*तारा*
भगवती काली, नीली स्वरूप में तारा नाम विख्यात हैं, 'तारा' अर्थात भव सागर से तारने वाली, जन्म तथा मृत्यु के बंधन से मुक्त कर, मोक्ष प्रदान करने वाली। विषम परिस्थितियों में भय मुक्त करने वाली, भक्तों की रक्षा कर समस्त सांसारिक चिंताओं से मुक्ति देने वाली, 'उग्रतारा' के नाम से विख्यात हैं। भगवती तारा, अत्यंत उज्ज्वल प्रकाश बिंदु रुप में, आकाश के तारे के सामान, संपूर्ण ब्रह्मांड मे व्याप्त हैं। तथा ब्रह्मांड में व्याप्त सभी प्रकार के ज्ञान के रुप में, देवी नील सरस्वती नाम से जानी जाती हैं। इन्हीं, भव-सागर से तारने वाली जगत जननी देवी तारा से सम्बद्ध शक्ति पीठ, तारापीठ के नाम से विख्यात हैं। यहाँ देवी, से सम्बंधित एक भव्य मंदिर तथा महा श्मशान हैं तथा बंगाल के बीरभूम जिले में यह सिद्ध पीठ विद्यमान हैं। मान्यता हैं, कि तारापीठ का सम्बन्ध, भगवान शिव की प्रथम पत्नी सती, के अपने पिता के यज्ञ आयोजन में देह त्याग के पश्चात्, शिव द्वारा सती के शव को कंधे पर रख तांडव नृत्य करने पर तीनो लोको के विध्वंस देख, भगवान विष्णु द्वारा अपने सुदर्शन चक्र से सती के मृत देह के टुकड़े करने से हैं। इस स्थान पर देवी का तीसरा नेत्र पतित हुआ था, जो क्रोधित होने या उग्र रूप का प्रतिक हैं। समुद्र मंथन के समय जब "कालकूट विष" निकला, उसे बिना किसी क्षोभ या शंका के, उस हलाहल विष को पीने वाले भगवान शिव ही 'अक्षोभ्य' के नाम से जाने जाते हैं और उनके साथ देवी तारा विराजमान हैं। शिव शक्ति संगम तंत्र में अक्षोभ्य शब्द का अर्थ महादेव को कहा गया हैं। अक्षोभ्य को दृष्टा ऋषि शिव कहा गया है। अक्षोभ्य शिव या ऋषि को मस्तक पर धारण करने वाली देवी तारा, तारिणी अर्थात भव बंधन तथा समस्त प्रकार के समस्याओं से तारने वाली हैं। उनके मस्तक पर स्थित पिंगल वर्ण, उग्र जटा का भी अद्भुत रहस्य हैं। फैली हुई उग्र पीली जटाएं सूर्य की किरणों की प्रतिरूपा हैं, देवी का यह स्वरूप एकजटा के नाम से विख्यात हैं। इस प्रकार अक्षोभ्य यानी भगवान शिव एवं पिंगोगै्रक जटा धारिणी उग्र तारा, "एकजटा" के रूप में जानी जाती हैं। वे ही उग्र तारा शव के हृदय पर चरण रखकर उस शव को शिव मैं परिवर्तित करने वाली "नील सरस्वती" हो जाती हैं। तारा मां श्मशान वासिनि तथा अत्यन्त ही भयंकर स्वरूप वाली हैं, जलते हुऐ चिता, पर देवी प्रत्यालिङ मुद्रा (जैसे एक वीर योद्धा युद्ध के लिये दाहिने पैर आगे बढ़ाये हुऐ) पर खङी हुई हैं। मां तारा अज्ञान रूपी शव पर प्रत्यालिङ मुद्रा में विराजमान हैं और उस शव को ज्ञान रूपी शिव में परिवर्तित कर अपने मस्तक पर धारण किए हुए हैं जिन्हें अक्ष्योभ शिव या ऋषि के नाम से जाना जाता हैं। ऐसी असदाहरण शक्ति और विद्या कि ज्ञाता हैं, देवी तारा। मां की अराधना विशेषतः मोक्ष पाने के लिए कि जाती हैं, देवी मां मोक्ष दायिनी हैं। देवी मां भोग और मोक्ष एक साथ भक्त को प्रदान करती हैं। परन्तु व्यवहारिक दृष्टि से मां का स्वरूप अत्यन्त ही भयंकर होते हुऐ भी, स्वाभाव अत्यंत ही कोमल ऐव्मं सरल हैं। ऐसा इस संसार में कुछ भी नहीं हैं जो मां अपने भक्तों या साधको को प्रदान करने में असमर्थ हैं। तारा कुल कि तिन देवीयों में, नील सरस्वती, अनेको सरस्वती कि जननी हैं, ब्रह्माण्ड में जो भी ज्ञान ईधर-उधर बटा हुआ हैं, उसे एक जगह संयुक्त करने पर मां नील सरस्वती की उत्पत्ति होती हैं, देवी मां अपने अन्दर सम्पूर्ण ज्ञान समाये हुए हैं, फलस्वरूप देवी मां का भक्त प्ररम ज्ञानी हो जाता हैं, मूर्ख या जड़ भी वाचस्पति हो जाता हैं।
मंत्र: ऐं ओं ह्रीं क्लीं हूँ फट् ।
ये विधि और मंत्र बिना गुरु की अनुमति नहीं करना चाहिए,
गुप्त नवरात्रि टोने-टोटकों के लिए बहुत ही उत्तम समय रहता है। गुप्त नवरात्रि में तंत्र शास्त्र के अनुसार इस
दौरान किए गए सभी तंत्र प्रयोग शीघ्र ही फल देते हैं।
यदि आप गरीब हैं और धनवान होना चाहते हैं गुप्त
नवरात्रि इसके लिए बहुत ही श्रेष्ठ समय है। नीचे लिखे
