मांगलिक की चर्चा
जिनकी कुंडली में लग्न चतुर्थ सप्तम अष्टम और बाहरवें भाव में मंगल हो तो मांगलिक और केवल शनि सूर्य राहु केतु हो तो आंशिक मांगलिक और दोनों हो तो डबल मांगलिक बनाता हे। अगर मंगल स्वराशि का हो या उच्च का हो तो यह दोष कुछ कम हो जाता हे। जो मांगलिक होते हे उनके जीवन में बार संकट आते रहते हे ।
लग्न में मंगल होने के कारण गुस्सा तेज रहता हे माँ की तबियत अक्सर खराब रहती हे। पति या पत्नी ज्यादा दिखावा करते हे। पेट और पाँव के रोग बनते हे। अक्सर चोट लगती रहती हे।
मंगल चतुर्थ भाव में हो तो बी पी की शिकायत दाम्पत्य जीवन में उथल पुथल सरकारी नोकरी के योग या राजकीय दोस्ती और जमीन जायदाद में फायदा होता हे।
मंगल सप्तम भाव में हो तो वैवाहिक जीवन में गड़बड़ हो सकती हे। जरूरत से ज्यादा आक्रोश और तेज वाणी में बोलने की आदत रहती हे।
मंगल अष्टम भाव में हो तो सर दर्द खून की कमी अक्सिडेंड होने की सम्भावना अचानक घन की प्राप्ति और परिवार में सबसे दुरी बनती रहती हे।
मंगल बाहरवें भाव में हो तो हमेशा इधर उधर भागना। बड़े भाई या बहन से विवाद हमेशा कोई न कोई रोग या शत्रु पक्ष से परेशान रहते हे। कर्ज की सम्भावना बढ़ती रहती हे।
No comments:
Post a Comment