्द्र गुरु का योग बरगद का पेड़ जो की सबको छाया देने वाला होता है निम् मंगल तो पीपल गुरु यानी की निम् पीपल बरगद त्रिवेणी यानी की मंगल गुरु चन्द्र का योग शुभ फल देने वाला होता है |
इसी प्रकार गुरु पिला फल होता है तो केतु खटाई और इस प्रकार निम्बू इन दोनों के योग को दर्शाता है और बड़ी से बड़ी व्याधि मिटाने में काम आता है इसिलिय गुरु केतु का योग अच्छा माना गया है अध्यात्मिक विकास के लिय |
शुक्र रेत जो मंगल की भटे की अग्नि में जलकर राक्स बन जाती है और किसी काम की नही रहती | यानी की इन दोनों का योग शुभ फल नही देता |
सूर्य गेहू और शनी मॉस सूर्य रौशनी तो शनी अन्धकार सूर्य गर्म तो शनी ठंठा यानी की इन दोनों का कोई मेल नही दुसरे शब्दों में इनके योग का शुभ फल नही मिलता |
गुर धार्मिक स्थान तो शुक्र कपड़ा इन दोनों का योग यानी की धार्मिक स्थान का कपड़ा यानी की शुभ |
गुरु पवित्र नदी तो चन्द्र नदी में बहता हुआ जल याने के पवित्र नदी का जल यानी की शुभ |
गुरु धार्मिक इन्सान तो शनी चालाक यानी की धार्मिकता के साथ चालाकी दुसरे शब्दों में मुह में राम बगल की छूरी|
बुद्ध सीढ़िया राहू टॉयलेट दोनों का शुभ योग नही इसिलिय वास्तु में सीढियों के निचे टॉयलेट से इनकार किया जाता है |
शनी मकान तो उसमे आई हुई दरार राहू यानी की शुभ फल नही |
मित्रों ये आंशिक रूप से कुछ कहने की कोसिस की है ताकि आप आप जीवन में हर ग्रहों की प्रयोग होने वाली वस्तु से उनके फल का अनुमान लगा सकते है जैसे इन ग्रहों के शुभ योग होते है तो अशुभ भी होते जैसे चन्द्र के दूध में केतु की खटाई डालने पर वो फट जाता है लेकिन समझदार लोग उसी फटे हुवे दूध से पनीर बना लेते है यानी की बुरे फल को किसी तरह से अच्छे फल में बदला जा सकता है और ये ही ज्योतिष है की किस तरह आप उनके अशुभ फल को शुभ फल में बदल सके | जैसे की किसी की कुंडली में मंगल बहुत ज्यादा खराब है और उसके जीवन में शुक्र पत्नी का सुख कम होना लिखा है लेकिन यदि ऐसा जातक विधवा आश्रम मंगल चलाता है उसमे सेवा करता है और शुक्र के लिय गौशाला में सेवा आदि करता है तो उसका मिलने वाला बुरा फल काफी हद तक कम हो जाता है और वो अच्छा जीवन व्यतीत कर लेता है |
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