Tuesday, January 3, 2017

मंगली योग या दोष

मंगली योग या दोष

हिन्दू ज्योतिष में मंगल को लग्न, द्वितीय भाव में (भवदीपिका नामक ग्रंथ), चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में दोष पूर्ण माना जाता है। इन भावो में उपस्थित मंगल मंगली दोष का निर्माण करता है। इन भावो में मंगल को वैवाहिक जीवन के लिए अनिष्टकारक कहा गया है। जन्म कुण्डली में इन पांचों भावों में मंगल के साथ जितने क्रूर ग्रह बैठे हों मंगल उतना ही दोषपूर्ण होता है जैसे दो क्रूर गृह साथ होने पर दोष दुगुना हो जाता है।

द्वितीय भाव में (भवदीपिका नामक ग्रंथ) में विराजित मंगल को मंगली दोष बतया गया है पर अधिकांश ज्योतिषी द्वितीय भाव में मंगली दोष नही मानते क्योंकि हिन्दू ज्योतिष केवल एक ग्रंथ को आधार मान कर निर्णय नही लेता, इसके लिए अनेको ग्रंथो को पड़ा और समझा जाता है।

यह दोष शादी शुदा ज़िंदगी के लिए कष्टकारी माना जाता है। अगर मंगली पुरुष या स्त्री का विवाह मंगली ही पुरुष या स्त्री से न हो तो यह वैवाहिक जीवन को कलह पूर्ण बना देते है। कई लोगो ने भ्रांतिया फैला रखी है कि मंगली का विवाह मंगली से न हो तो दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है जो बात सर्वथा गलत है। मृत्यु होने के लिए अकेला मंगल ही जिम्मेदार नही होता उसके साथ कुंडली में और भी कई स्थितियां होती है जैसे लग्नेश का कमजोर होना, मृत्यु स्थान और लग्न का राशि परिवर्त्तन इत्यादि। हाँ यह बात मानी जा सकती है की मंगली का विवाह अगर मंगली से न हो तो जीवन में कई बार मृत्यु तुल्य कष्ट भोगना पड़ जाता है।

उपाय - मंगली दोष पहला उपाय तो यही है की मंगली व्यक्ति का मंगली से ही विवाह संस्कार करवाया जाये। अगर प्रेम विवाह हो रहा हो या मंगली जीवनसाथी खोजने में परेशानी आ रही हो तो इस के लिए शास्त्रो में कई प्रकार के उपाय बतलाये गए है जैसे कुम्भ विवाह या गट विवाह। भगवान शिव शंकर और माता पार्वती के पूजा जो की एक विधि से की जाती।

मंगल दोष

मंगल काे विवाह के लिए अशुभ क्याे माना जाता है जबकि विवाह में मांगलिक कार्यों में मंगल के रंग (लाल ) का प्रयोग का प्रयोग हम बेहिचक करते हैं मंगल का महत्व विवाह में काफी ज्यादा है मेरा मानना है की सर्वप्रथम की मंगल के बारे में आप सभी नकारात्मक विचार धारा त्याग दें जन्म कुंडली में स्वस्थ मंगल ही हमें भूमि, वाहन व सहोदर, नेता, साहस ये सब मंगल से ही हाेता है ।
लाख हम मजबूत हाे लेकिन हमारा साहस हमारे साथ नहीं है ताे हम कभी भी विपरीत परिस्थिति का सामना नहीं कर सकते मतलब साफ है मगंल का मजबूतपन हमारे कुंडली में हाेने चाहिए ।
आप सब जानते हैं कि हर व्यक्ति में गुण दाेष पाये जाते हैं ठीक उसी प्रकार से ग्रह में भी गुण दाेष पाये जाते हैं
मंगल दछिण दिशा का स्वामी हाेता है व जाति का छात्रिय हाेता मगंल कभी भी परास्त नहीं हाेता अंतिम छण तक हिम्मत प्रदान करता है मगंल मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा का स्वामी है और मंगल के नायक देवता हमारे पूर्ण ब्रह्मचारी हनुमान जी है इसलिए दछिण मुखी हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए ।
विवाह में यह करन है की विलंब हाेता है क्योंकि हनुमानजी जी अविवाहित है आप जानते हैं की लाेहा लाेहे काे कटता है यही करण है की मगंलिक का विवाह, मांगलिक से ही हाेता है ताकि काेइ समस्या न हो पर मेरा मानना है कि अगर मंगल की विधिवत शांति करवाने से भी मंगल शात हाेगा ।
क्यों कि हनुमानजी जी बहुत दयालु है
जन्म कुंडली में जब मगंल 1,4,7,8,12, हाे तो मंगल दाेष लगता है
मित्रों ये बात आप जान ले की विवाह में शानि+मंगल की भूमिका महत्वपूर्ण है अकेला मंगल विवाह के लिए दाेषी नहीं माना जा सकता है
मंगल के उच्च, स्वगृही, हाेकर मगंल दाेष बनने पर मंगल का सूर्य, राहु या शानि के साथ हाेने पर, चंद्र मंगल या गुरु मंगल याेग बनने पर मंगल दाेष में कमी हाेती है,
गुरु के साथ लग्न या केन्द्र में हाेने से मगंल दाेष नगण्य माना जाता है
मंगल पर शुभ ग्रह का प्रबल प्रभाव या दृष्टि या मगंल का अति निर्बल व अस्त हाेने पर मंगल का दाेष खत्म हो सकता है मेरा मानना है की मगंलिक की व्यवस्था विधिवत शांति से गैर मांगलिक से विवाह संभव है
जिनके पास खुद का घर नहीं है वे मकर संक्रांति के दिन कुछ सिद्ध प्रयोग करके अपने समस्या का समाधान कर सकते हैं।

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