कुंडली से जानें क्यों होता है पति-पत्नी में झगड़ा
यदि पति-पत्नी में बार-बार झगड़े की स्थिति आती है और इसमें तीव्रता भी आ जाती है, तो यह चिंता का विषय होता है।
आइए, देखते हैं क्यों होता है पति-पत्नी में झगड़ा कुछ इसके ज्योतिषीय कारण :
विवाह पूर्व कुंडली मिलान आवश्यक होता है। जब दो व्यक्ति जिंदगीभर विवाह बंधन में बंधकर एकसाथ रहने का फैसला करते हैं तो सामान्यतया वे एक-दूसरे के वास्तविक स्वभाव से अनभिज्ञ रहते हैं। अत: कुंडली मिलान इसमें बड़ी सहायता करता है।
यदि वर-वधू की कुंडली में शास्त्र अनुसार 18 गुण से कम का गुण मिलान हुआ है, तो झगड़े की आशंका अधिक होती है। गुण-दोष, भकूट का मिलान न होना, राशि मैत्री का न होना आदि बातें सामने आती हैं।
विवाह पूर्व कुंडली मिलान के साथ-साथ ही मंगल दोष भी देखा जाता है। यदि किसी एक की पत्रिका मंगली है और दूसरे की नहीं, तो ऐसी स्थिति में झगड़े की आशंका बनती है।
झगड़े की संभावना को हम कुंडली में सप्तमेश की स्थिति से बहुत अच्छे से समय सकते हैं, जो इस प्रकार है-
* यदि सप्तमेश 6ठे, 8वें या 12वें घर में स्थित हो। इसके अलावा व्यवहार रूप में यह भी देखा गया है कि यदि सप्तमेश पंचम में स्थित हो तो भी यह कलह का एक कारण बनता है। कुंडली में सप्तम भाव में क्रूर ग्रहों यथा शनि, मंगल, सूर्य, राहु या केतु की पूर्ण दृष्टि हो या इन ग्रहों में से अधिकांश की युति सप्तम घर में हो।
* यदि कुंडली में सप्तम भाव में षष्ठेश, अष्टमेश अथवा द्वादशेश स्थित हों।
* सप्तमेश अस्त हो, वक्री हो अथवा निर्बल।
* यदि सप्तमेश शनि, मंगल, सूर्य या राहु से युत हो।
* यदि सप्तमेश षष्ठेश, अष्टमेश तथा द्वादशेश से युत हो।
* कुंठली में सप्तमेश, षष्ठेश, अष्टमेश अथवा द्वादशेश के नक्षत्र में स्थित हो।
कुंडली में चतुर्थ स्थान को सुख स्थान कहा गया है और यदि चतुर्थ भाव या चतुर्थेश पाप ग्रहों युत या दृष्ट होता है या चतुर्थेश निर्बल होता है तो पत्नी से झगड़ा या खिन्नता बनी रहती है।
वृश्चिक लग्न का होना
यदि आपकी अथवा जीवनसाथी की कुंडली में वृश्चिक लग्न हो तो झगड़े की आशंका ज्यादा रहती है।
* यदि आपकी या जीवनसाथी की कुंडली में ऐसे ग्रहों की दशाएं चल रही हैं तो षष्ठेश, अष्टमेश या द्वादशेश की दशाएं हैं तो भी झगड़ा होता है।
* यदि जीवनसाथी या आपकी कुंडली में ऐसे ग्रहों की दशाएं चल रही हैं, जो छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हैं तो भी झगड़ा होता है।
गोचर ग्रह
* यदि आपकी अथवा जीवनसाथी की चंद्र कुंडली में चंद्रमा सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में गोचर का रहा हो।
* इसी प्रकार आपकी अथवा जीवनसाथी की चंद्र कुंडली में मंगल व सूर्य सप्तम, अष्ठम या द्वादश भाव में गोचर कर रहा हो, यही स्थिति राहु की भी रहती है।
शनि की साढ़े साती
यदि आपकी अथवा जीवनसाथी की राशि पर शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया का प्रभाव हो तो झगड़े की आशंका रहती है।
अन्य योग
यदि आपकी अथवा जीवनसाथी की कुंडली में भाग्येश, दशमेश, आयेश, धनेश और चतुर्थेश की स्थिति अशुभ तथा निर्बल हो तो भी झगड़े की स्थिति बनती है। उक्त स्थिति में उपाय रूप में पति को शुक्र संबंधी तथा पत्नी को गुरु संबंधी उपाय करने चाहिए।
शुक्र संबंधी उपयोग में श्वेत वस्तुओं यथा- शकर, मिश्री, चावल, दूध आदि का दान प्रात:काल करना श्रेष्ठ है। गुरु संबंधी उपायों में पीले अनाज, वस्त्र, हल्दी, पीले फूल, फल आदि का दान किया जा सकता है। पति-पत्नी में से कोई एक या दोनों को ब्लू सफायर, स्फटिक या फिरोजा रत्न पहनना चाहिए।
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