केतु का महत्व
सांसारिक जीवन में हमे दो तरह के केतु जीवन में मिलते है एक वो जो हमे देते है और दुसरे वो जो हमसे लेते है जैसे मामा भांजा बहनोई और साला | मामा पक्ष से हमे हमेशा ही कुछ न कुछ मिलता रहता है तो भांजे को हमे हमेशा ही कुछ न कुछ देते रहना पड़ता है | साला पक्ष से हमे हमारी पत्नी मिलती है तो हमारे वंस को आगे बढाती है तो साला हमे हमेशा ही कुछ न कुछ देते रहते है जबकि बहनोई को हमे हमेशा देते ही रहना पड़ता है सबसे पहले तो हमे हमारी बहन ही उसे सोंप्नी पडती है वो हमारी बहन को अपने साथ ले जाता है जबकि साले की बहन को हम अपने साथ ले आते है | घरों में कुते और चूहे के रूप में हम केतु को देखते है | कुता जो हमारे घर की रखवाली करता है जबकि चूहा जो हमे हमेशा ही नुक्सान पहुंचता है \ इस प्रकार हमारे दैनिक जीवन में अपनी महता हमे बताता है | केतु हमारे एक अच्छे सलाहकार के रूप में भी सहायता करता है और नुक्सान भी पहुंचा देता है जैसे की यदि आपका केतु शुभ फल दे रहा है तो आप यदि किसी अन्य की सलाह से कार्य करते है तो आपको बहुत लाभ मिलता है जबकि यदि केतु खराब हो तो दूसरों से ली हुई सलाह आपकी बर्बादी का कारण बन जाती है \ केतु एक संकेतक के रूप में भी सहायता कर देता हिया जैसे की हम वाहन चला रहे होते है और सामने से कोई हमे इशारा करके बता देता है की आगे खतरा है तो ये एक सहायक के रूप में सिद्ध होता है | केतु का महत्व आप इस बात से भी समझ सकते है लाल किताब कहती है की जब आपका राहू आपको खराब फल दे रहा हो तो केतु के उपाय से आपको राहत मिलेगी |
केतु के बारे में एक कहावत प्रसिद्ध है की केट छुडावे खेत यानी की केतु जिस भाव में हो उस भाव से सम्बन्धित जातक में अलगाव पैदा कर देता है | अन्य ग्रहों की तरह केतु की ज्योतिष में अहम भूमिका होती है | केतु गणेश जी , बेटा , भांजा , ब्याज , सलाहकार , दरवेस , दोहता , कुता , सुवर, छिपकली , कान , पैर , पेशाब , रीड की हड्डी , काले सफेद तिल , खटाई ,इमली , केला , कम्बल ,दहेज़ में मिली हुई खाट, लहसुनिया , भिखारी , मामा , दूरदर्शी , चल चलन , खरगोस , कुली , चूहा आदि का कारक केतु माना गया है | चन्द्र मंगल इसके शत्रु ग्रह शुक्र राहू मित्र ग्रह माने गये है बाकी के ग्रह इसके सम होते है | इसका समय रविवार को उषाकाल का होता है इसिलिय इस से सम्बन्धित उपाय यदि इस समय में किये जाए तो विशेष लाभ मिलता
ज्योतिष में केतु को मोक्ष का कारक ग्रह माना गया है | केतु को लाल किताब में कुल को तारने वाला , दुनिया की आवाज़ को मन्दिर तक पहुचाने वाला साधू ,मौत की निशानी यानी मौत आने का समय बताने वाला , गोली की जगह आकर मरने वाला सुवर ,रंग बिरंगा जिसमे लाल रंग न हो ,पुत्र को केतु माना गया है |
केतु को छलावा माना गया है पापी चाहे कैसा भी हो उसे बुरा ही माना गया है | चूँकि केतु की पाप ग्रह में गिनती होती है इसिलिय इसे बुरा ग्रह मना गया है |
