नक्षत्र:रोहिणी
*रोहिणी*
रोहिणी नक्षत्र का वैदिक नाम रोहिणी ही है!इस नक्षत्र में पांच तारे मिलकर शकट अर्थात गाड़ी की आकृति का निर्माण करते हैं!संहिता ग्रंथों में रोहिणी को शकट-भेदन कहा गया है!रोहिणी का अर्थ है ऊपर की ओर बढ़्ने वाली वस्तुएं!इस नक्षत्र का स्वामी ब्रह्मा को माना गया है!नौ ग्रहों में चंद्र रोहिणी नक्षत्र का अधिपति है!यह स्थिर नक्षत्र है,अर्थात इसमें स्थिरता वाले कार्य जैसे गृह-प्रवेश,बिजाई,व्यापार शुरू करना,मंदिर बनाना आदि कार्य शुरू किये जा सकते हैं!यह ऊर्ध्वमुख नक्षत्र है अर्थात ऊपर की ओर बढ़ने वाले कार्य जैसे नौकरी शुरू करना,बड़े पद को ग्रहण करना,और विकासशील कार्य शुरू किये जा सकते हैं!चैत्र मास का रोहिणी नक्षत्र शून्यसंज्ञक होता है,इस दिन कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए!शनिवार को रोहिणी नक्षत्र हो तो अमृतसिद्धि योग का निर्माण होता है और यही नक्षत्र सोमवार को हो सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण होता है!अपवाद के रूप में शनिवार को रोहिणी नक्षत्र हो और उसी दिन एकादशी भी हो तो विषयोग का निर्माण होता है,जो सभी शुभ कार्यों के लिए वर्जित है!इस नक्षत्र के लिए जामुन की पूजा की जाती है!रोहिणी नक्षत्र की जाति किसान,मजदूर या हलवाहे की होती है!यह नक्षत्र स्त्रीसंज्ञक होता है!गोत्र का संबंध अत्रि मुनि से है!इसकी नाड़ी अन्त्या,गण मनुष्य और योनि सर्प की होती है!यह कालपुरुष की आँखों का स्वामित्व रखता है!अनुमष्तिष्क,ग्रीवा कशेरुक और तालू पर इसी नक्षत्र का अधिकार होता है!भूसे की गाडी के आकार जैसा यह नक्षत्र फरवरी माह मे रात को 9 बजे तक दिखाई देता है!
कारकत्व:-रोहिणी नक्षत्र अधिकता से सम्बंधित है जैसे कोई आपको प्रश्न करे कि बारिश होगी क्या? उस वक्त चंद्र और लग्न का सम्बन्ध रोहिणी नक्षत्र से हो तो अच्छी बारिश होती है!जुबान के पक्के,व्यापारी,अधिकारी,योगी,पानी के जीव,खेती करने वाले,जंगली प्रदेश!
नक्षत्रफल:-रोहिणी का संबंध विकास से है!सत्यवादी,चतुर,तेजस्वी,स्थिति को भांप लेने वाले,निडर,सांसारिक सुखों में तल्लीन,खेती से प्रेम,वाक्-पटु होते हैं!
पदार्थ:-रस वाले पदार्थ,ऊन,समय सात दिन!
व्यक्ति:-इनकी आँखें बड़ी-बड़ी होती है!अपने लक्ष्य के प्रति निष्ठावान होता है!नए विचार व परिवर्तन का स्वागत करता है!व्यवस्थित ढ़ग से काम करना रोहिणी नक्षत्र का विशिष्ट गुण है!जलचर,कृषक,राजसिक प्रवृत्ति के लोग,ट्रेवल एजेंट,जहाज का कप्तान इत्यादि!
रोहिणी नक्षत्र का वैदिक मंत्र:-ब्रह्मजज्ञानं प्रथमम्पुरस्ताद्विसीमः सुरुचे वेन आयवः सबुध्न्या उपमा अस्य विष्ठा: सतश्च योनिमसतश्च विध: !!
बीमारियाँ:-गले की खराश,पाँव व छाती में दर्द,स्त्रियों को अनियमित मासिक!
मानसिक गुण:-सौंदर्य-प्रेमी,मधुर भाषी,स्थिर मानसिकता,प्रिय मिजाज वाला,शुद्ध ह्रदय,परोपकारी!
व्यवसाय:-यह कृ्षि उत्पादन व खनिज उद्योग से जुडा़ है!यात्रा वृत्तांत लेखक,आवास का क्रय-विक्रय करने वाला,
विशेष:-पौराणिक कथाओं के अनुसार रोहिणी चन्द्रमा की सत्ताईस पत्नियों में सबसे सुदर है!कृष्ण जी का जन्म भाद्रपद मास की कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था!
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