चन्द्र के शुभ योग
नवग्रहों में चन्द्रमा को शुभ ग्रह माना जाता है. यह हमारी पृथ्वी का सबसे नजदीकी ग्रह भी है अत: इसका प्रभाव भी जल्दी होता है. जन्म कुण्डली में चन्द्र जिस राशि मे बैठा होता है वही व्यक्ति का राशि होता है. चन्द्र राशि का महत्व लग्न के समान ही होता है. फलदेश करते समय लग्न कुण्डली के समान ही चन्द्र कुण्डली का भी प्रयोग किया जाता है. चन्द्र कई प्रकार के योग का भी निर्माण करता है जिनमे से कुछ योग शुभ फल देते हैं तो कुछ अशुभ फलदायी होते हैं.
चन्द्र के शुभ योग
गजकेशरी योग
चन्द्र द्वारा निर्मित शुभ योगों में गजकेशरी योग काफी जाना-पहचाना नाम है. यह योग गुरू चन्द्र के सम्बन्ध से बनता है. जब गुरू एवं चन्द्र जन्म कुण्डली में एक दूसरे से केन्द्र स्थान में यानी 1, 4, 7, 10, में होगा अथवा गुरू चन्द्र की युति इन भावों में होगी तो गजकेशरी योग बनेगा. सामान्यतया इस योग से प्रभावित व्यक्ति ज्ञानी होते हैं. इनमें विवेक तथा दया की भावना होती है. आमतौर पर इस योग वाले व्यक्ति उच्च पद पर कार्यरत होते हैं. अपने गुणों एवं कर्मों के कारण मृत्यु के पशचात भी इनकी ख्याति बनी रहती है.
सुनफा योग
जन्म कुण्डली में जिस भाव में चन्द्र होता है उससे दूसरे घर में कोई ग्रह बैठा हो तो सुनफा योग बनता है. इस योग में राहु केतु एवं सूर्य का विचार नहीं किया जाता है यानी चन्द्र से दूसरे घर में इन ग्रहों के होने पर सुनफा योग नहीं माना जाएगा. इस योग में चन्द्र से दूसरे घर में शुभ ग्रह हों तो योग उच्च स्तर का होता है. जबकि, एक शुभ तथा दूसरा अशुभ ग्रह हों तो इसे मध्यम दर्जे का माना जाता है. यदि दोनों अशुभ ग्रह हैं तो निम्न स्तर का सुनफा योग बनेगा. यह योग जिस स्तर का होता है उसी अनुरूप व्यक्ति को इसका लाभ मिलता है. जिनकी कुण्डली में यह योग होता है वह सरकारी क्षेत्र से लाभ प्राप्त कर सकते हैं. धन सम्पत्ति उच्छी होती है.
अनफा योग
सुनफा योग की भांति अनफा योग में भी सूर्य को गौण माना जाता है यानी सूर्य से इस योग का विचार नहीं किया जाता है. अनफा योग कुण्डली में तब बनता है जब जन्म कुण्डली में चन्द्र से बारहवें घर में कोई ग्रह बैठा होता है. ग्रह अगर शुभ है तो योग प्रबल होगा. चन्द्र से बारहवें घर में अशुभ ग्रह होने पर योग कमज़ोर होगा. इस योग से प्रभावित व्यक्ति उदार एवं शांत प्रकृति का होता है. नृत्य, संगीत एवं दूसरी कलाओं में इनकी रूचि होती है. सुख-सुविधाओं में रहते हुए भी वृद्धावस्था में मन विरक्त हो जाता है. योग एवं साधना इन्हें पसंद आता है. दुरूधरा योग
चन्द्र की स्थिति से दुरूधारा योग तब बनता है जब चन्द्र जिस भाव में हो उस भाव से दोनों तरफ कोई ग्रह बैठा हो. ध्यान रखने वाली बात यह है कि दोनों तरफ में से किसी ओर सूर्य नहीं होना चाहिए. अगर चन्द्र के दोनों तरफ शुभ ग्रह होंगे तो योग अधिक शक्तिशाली होगा. एक ग्रह शुभ दूसरा अशुभ तो मध्यम दर्जे का योग बनेगा इसी प्रकार दोनों तरफ अशुभ ग्रह हों तो निम्न स्तर का योग बनेगा. दुरूधरा योग के विषय में यह कहा जाता है कि इससे प्रभावित व्यक्ति समृद्धशाली होता है. इन्हें भूमि एवं भवन का सुख भी प्राप्त होता है.
चन्द्र के अशुभ योग
केमद्रुम योग
चन्द्र द्वारा निर्मित अशुभ योगों में केमद्रुम प्रमुख है. यह योग जन्मपत्री में तब बनता है जबकि चन्द्र के दोनों तरफ के भाव में कोई ग्रह नहीं हो. इस योग के विषय में माना जाता है कि इससे प्रभावित व्यक्ति का मन अस्थिर रहता है. असामाजिक कार्यों में इनका मन लगता है. इनके जीवन में काफी उतार-चढ़ाव भी आते रहते हैं.