केतु सूर्य के साथ होने पर उसके फल को कम कर देता है तो चन्द्र के साथ होने पर चन्द्र को ग्रहण लगा देता है | मंगल या शनी के साथ होने पर बुरा फल नही देता है लेकिन इन दो के साथ यदि कोई तीसरा ग्रह हो तो फिर तीनो का फल ही मंदा हो जाता है | गुरु के साथ उत्तम फल देता है और बुद्ध के साथ होने पर केतु बूरे फल देता है जबकि शुक्र के साथ होने पर केतु शुक्र की सहायता करता है |
चूँकि केतु संतान का कारक है और चन्द्र माता का इसिलिय जब कभी भी केतु चन्द्र के साथ हो या चन्द्र के खाना नम्बर चार में हो तो जातक को संतान से सम्बन्धित समस्या और माता को परेशानी और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है |
केतु के बारे में एक मुख्य कथन है की ना तो चारपाई टूटे न ही बुढिया मरे और न ही बिमारी मालुम हो और न ही सब कुछ सही हो | धीरे धीरे तीर कमान की तरह झुकते जाना मगर टूटना नही यानी की तड़फ ते जाना लेकिन मौत भी न मिलना केतु की ही करामात होती है | जैसा की आपने देखा होगा की कोई उम्र दराज इन्सान चारपाई में काफी समय तक रहता है और दुःख पाता रहता है लेकिन उसे मौत भी नशीब नही होती और ऐसी मौत केवल केतु देता है |
कुंडली में जब केतु बुरा हो तो उसका बुनियादी ग्रह शुक्र को भी आराम नही मिलता | जैसा की आपको पता है की केतु { पुत्र } शुक्र { रज ,वीर्य, पत्नी } का ही नतीजा होता है इसिलिय इसे इसका बुनिआय्दी ग्रह शुक्र कहा गया है | साथ ही जब कभी भी शुक्र को उसके साथी बुध की मदद न मिले या फिर कुंडली में मंगल बद हो तो केतु के उपाय से शुक्र को मदद मिलेगी | शुक्र शनी की गाडी केतु पहिये के बिना आगे नही बढ़ सकती | लाल किताब में केतु को बिर्हस्पती के बराबर का ग्रह माना गया है और केतु को गुरु का चेला कहा गया है ऐसे में जब शुक्र की मदद करने वाला केतु मंदा हो तो उसको ठीक करने के लिय बिर्हस्पती का उपाय करना होगा और फिर केतु शुक्र को मदद देगा | केतु जब भी बुद्ध के साथ या बुद्ध के घर तीन या छटे भाव में होगा बुरा फल देगा |
केतु पीठ का कारक माना गया है इसिलिय उभरी हुई पीठ रईसी की निशानी होगी जबकि छोटी पीठ गुलामी की |
केतु को अला बला यानी भुत प्रेत का कारक भी माना गया है ऐसे में मकान यदि किसी गली में आखरी कोने का हो या मकान केतु का हो यानी जिस मकान में तिन दरवाजे हो या तिन तरफ से खुला हो और केतु कुंडली में खराब हो तो ऐसी बला का उस मकान पर ज्यादा असर होगा| इस मकान के आसपास को कोई मकान गिरा हुआ यानी बर्बाद और खंडर हालत का होगा और कुतों का वहाँ आवागमन होगा या कोई खाली मैदान भी हो सकता है |
पेशाब की बिमारी होना ,, औलाद से सम्बन्धित समस्या होना , पांव के नाख़ून खराब हो जाना , सुनने की ताकत कम हो जाना अदि केतु खराब होने की निशानी होती है |हाथ केअंगूठे के नाख़ून वाला हिसा छोटा हो तो केतु दुश्मनों के साथ या उनके घर में होगा बुरा फल देगा इसी तरह अगर ये हिसा छोटा हो तो भी केतु बुरा फल देगा |
केतु खराब वाले को कान में सुराख करके सोना पहनना हमेशा लाभ देगा | साधू दरवेश की सेवा करना | धारिवाले कुते की सेवा करना | गणेश जी की पूजा करना, अपाहिज की सेवा करना उसकी सहायता करना अदि केतु के मुख्य उपाय है |
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