*🙏रामचरितमानस की चौपाइयों में ऐसी क्षमता है कि इन चौपाइयों के जप से ही मनुष्य बड़े-से-बड़े संकट में भी मुक्त हो जाता है।*
*इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग अवश्य करे*
*1.रक्षा के लिए*
मामभिरक्षक रघुकुल नायक।
घृत वर चाप रुचिर कर सायक
*2.विपत्ति दूर करने के लिए*
राजिव नयन धरे धनु सायक
भक्त विपति भंजन सुखदायक
*3.सहायता के लिए*
मोरे हित हरि सम नहि कोऊ
एहि अवसर सहाय सोई होऊ
*4. सब काम बनाने के लिए*
वंदौ बाल रुप सोई रामू
सब सिधि सुलभ जपत जेहि नामू
*5.वश मे करने के लिए*
सुमिर पवन सुत पावन नामू
अपने वश कर राखे रामू
*6.संकट से बचने के लिए*
दीन दयालु विरद संभारी
हरहु नाथ मम संकट भारी
*7.विघ्न विनाश के लिए*
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही
राम सुकृपा बिलोकहिं जेहि
*8.रोग विनाश के लिए*
राम कृपा नासहि सव रोगा
जो यहि भाँति बनहि संयोगा
*9.ज्वार ताप दूर करने के लिए*
दैहिक दैविक भौतिक तापा
राम राज्य नहि काहुहि व्यापा
*10.दुःख नाश के लिए*
राम भक्ति मणि उर बस जाके
दुःख लवलेस न सपनेहु ताके
*11.खोई चीज पाने के लिए*
गई बहोरि गरीब नेवाजू
सरल सबल साहिब रघुराजू
*12.अनुराग बढाने के लिए*
सीता राम चरण रत मोरे
अनुदिन बढउँअनुग्रह तोरे
*13.घर मे सुख लाने के लिए*
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि
सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं
*14.सुधार करने के लिए*
मोहि सुधारहि सोई सब भाँती
जासु कृपा नहि कृपा अघाती
*15.विद्या पाने के लिए*
गुरू गृह पढन गए रघुराई
अल्प काल विद्या सब आई
*16.सरस्वती निवास के लिए*
जेहि पर कृपा करहि जन जानी
कवि उर अजिर नचावहि बानी
*17.निर्मल बुद्धि के लिए*
ताके जुग पद कमल मनाऊँ
जासु कृपा निर्मल मति पावऊँ
*18.मोह नाश के लिए*
होय विवेक मोह भ्रम भागा
तब रघुनाथ चरण अनुरागा
*19.प्रेम बढाने के लिए*
सब नर करहिं परस्पर प्रीती
चलत स्वधर्म कीर्ति श्रुति रीती
*20.प्रीति बढाने के लिए*
बैर न कर काहू सन कोई
जासन बैर प्रीति कर सोई
*21.सुख प्रप्ति के लिए*
अनुजन संयुत भोजन करही
देखि सकल जननी सुख भरहीं
*22.भाई का प्रेम पाने के लिये*
सेवाहि सानुकूल सब भाई
राम चरण रति अति अधिकाई
*23.बैर दूर करने के लिए*
बैर न कर काहू सन कोई
राम प्रताप विषमता खोई
*24.मेल कराने के लिए*
गरल सुधा रिपु करहि मिताई
गोपद सिंधु अनल सितलाई
*25.शत्रु नाश के लिए*
जाके सुमिरन ते रिपु नासा
नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा
*26.रोजगार पाने के लिए*
विश्व भरण पोषण करि जोई
ताकर नाम भरत अस होई
*27.इच्छा पूरी करने के लिए*
राम सदा सेवक रूचि राखी
वेद पुराण साधु सुर साखी
*28.पाप विनाश के लिए*
पापी जाकर नाम सुमिरहीं
अति अपार भव भवसागर तरहीं
*29.अल्प मृत्यु न होने के लिए*
अल्प मृत्यु नहि कबनिहूँ पीरा
सब सुन्दर सब निरूज शरीरा
*30.दरिद्रता दूर के लिए*
नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना
नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना
*31.प्रभु दर्शन पाने के लिए*
अतिशय प्रीति देख रघुवीरा
प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा
*32.शोक दूर करने के लिए*
नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी
आए जन्म फल होहिं विशोकी
*33.क्षमा माँगने के लिए*
अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता
क्षमहुँ क्षमा मन्दिर दोऊ भ्राता
*🙏*
Friday, December 9, 2016
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