Saturday, December 31, 2016
चन्द्र के शुभ योग
पूर्वजों और ऋषियों की विशिष्ट सिद्धियां
पूर्वजों और ऋषियों की विशिष्ट सिद्धियां
हमारे पूर्वजों और ऋषियों के पास अनेक विशिष्ट सिद्धियां थी, परन्तु उनमें से काल के प्रवाह में बहु कुछ लुप्त हो गईं| उनमें भी बारह सिद्धियां तो सर्वथा लोप हो गईं थी, जिनका केवल नामोल्लेख इधर उधर पढ़ने को मिल जाता था पर उसके बारे में न तो किसी को प्रामाणिक ज्ञान था और न उन्हें ऐसी सिद्धि प्राप्त ही थी
ये सिद्धियां इस प्रकार हें :
१.परकाया सिद्धि
२.आकाश गमन सिद्धि
३.जल गमन प्रक्रिया सिद्ध
४.हादी विद्या - जिसके माध्यम से साधक बिना कुछ आहार ग्रहण किये वर्षों जीवित रह सकता है|
५. कादी विद्या- जिसके माध्यम से साधक या योगी कैसी भी परिस्थिति में अपना अस्तित्व बनाए रख सकता है| उस पर सर्दी, गर्मी, बरसात, आग हिमपात आदि का कोई प्रभाव नहीं होता|
६.काली सिद्धि- जिसके माध्यम से हजारों वर्ष पूर्व के क्षण को या घटना को पहिचाना जा सकता है, देखा जा सकता है और समझा जा सकता है| साठ ही आने वाले हजार वर्षों के कालखण्ड को जाना जा सकता है कि भविष्य में कहां क्या घटना घटित होगी और किस प्रकार से घटित होगी इसके बारे में प्रामाणिक ज्ञान एक ही क्षण में हो जाता है| यही नहीं अपितु इस साधना के माध्यम से भविष्य में होने वाली घटना को ठीक उसी प्रकार से देखा जा सकता है, जिस प्रकार से व्यक्ति टेलेवीजन पर कोई फिल्म देख रहा हों|
७. संजीवनी विद्या, जो शुक्राचार्य या कुछ ऋषियों को ही ज्ञात थी जिसके माध्यम से मृत व्यक्ति को भी जीवन दान दिया जा सकता है|
८. इच्छा मृत्यु साधना- जिसके माध्यम से काल पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है और साधक चाहे तो सैकड़ो-हजारों वर्षों तक जीवित रह सकता है|
९. काया कल्प साधना - जिसके माध्यम से व्यक्ति के शरीर में पूर्ण परिवर्तन लाया जा सकता है और ऐसा परिवर्तन होने पर वृद्ध व्यक्ति का भी काया कल्प होकर वह स्वस्थ सुन्दर युवक बन सकता है, रोग रही ऐसा व्यक्तित्व कई वर्षों तक स्वस्थ रहकर अपने कार्यों में सफलता पा सकता है|
१०. लोक गमन सिद्धि-जिसके माध्यम से पृथ्वी लोक में ही नहीं अपितु अन्य लोकों में भी उसी प्रकार से विचरण कर सकता है जिस प्रकार से हम कार के द्वारा एक स्थान से दुसरे स्थान या एक नगर से दुसरे नगर जाते हें| इस साधना के माध्यम से भू लोक, भुवः लोक, स्वः लोक, महः लोक, जनलोक, तपलोक, सत्यलोक, चंद्रलोक, सूर्यलोक और वायु लोक में भी जाकर वहां के निवासियों से मिल सकता, वहां की श्रेष्ठ विद्याओं को प्राप्त कर सकता है और जब भी चाहे एक लोक से दुसरे लोक तक जा सकता है|
११. शुन्य साधना - जिसके माध्यम से प्रकृति से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है| खाद्य पदार्थ, भौतिक वस्तुएं और सम्पन्नता अर्जित की जा सकती है|
१२. सूर्य विज्ञान- जिसके माध्यम से एक पदार्थ को दुसरे पदार्थ में रूपांतरित किया जा सकता है .