टोटके को विधि-विधान से करने से
आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूरी होगी।
गुप्त नवरात्रि में पडऩे वालेशुक्रवार को रात 10 बजे के
बाद सभी कार्यों से निवृत्त होकर उत्तर
दिशा की ओर मुख करके पीले आसन पर बैठ जाएं। अपने
सामने तेल के 9 दीपक जला लें। ये दीपक साधनाकाल
तक जलते रहने चाहिए। दीपक के सामने लाल चावल
की एक ढेरी बनाएं फिर उस पर एक श्रीयंत्र रखकर
उसका कुंकुम, फूल, धूप, तथा दीप से पूजन करें। उसके बाद
एक प्लेट पर स्वस्तिक बनाकर उसे अपने सामने रखकर
उसका पूजन करें। श्रीयंत्र को अपने पूजा स्थल पर
स्थापित कर लें और शेष सामग्री को नदी में प्रवाहित
कर दें। इस प्रयोग से धनागमन होने लगेगा।
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*——–माँ शक्ति को प्रसन्न करने का प्रमुख मंत्र——-*
धूप दीप प्रसाद माता को अर्पित करें
रुद्राक्ष की माला से ग्यारह माला का मंत्र जप करें
दुर्गा सप्तशती का पाठ करें
*मंत्र-ॐ ह्रीं सर्वैश्वर्याकारिणी देव्यै नमो नम:*
पेठे का भोग लगाएं
दस महाविद्याओं से पाइए मनचाही कामना—–
*———————काली———————-*
लम्बी आयु,बुरे ग्रहों के प्रभाव,कालसर्प,मंगलीक
बाधा,अकाल मृत्यु नाश आदि के लिए
देवी काली की साधना करें
हकीक की माला से मंत्र जप करें
नौ माला का जप कम से कम करें
*मंत्र-क्रीं ह्रीं ह्रुं दक्षिणे कालिके स्वाहा:*
*———————तारा———————–*
तीब्र बुद्धि रचनात्मकता उच्च शिक्षा के लिए करें
माँ तारा की साधना
नीले कांच की माला से मंत्र जप करें
बारह माला का जप करें
*मंत्र-ॐ ह्रीं स्त्रीं हुम फट*
*——————-त्रिपुर सुंदरी——————–*
व्यक्तित्व विकास पूर्ण स्वास्थ्य और सुन्दर काया के
लिए त्रिपुर सुंदरी देवी की साधना करें
रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें
दस माला मंत्र जप अवश्य करें
*मंत्र-ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः*
*——————भुवनेश्वरी————————*
भूमि भवन बाहन सुख के लिए
भुबनेश्वरी देवी की साधना करें
स्फटिक की माला का प्रयोग करें
ग्यारह माला मंत्र जप करें
*मन्त्र-ॐ ह्रीं भुबनेश्वरीयै ह्रीं नमः*
*——————छिन्नमस्ता———————-*
रोजगार में सफलता,नौकरी पद्दोंन्ति के लिए
छिन्नमस्ता देवी की साधना करें
रुद्राक्ष की माला से मंत्र जप करें
दस माला मंत्र जप करना चाहिए
*मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं ऐं वज्र वैरोचानियै ह्रीं फट स्वाहा:*
*—————–त्रिपुर भैरवी———————–*
सुन्दर पति या पत्नी प्राप्ति,प्रेम विवाह,शीघ्र
विवाह,प्रेम में सफलता के लिए त्रिपुर
भैरवी देवी की साधना करें
मूंगे की माला से मंत्र जप करें
पंद्रह माला मंत्र जप करें
*मंत्र-ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा:*
*——————धूमावती————————*
तंत्र मंत्र जादू टोना बुरी नजर और भूत प्रेत आदि समस्त
भयों से मुक्ति के लिए धूमावती देवी की साधना करें
मोती की माला का प्रयोग मंत्र जप में करें
नौ माला मंत्र जप करें
*मंत्र-ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:*
*—————–बगलामुखी———————–*
शत्रुनाश,कोर्ट कचहरी में विजय,प्रतियोगिता में
सफलता के लिए माँ बगलामुखी की साधना करें
हल्दी की माला या पीले कांच
की माला का प्रयोग करें
आठ माला मंत्र जप को उत्तम माना गया है
*मन्त्र-ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नम:*
*——————-मातंगी————————-*
संतान प्राप्ति,पुत्र प्राप्ति आदि के लिए
मातंगी देवी की साधना करें
स्फटिक की माला से मंत्र जप करें
बारह माला मंत्र जप करें
*ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:*
*——————-कमला————————-*
अखंड धन धान्य प्राप्ति,ऋण नाश और
लक्ष्मी जी की कृपा के लिए
देवी कमला की साधना करें
कमलगट्टे की माला से मंत्र जप करें
दस माला मंत्र जप करना चाहिए
*मंत्र-हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:*
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