Tuesday, January 24, 2017

अस्त ग्रह

अस्त ग्रह

कुण्डली के अन्दर अस्त ग्रह क्या होता है उसका प्रभाव क्या होता है यह जानना कुण्डली फलादेश के लिए जरूरी है।कोई भी ग्रह जब सूर्य के नजदीकी अंशो पर होता है 

उसकी किरणें सूर्य की किरणों द्वारा पराभूत कर दी जाती हैं यानि उसके किरणों में इतनी शक्ति नही होती कि वह जातक पर प्रभाव डाल पाये।ऐसे ग्रह "अस्त ग्रह"कहे जाते है।

कुण्डली में अस्त ग्रह अपने अच्छे या बुरे कोई भी परिणाम  देने में असमर्थ होते हैं।यह जानने के लिए कि कोई ग्रह अस्त है अथवा नहीं,हमें सबसे पहले यह देखना होता है कि सूर्य कितने अंशों पर किस राशि में है।तत्पश्चात नजदीकी ग्रह का अंश देखिए।यदि सूर्य के अंश और उस ग्रह के अंश के बीच 15डिग्री से कम की दूरी हो तो वह ग्रह अस्त माना जाता है।

उदाहरण के लिए सूर्य कन्याराशि में 10डिग्री का है और बृहस्पति कन्या राशि में ही 20डिग्री का है।दोनो ग्रहों के बीच अन्तर 20-10=10डिग्री का है।इसलिए बृहस्पति अस्त है।

ग्रहों के अस्त होने के लिए उनके अंशो के मध्य 15डिग्री से कम का अन्तर होना ही एकमात्र शर्त है चाहे उनकी राशि बदल भी क्यों न जाय।सूर्य के दोनो तरफ 15डिग्री से कम अंशो पर ग्रह अस्त हो सकता है।अस्त ग्रह के बारे मे कुछ विशेष बाते निम्न है

1-सूर्य के द्वारा अस्त ग्रह किसी भी प्रकार का फल देने मे असमर्थ होता है।

2-सूर्य की किरणों द्वारा चन्द्रमा,मंगल ,बुध,बृहस्पति,शुक्र,शनि ग्रह अस्त हो सकते है।

3-अस्त ग्रहों की दशान्तर्दशा प्रायः अशुभ फलदायी ही होता है।

4-मारक ग्रह अस्त हो जाय तो मारक प्रभाव नही दे पाता ऐसे में कभी कभी ग्रहों का अस्त होना शुभफलदायी भी हुआ करता है।

5-सूर्य के नजदीकी अंशो पर राहु अस्त नही होता बल्कि उल्टा सूर्य पर ही ग्रहण लगा देता है।
6-सूर्य से अस्त होने का दोष बुध ग्रह को कम लगता है


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