हिंदू पंचांग" :-
"हिंदू पंचांग" :-
हिंदू पंचांग की उत्पत्ति वैदिक काल में ही हो चुकी थी। सूर्य को जगत की आत्मा मानकर उक्त काल में सूर्य व नक्षत्र सिद्धांत पर आधारित पंचांग होता था। वैदिक काल के पश्चात् आर्यभट, वराहमिहिर, भास्कर आदि जैसे खगोलशास्त्रियों ने पंचांग को विकसित कर उसमें चंद्र की कलाओं का भी वर्णन किया।
वेदों और अन्य ग्रंथों में सूर्य, चंद्र, पृथ्वी और नक्षत्र सभी की स्थिति, दूरी और गति का वर्णन किया गया है। स्थिति, दूरी और गति के मान से ही पृथ्वी पर होने वाले दिन-रात और अन्य संधिकाल को विभाजित कर एक पूर्ण सटीक पंचांग बनाया गया है। जानते हैं हिंदू पंचांग की अवधारणा क्या है।
पंचांग दिन को नामंकित करने की एक प्रणाली है। पंचांग के चक्र को खगोलकीय तत्वों से जोड़ा जाता है। बारह मास का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है।
पंचांग की परिभाषा:
पंचांग नाम पाँच प्रमुख भागों से बने होने के कारण है, यह है- तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण। इसकी गणना के आधार पर हिंदू पंचांग की तीन धाराएँ हैं- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति। भिन्न-भिन्न रूप में यह पूरे भारत में माना जाता है। एक साल में 12 महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में 15 दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं। इन दो अयनों की राशियों में 27 नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं।
तिथि :
एक दिन को तिथि कहा गया है जो पंचांग के आधार पर उन्नीस घंटे से लेकर चौबीस घंटे तक की होती है। चंद्र मास में 30 तिथियाँ होती हैं, जो दो पक्षों में बँटी हैं। शुक्ल पक्ष में 1-14 और फिर पूर्णिमा आती है। पूर्णिमा सहित कुल मिलाकर पंद्रह तिथि। कृष्ण पक्ष में 1-14 और फिर अमावस्या आती है। अमावस्या सहित पंद्रह तिथि।
तिथियों के नाम निम्न हैं- पूर्णिमा (पूरनमासी), प्रतिपदा (पड़वा), द्वितीया (दूज), तृतीया (तीज), चतुर्थी (चौथ), पंचमी (पंचमी), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातम), अष्टमी (आठम), नवमी (नौमी), दशमी (दसम), एकादशी (ग्यारस), द्वादशी (बारस), त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या (अमावस)।
वार :
एक सप्ताह में सात दिन होते हैं:- रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार।
नक्षत्र :
आकाश में तारामंडल के विभिन्न रूपों में दिखाई देने वाले आकार को नक्षत्र कहते हैं। मूलत: नक्षत्र 27 माने गए हैं। ज्योतिषियों द्वारा एक अन्य अभिजित नक्षत्र भी माना जाता है। चंद्रमा उक्त सत्ताईस नक्षत्रों में भ्रमण करता है। नक्षत्रों के नाम नीचे चंद्रमास में दिए गए हैं-
योग :
योग 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहते हैं। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम क्रमश: इस प्रकार हैं:-
विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।
27 योगों में से कुल 9 योगों को अशुभ माना जाता है तथा सभी प्रकार के शुभ कामों में इनसे बचने की सलाह दी गई है। ये अशुभ योग हैं: विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतीपात, परिघ और वैधृति।
करण :
एक तिथि में दो करण होते हैं- एक पूर्वार्ध में तथा एक उत्तरार्ध में। कुल 11 करण होते हैं- बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (14) के उत्तरार्ध में शकुनि, अमावस्या के पूर्वार्ध में चतुष्पाद, अमावस्या के उत्तरार्ध में नाग और शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के पूर्वार्ध में किस्तुघ्न करण होता है। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं। भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।
पक्ष को भी जानें :
प्रत्येक महीने में तीस दिन होते हैं। तीस दिनों को चंद्रमा की कलाओं के घटने और बढ़ने के आधार पर दो पक्षों यानी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में विभाजित किया गया है। एक पक्ष में लगभग पंद्रह दिन या दो सप्ताह होते हैं। एक सप्ताह में सात दिन होते हैं। शुक्ल पक्ष में चंद्र की कलाएँ बढ़ती हैं और कृष्ण पक्ष में घटती है
चौथे भाव में स्थित शुक
: चौथे भाव में स्थित शुक्र दो पत्नियों की संभावना को मजबूत करता है और जातक को धनवान बनाता है। यदि बृहस्पति दसम भाव में हो और शुक्र चौथे भाव में हो और जातक धार्मिक बनने की कोशिश करेगा तो हर तरफ से प्रतिकूल परिणाम मिलेंगे। यदि जातक ने कुएं के ऊपर छ्त बना रखी है या मकान बना रखा है तो चौथे भाव में बैठा शुक्र पुत्र प्राप्ति की संभावना को कमजोर करता है। बुध से संबंधित व्यापार भी नुकशान देय होता है। यदि जातक शराब पीता है तो शनि विनाशकारी प्रभाव देगा। मंगल से संबंधित व्यापार जातक के लिए फायदेमंद साबित होगा। चौथे घर का शुक्र और पहले घर का बृहस्पति सास से झगडा करवाता है।
उपाय चतुर्थ भाव में कोई ग्रह परेशां कर रहा हो तो चतुर्थ भाव सम्ब्न्धित कारक ग्रह की वस्तुएं घर की छत से निचे ज़मीं पर गिराए ।
जैसे चंद्रमा के लिए अपने घर की छत से दूध गिराए सोमवार को ।
ग्रहों के उपाय और नियम भाग
ग्रहों के उपाय और नियम भाग
मनुष्य के शरीर में ग्रहों का स्थान
·सूर्य को शरीर कहा गया हें.
