Thursday, January 5, 2017

नर्वस होना बहुत से लोगो के लिए एक बड़ी समस्या बनी रहती ह

घबराहट या जल्दी नर्वस होना बहुत से लोगो के लिए एक बड़ी समस्या बनी रहती है जिसमे व्यक्ति के मन में किसी भी बात को लेकर बहुत जल्दी घबराहट उत्पन्न हो जाती है और व्यक्ति बहुत जल्दी नर्वस हो जाता है उदाहरण के तौर पर कुछ लोगों को भीड़ में या अधिक लोगों के बीच होने पर घबराहट महसूस होने लगती है तो बहुत से व्यक्तियों को इंटरवियु या किसी भी कॉम्पटीशन या एग्जाम पर जाते समय बहुत घबराहट होती है इस प्रकार कुछ लोग सफर पर जाते समय या किसी बड़े समारोह आदि में जाने पर घबराहट महसूस करते हैं इस समस्या के कारण हमेशा मन में एक भय की स्थिति भी बनी रहती है तो आईये जानते हैं कौनसे ग्रह योग व्यक्ति व्यक्ति को घबराहट और जल्दी नर्वस होने की समस्या देते हैं।
ज्योतिषीय दृष्टि में घबराहट या अधिक नर्वस होने की समस्या के लिए चन्द्रमा, सूर्य तथा कुंडली के लग्न और लग्नेश (प्रथम भाव का स्वामी ग्रह) को महत्वपूर्ण माना गया है माना गया है पर इनमे भी चन्द्रमाँ का सर्वाधिक महत्व होता है। चन्द्रमाँ को ज्योतिष में मन का कारक माना गया है हमारी मानसिक स्थिति, भावनात्मक गतिविधियां, विचार और मानसिक शक्ति को चन्द्रमाँ ही नियंत्रित करता है यदि कुंडली में चन्द्रमाँ नीच राशि (वृश्चिक) में हो राहु-केतु या शनि के साथ हो इनसे दृष्ट हो अमावश्या का हो या कुंडली के छटे, आठवे भाव में होने से पीड़ित हो तो ऐसे में पीड़ित या कमजोर चन्द्रमाँ के कारण व्यक्ति को मानसिक अस्थिरता, स्ट्रेस और डिप्रेशन आदि समस्याएं तो होती ही हैं पर पीड़ित या कमजोर चन्द्रमाँ ही घबराहट और जल्दी नर्वस हो जाने की समस्या उत्पन्न करता है कुंडली में चन्द्रमाँ पीड़ित होने पर व्यक्ति की मानसिक शक्ति भी कमजोर हो जाती है जिससे व्यक्ति को नकारात्मक सोच, अपने आप ही विपरीत परिस्थितियों की कल्पना करना घबराहट और जल्दी नर्वस हो ने की समस्या अक्सर ही बनी रहती है और छोटी छोटी बातों से भी व्यक्ति बहुत घल्दी नर्वस हो जाता है। इसके अलावा सूर्य को इच्छा शक्ति, आत्मविश्वास और आंतरिक सकारात्मक ऊर्जा का कारक माना गया है यदि कुंडली में सूर्य नीच राशि (तुला) में हो राहु या शनि से पीड़ित हो या पाप भावों में होने से कमजोर स्थिति में हो तो ऐसे में व्यक्ति का आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बहुत कमजोर पड़ जाती है और जिस कारण व्यक्ति परिस्थितियों का सामना करने से घबराता है और जल्दी नर्वस हो जाता है। इसी प्रकार लग्न और लग्नेश भी व्यक्ति के आत्मविश्वास और आंतरिक सकारात्मक ऊर्जाओं को नियंत्रिक करते हैं इसलिए लग्न में कोई पाप योग( ग्रहण योग, गुरु चांडाल योग आदि) बनने पर या लग्नेश नीचस्थ या पाप भाव (6,8,12) में होकर पीड़ित होने पर भी व्यक्ति आत्मविश्वास और आंतरिक सकारात्मक ऊर्जाओं की कमी के कारण घबराहट और जल्दी नर्वस होने की समस्या का सामना करता है। तो उपरोक्त के अनुसार वैसे तो चन्द्रमा, सूर्य और लग्नेश तीनो की ही यहाँ संयुक्त भूमिका होती है पर विशेष रूप से पीड़ित चन्द्रमाँ ही घबराहट और नर्वस होने की समस्या का मुख्य कारण होता है।
यदि कुंडली में चन्द्रमाँ या सूर्य पीड़ित होने से उपरोक्त समस्याएं उत्पन्न हो रही हों तो निम्नलिखित उपाय इसमें लाभदायक होंगे –
1. ॐ सोम सोमाय नमः का नियमित जाप करें।
2. आदित्य ह्रदय स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करना इस समस्या के लिए अमृत तुल्य है।
3. प्रतिदिन सूर्य को ताम्र पत्र से जल दें।
4. हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें।
5. किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह के बाद कुंडली के लग्नेश ग्रह का रत्न धारण करें।
6. चाँदी की एक ठोस गोली (5 से 10 ग्राम तक) का लॉकेट गले में धारण करें।
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