शुक्र :---वक्री होने पर शुक्र के शुभ या अशुभ फल देने के स्वभाव में कोई अंतर नहीं आता अर्थात किसी कुंडलीविशेष में सामान्य रूप से शुभ फल देने वाले शुक्र वक्री होने की स्थिति में भी उस कुंडली में शुभ फल ही प्रदान करेंगे तथा किसी कुंडली विशेष में सामान्य रूप से अशुभ फल देने वाले शुक्र वक्री होने की स्थिति में भी उस कुंडली में अशुभ फल ही प्रदान करेंगे किन्तु वक्री होने से शुक्र के व्यवहार में कुछ बदलाव अवश्य आ जाते हैं। वक्री शुक्र आम तौर पर कुंडली धारक को सामान्य से अधिक संवेदनशील बना देते हैं तथा ऐसे लोग विशेष रूप से अपने प्रेम संबंधों तथा अपने जीवन साथी को लेकर बहुत भावुक, तथा अधिकार जताने वाले होते हैं। पुरुषों की जन्म कुंडली में स्थित वक्री शुक्र जहां उन्हें अति भावुक तथा संवेदनशील बनाने में सक्षम होता है वही पर महिलाओं की जन्म कुंडली में स्थित वक्री शुक्र उन्हें आक्रमकता प्रदान करता है। ऐसी महिलाएं आम तौर पर अपने प्रेमी या जीवन साथी पर अपना नियंत्रणरखती हैं तथा संबंध टूट जाने की स्थिति में आसानी से अपने प्रेमी या जीवन साथी का पीछा नहीं छोड़तीं और कई बार बदला लेने पर भी उतारु हो जातीहैं। इन बदलावों के अतिरिक्त आम तौर पर वक्री शुक्र अपने सामान्य स्वभाव की तरह ही आचरण करते हैं।
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