·चन्द्रमा को मन कहा गया हें.
·मंगल को सत्व
·बुध को वाणी-विवेक
·गुरु को ज्ञान और सुख
·शुक्र को काम और वीर्य,
·शनि को दुःख,कष्ट और परिवर्तन तथा
·राहू और केतु को रोग एवं चिंता का करक/अधिष्ठाता माना जाता हें.
उच्च से शुभ / नीच से अशुभ फल
·सूर्य ग्रह मेष राशी में उच्चका होकर शुभ फल देता हें और तुला राशी में नीच का होकर अशुभ फल देता हें
·चन्द्रमा ग्रह वृषभ राशी मेंउच्चका होकर शुभ फल देता हें और वृश्चिक में नीच का होकर अशुभ फल देता हें
·मंगल ग्रह मकर में उच्चका होकर शुभ फल देता हें औरकर्क में नीच का फल होकर अशुभ फल देता हें
·बुध ग्रह कन्या मेंउच्चका होकर शुभ फल देता हें का और मीन में नीच का होकर अशुभ फल देता हें
·गुरु ग्रह कर्क मेंउच्चका होकर शुभ फल देता हें और मकर में नीच का होकर अशुभ फल देता हें
·शुक्र ग्रह मीन मेंउच्चका होकर शुभ फल देता हें और कन्या में नीच का होकर अशुभ फल देता हें
·शनि ग्रह तुला में उच्चका होकर शुभ फल देता हेंऔर मेष में नीच का होकर अशुभ फल देता हें
·राहू ग्रहमिथुन में उच्चका होकर शुभ फल देता हेंऔर धनु में नीच का होकर अशुभ फल देता हें
·केतु ग्रह धनु मेंउच्चका होकर शुभ फल देता हें और मिथुन में नीच का होकर अशुभ फल देता हें .
ध्यान रखें..सिंह एवं कुंभ राशी में कोई भी ग्रह उच्च या नीच का नहीं होता हें..
ज्योतिषसिद्धांत के अनुसार संक्षिप्त में जानिए ग्रह दोष से उत्पन्न रोग और उसकेनिवारण तथा किस ग्रह के क्या नकारात्मक प्रभाव है और साथ ही उक्त ग्रहदोषसे मुक्ति हेतु अचूक उपाय –
उपाय करने का नियम
उपाय किसी योग व्यक्ति की सलाह में ही करें
कभीभी किसी भी उपाय को 43 दिन करना चहिये तब ही फल प्राप्ति संभव होती है।मंत्रो के जाप के लिए रुद्राक्ष की माला सबसे उचित मानी गई है | इन उपायोंका गोचरवश प्रयोग करके कुण्डली में अशुभ प्रभाव में स्थित ग्रहों को शुभप्रभाव में लाया जा सकता है। सम्बंधित ग्रह के देवता की आराधना और उनकेजाप, दान उनकी होरा, उनके नक्षत्र में अत्यधिक लाभप्रद होते है |
सूर्य ग्रह
सूर्य पिता, आत्मा समाज में मान, सम्मान,यश, कीर्ति, प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा का कारक होता है | इसकी राशि है सिंह |
सूर्य के अशुभ होने का कारण
किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने एवंकिसी भी जीव की आत्मा को ठेस पहुँचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है।
कुंडली मेंसूर्य के अशुभ होने पर
पेट, आँख, हृदय का रोग हो सकता है साथ ही सरकारीकार्य में बाधा उत्पन्न होती है।
इसके लक्षण यह है कि मुँह में बार-बारबलगम इकट्ठा हो जाता है, सामाजिक हानि, अपयश, मनं का दुखी या असंतुस्टहोना, पिता से विवाद या वैचारिक मतभेद सूर्य के पीड़ित होने के सूचक है | -
ये करें उपाय-
·ऐसे में भगवान राम की आराधना करे |
·आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करे,सूर्यको आर्घ्य दे, गायत्री मंत्र का जाप करे |
·ताँबा, गेहूँ एवं गुड का दानकरें।
·प्रत्येक कार्य का प्रारंभ मीठा खाकर करें।
·ताबें के एक टुकड़े कोकाटकर उसके दो भाग करें। एक को पानी में बहा दें तथा दूसरे को जीवन भर साथरखें।
·ॐ रं रवये नमः या ॐ घृणी सूर्याय नमः १०८ बार (१ माला) जाप करे|
सूर्य पारिवारिक उपाय :
यदि कुन्डली मे सूर्य अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे सुर्य अर्थातपिता या पिता तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहिये उनकी सेवा करनी चहियेउन्हें प्रसन्न रखना चहिये , यदि परिवार मे पिता या पिता तुल्य लोग आपसेसंन्तुष्ट रहेंगे तो सुर्य के अशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !
सूर्यदान (दिन - रविवार)
सूर्य ग्रह कि शांति हेतु गेहूँ, ताँबा, घी, गुड़,माणिक्य, लाल कपड़ा, मसूरकी दाल,कनेर या कमल के फूल, गौ दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं
दान किसे और कब दें
दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फलउत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।
·सूर्य सेसम्बन्धित वस्तुओं का दान रविवार के दिन दोपहर में ४० से ५० वर्ष केव्यक्ति को देना चाहिए.
सूर्य की शांति के लिए टोटके
·सूर्य कोबली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रात:काल सूर्योदय के समय उठकर लाल पूष्पवाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
·गाय का दान अगर बछड़े समेतगुड़,सोना, तांबा और गेहूंसूर्य सेसम्बन्धित रत्न का दान|
·रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रात:काल उसे पीना चाहिए।
·ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है।
·लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए।
·किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।
·हाथ में मोली (कलावा) छ: बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
·लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए।
·सूर्य ग्रह की शांति के लिए रविवार के दिन व्रतकरना चाहिए.
·गाय को गेहुं और गुड़ मिलाकर खिलाना चाहिए.
·किसी ब्राह्मण अथवागरीब व्यक्ति को गुड़ का खीर खिलाने से भी सूर्य ग्रह के विपरीत प्रभावमें कमी आती है.
·अगर आपकी कुण्डली में सूर्य कमज़ोर है तो आपको अपने पिताएवं अन्य बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं.प्रात: उठकर सूर्य नमस्कार करने से भी सूर्य की विपरीत दशा से आपको राहतमिल सकती है.
·सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय केसमय उठकर लाल पुष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
·हाथमें मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
·लाल चन्दन को घिसकर स्नानके जल में डालना चाहिए।
विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें
सूर्य के दुष्प्रभावनिवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिकशुभ होते हैं।
क्यान करें—
आपका सूर्य कमज़ोर अथवा नीच का होकर आपको परेशान कर रहा है अथवाकिसी कारण सूर्य की दशा सही नहीं चल रही है तो आपको
·गेहूं और गुड़ का सेवननहीं करना चाहिए.
·इसके अलावा आपको इस समय तांबा धारण नहीं करना चाहिएअन्यथा इससे सम्बन्धित क्षेत्र में आपको और भी परेशानी महसूस हो सकती है
चंद्र ग्रह
चन्द्रमा माँ का सूचक है और मनं का करक है |
शास्त्र कहता है की "चंद्रमा मनसो जात:"| इसकीकर्क राशि है |
चंद्र के अशुभ होने का कारण
सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देने जैसे,माता, नानी, दादी, सास एवं इनकेपद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट देने एवं किसी से द्वेषपूर्वक ली वस्तुके कारण चंद्रमा अशुभ फल देता है।
कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर
माता को किसी भी प्रकार काकष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है, दूध देने वाले पशु की मृत्यु हो जातीहै। स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। घरमें पानी की कमी आ जाती है या नलकूप, कुएँ आदि सूख जाते हैं मानसिकतनाव,मन में घबराहट,तरह तरह की शंका मनं में आती है औरमनं में अनिश्चित भय वशंका रहती है और सर्दी बनी रहती है। व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने केविचार बार-बार आते रहते हैं।
ये करें उपाय-
·सोमवारका व्रत करना,
·माता की सेवा करना,
·शिव की आराधना करना,
·मोती धारण करना,
·दोमोती या दो चाँदी का टुकड़ा लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे कोअपने पास रखें।
·सोमवार को सफ़ेद वास्तु जैसे दही,चीनी, चावल,सफ़ेद वस्त्र, १ जोड़ाजनेऊ,दक्षिणा के साथ दान करना और ॐ सोम सोमाय नमः का १०८ बार नित्य जापकरना श्रेयस्कर होता है |
चन्द्रमापारिवारिक उपाय:
यदि कुन्डली मे चन्द्रमा अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे चन्द्रमाअर्थात माता या माता तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहिये उनकी सेवा करनीचहिये उन्हें प्रसन्न रखना चहिये , यदि परिवार मे माता या माता तुल्य लोगआपसे संन्तुष्ट रहेंगे तो चन्द्रमा के अशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !
चंद्र दान (दिन - सोमवार)
चंद्र ग्रह कि शांति हेतु मोती, चाँदी, चावल,चीनी, जल से भरा हुवा कलश, सफेद कपड़ा, दही, शंख, सफेद फूल, साँड आदि का दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैंग्रह:-
दान किसे और कब दें
दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फलउत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।
·चन्दमा से सम्बन्धित वस्तुओं का दान करते समय ध्यान रखें कि दिन सोमवार हो और संध्या काल हो.
·ज्योतिषशास्त्र में चन्द्रमा से सम्बन्धित वस्तुओं के दान के लिए महिलाओं को सुपात्र बताया गया है अत: दान किसी महिला को दें.
चन्द्रमा की शांति के लिए टोटके
·रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए जहाँ पर चन्द्रमा की रोशनी आती हो।
·वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर घर में रखना चाहिए।
·वर्ष में एक बार किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए।
·सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
·चन्द्रमा के नीच अथवा मंद होने पर शंख का दानकरना उत्तम होता है. इसके अलावा सफेद वस्त्र, चांदी,चावल, भात एवं दूध कादान भी पीड़ित चन्द्रमा वाले व्यक्ति के लिए लाभदायक होता है.
·जल दानअर्थात प्यासे व्यक्ति को पानी पिलाना से भी चन्द्रमा की विपरीत दशा मेंसुधार होता है पर बारवें भाव में चंद्रमा वाला ये न करें |
·अगर आपका चन्द्रमा पीड़ित है तो आपको चन्द्रमा से सम्बन्धितरत्न दान करना चाहिए.
·आपका चन्द्रमा कमज़ोर है तो आपको सोमवार के दिन व्रतकरना चाहिए.
·गाय को गूंथा हुआ आटा खिलाना चाहिए तथा कौए को भात और चीनीमिलाकर देना चाहिए.
·किसी ब्राह्मण अथवा गरीब व्यक्ति को दूध में बना हुआखीर खिलाना चाहिए. सेवा धर्म से भी चन्द्रमा की दशा में सुधार संभव है.
·सेवा धर्म से आप चन्द्रमा की दशा में सुधार करना चाहते है तो इसके लिए आपकोमाता और माता समान महिला एवं वृद्ध महिलाओं की सेवा करनी चाहिए.
विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें
चन्द्रमा के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु सोमवार कादिन,चन्द्रमा के नक्षत्र (रोहिणी, हस्त तथा श्रवण) तथा चन्द्रमा की होरामें अधिक शुभ होते हैं।
क्यान करें—
ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार चन्द्रमाकमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को
·ऐसे व्यक्ति के घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए।
·चन्द्रमा व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए।
·सोमवार के दिन मीठा दूध नहीं पीना चाहिए।
·प्रतिदिन दूध नहीं पीना चाहिए.
·स्वेत वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए.
·सुगंध नहीं लगाना चाहिए
·चन्द्रमा सेसम्बन्धित रत्न नहीं पहनना चाहिए.
·कुंडलीके छठवें भाव में चंद्र हो तो दूध या पानी का दान करना मना है।
·यदि चंद्रबारहवाँ हो तो धर्मात्मा या साधु को भोजन न कराएँ और ना ही दूध पिलाएँ।
मंगल ग्रह
मंगल सेना पति होता है,भाई का भी द्योतक और रक्त का भी करक माना गया है |
इसकीमेष और वृश्चिक राशि है |
मंगल के अशुभ होने का कारण
भाई से झगड़ा करने, भाई के साथ धोखा करने से मंगल के अशुभ फल शुरू होजाते हैं। इसी के साथ अपनी पत्नी के भाई (साले) का अपमान करने पर भी मंगलअशुभ फल देता है।
कुंडली में मंगल के अशुभ होने पर
भाई, पटीदारो सेविवाद, रक्त सम्बन्धी समस्या, नेत्र रोग, उच्च रक्तचाप, क्रोधित होना, उत्तेजित होना, वात रोग और गठिया हो जाता है।
रक्त की कमी या खराबी वाला रोग हो जाता। व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का हो जाता है। मान्यता यह भी है कि बच्चे जन्म होकर मर जाते हैं।
ये करें उपाय-
·ताँबा, गेहूँ एवं गुड,लाल कपडा,माचिस का दान करें।
·तंदूर की मीठी रोटी दानकरें।
·बहते पानी में रेवड़ी व बताशा बहाएँ,
·मसूर की दाल दान में दें।
·हनुमद आराधना करना,
·हनुमान जी को चोला अर्पित करना,
·हनुमान मंदिर में ध्वजादान करना,
·बंदरो को चने खिलाना,
·हनुमान चालीसा,बजरंगबाण,हनुमानाष्टक,सु
ंदरकांड का पाठ और ॐ अं अंगारकाय नमः का १०८ बार नित्यजाप करना श्रेयस्कर होता है |
मंगल पारिवारिक उपाय :
यदि कुन्डली मे मंगल अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे मंगल अर्थातभाई या भाईयों के तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहिये उनकी सेवा करनीचहिये उन्हें प्रसन्न रखना चहिये , यदि परिवार मे भाई या भाई तुल्य लोगआपसे संन्तुष्ट रहेंगे तो मंगल के अशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !
मंगल दान (दिन - मंगलवार)
मंगल ग्रह कि शांति हेतु मूंगा, मसूर, घी,गुड़, लाल कपड़ा, रक्त चंदन, गेहूँ, केसर,ताँबा, लाल फूल का दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं
दान किसे और कब दें
दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।
·दान मंगलवार के दोपहर को करें
·अगर कोई लाल वर्ण का क्षत्रीय या ब्रह्मण मिले तो उत्तम
मंगल की शांति के लिए टोटके
·लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।
·ऐसा व्यक्ति जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।
·बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है।
·लाल वस्त्र लिकर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए।
·मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर लिकर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।
·बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।
·अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
·पीड़ित व्यक्ति को लाल रंग का बैल दान करना चाहिए.
·लाल रंग कावस्त्र, सोना, तांबा, मसूर दाल, बताशा, मीठी रोटी का दान देना चाहिए.
·मंगलसे सम्बन्धित रत्न दान देने से भी पीड़ित मंगल के दुष्प्रभाव में कमी आतीहै.
·मंगल ग्रह की दशा में सुधार हेतु दान देने के लिए मंगलवार का दिन औरदोपहर का समय सबसे उपयुक्त होता है.
·जिनका मंगल पीड़ित है उन्हें मंगलवारके दिन व्रत करना चाहिए और ब्राह्मण अथवा किसी गरीब व्यक्ति को भर पेट भोजनकराना चाहिए.
·मंगल पीड़ित व्यक्ति के लिए प्रतिदिन10 से 15 मिनट ध्यानकरना उत्तम रहता है.
·मंगल पीड़ित व्यक्ति में धैर्य की कमी होती है अत:धैर्य बनाये रखने का अभ्यास करना चाहिए एवं छोटे भाई बहनों का ख्याल रखनाचाहिए.
विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें
मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन,मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभहोते हैं।
क्यान करें –
आपका मंगल अगर पीड़ित है तो
·आपको अपने क्रोध नहीं करना चाहिए.
·अपने आप पर नियंत्रण नहीं खोना चाहिए.
·किसी भी चीज़ में जल्दबाजी नहींदिखानी चाहिए
·भौतिकता में लिप्त नहीं होना चाहिए
बुध ग्रह
बुध व्यापार व स्वास्थ्य का करक माना गया है | यह मिथुन और कन्या राशि कास्वामी है| बुध वाक् कला का भी द्योतक है | विद्या और बुद्धि का सूचक है |
बुध के अशुभ होने का कारण
अपनी बहन अथवा बेटी को कष्ट देने एवं बुआ को कष्ट देने, साली एवंमौसी को कष्ट देने से बुध अशुभ फल देता है। इसी के साथ हिजड़े को कष्ट देनेपर भी बुध अशुभ फल देता है।
कुंडली में बुध की अशुभता पर
दाँत कमजोर हो जाते हैं। सूँघने की शक्ति कमहो जाती है। गुप्त रोग हो सकता है। व्यक्ति वाक् क्षमता भी जाती रहती है।नौकरी और व्यवसाय में धोखा और नुक्सान हो सकता है।
ये करें उपाय-
·भगवानगणेश व माँ दुर्गा की आराधना करे |
·गौ सेवा करे |
·काले कुत्ते को इमरतीदेना लाभकारी होता है |
·नाक छिदवाएँ।
·ताबें के प्लेट में छेद करके बहतेपानी में बहाएँ।
·अपने भोजन में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्तों कोऔर एक हिस्सा कौवे को दें, या अपने हाथ से गाय को हरा चारा, हरा सागखिलाये।
·उड़दकी दाल का सेवन करे व दान करे |
·बालिकाओं को भोजन कराएँ।
·किन्नेरो को हरी साडी, सुहाग सामग्री दान देना भी बहुत चमत्कारी है |
·ॐ बुंबुद्धाय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है आथवागणेशअथर्वशीर्ष का पाठ करे|
·पन्ना धारण करे या हरे वस्त्र धारण करे यदि संभव न हो तो हरा रुमाल साथ रक्खे |
बुधपारिवारिक उपाय:
यदि कुन्डली मे बुध अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे बुध अर्थातबहनें या बहनों के तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहिये उनकी सेवा करनीचहिये उन्हें प्रसन्न रखना चहिये , यदि परिवार मे बहनें या बहनों के तुल्यलोग आपसे संन्तुष्ट रहेंगे तो बुध के अशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !
बुध दान (दिन - बुधवार)
बुध ग्रह कि शांति हेतु हरे पन्ना, मूँग, घी,हरा कपड़ा, चाँदी, फूल, काँसे का बर्तन,कपूर का दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं
दान किसे और कब दें
दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।
·इन वस्तुओं के दान के लिए ज्योतिषशास्त्र में बुधवार के दिन दोपहर का समय उपयुक्त माना गया है.
·किसी छोटी कन्यां बुध की वास्तु दान दें|
बुध की शांति के लिए टोटके
·अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए तथा निरन्तर उसकी देखभाल करनी चाहिए। बुधवार के दिन तुलसी पत्र का सेवन करना चाहिए।
·बुधवार के दिन हरे रंग की चूडिय़ाँ हिजड़े को दान करनी चाहिए।
·हरी सब्जियाँ एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए।
·बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूँग के लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चों को बाँटें।
·घर में खंडित एवं फटी हुई धार्मिक पुस्तकें एवं ग्रंथ नहीं रखने चाहिए।
·अपने घर में कंटीले पौधे, झाडिय़ाँ एवं वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। फलदार पौधे लगाने से बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
·तोता पालने से भी बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
·बुध की शांति के लिए स्वर्ण का दान करना चाहिए.
·हरा वस्त्र, हरी सब्जी, मूंग का दाल एवं हरे रंग के वस्तुओं का दान उत्तम कहा जाता है.
·हरे रंग की चूड़ी और वस्त्र का दान किन्नरो को देना भी इस ग्रह दशा मेंश्रेष्ठ होता है.
·बुध ग्रह से सम्बन्धित वस्तुओं का दान भी ग्रह की पीड़ामें कमी ला सकती है.
·बुध की दशा में सुधार हेतु बुधवारके दिन व्रत रखना चाहिए.
·गाय को हरी घास और हरी पत्तियां खिलानी चाहिए.
·ब्राह्मणों को दूध में पकाकर खीर भोजन करना चाहिए.
·बुध की दशा में सुधार केलिए विष्णु सहस्रनाम का जाप भी कल्याणकारी कहा गया है.
·रविवार को छोड़करअन्य दिन नियमित तुलसी में जल देने से बुध की दशा में सुधार होता है.
·अनाथों एवं गरीब छात्रों की सहायता करने से बुध ग्रह से पीड़ित व्यक्तियोंको लाभ मिलता है.
·मौसी, बहन, चाची बेटी के प्रति अच्छा व्यवहार बुध ग्रह कीदशा से पीड़ित व्यक्ति के लिए कल्याणकारी होता है.
विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें
बुध के दुष्प्रभावनिवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु बुधवार का दिन, बुध के नक्षत्र (आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती) तथा बुध की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
क्यान करें-
ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार बुध कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को
·प्रतिदिन हरे पदार्थ नहीं खाना चाहिए.
·हरे वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए.
गुरु ग्रह
वृहस्पतिकी भी दो राशि है धनु और मीन |
गुरु के अशुभ होने का कारण
अपने पिता, दादा, नाना को कष्ट देने अथवा इनके समान सम्मानित व्यक्ति कोकष्ट देने एवं साधु संतों को कष्ट देने से गुरु अशुभ फल देता है।
कुंडली में गुरु के अशुभ प्रभाव में आने पर
सिर के बाल झड़ने लगते हैं। परिवार में बिना बात तनाव, कलह - क्लेश कामाहोल होता है | सोना खो जाता या चोरी हो जाता है। आर्थिक नुक्सान या धन काअचानक व्यय,खर्च सम्हलता नहीं,शिक्षा में बाधा आती है। अपयश झेलना पड़ताहै। वाणी पर सयम नहीं रहता | -
ये करें उपाय-
·ब्रह्मणका यथोचित सामान करे |
·माथे या नाभी पर केसर का तिलक लगाएँ।
·कलाई में पीलारेशमी धागा बांधे |
·संभव हो तो पुखराज धारण करे अन्यथा पीले वस्त्र याहल्दी की कड़ी गांड साथ रक्खे |
·कोई भी अच्छा कार्य करने के पूर्व अपना नाकसाफ करें।
·दान में हल्दी, दाल, पीतल का पत्र,कोई धार्मिक पुस्तक, १ जोड़ाजनेऊ,पीले वस्त्र, केला, केसर,पीले मिस्ठान,दक्षिणा आदि देवें।
·विष्णुआराधना करे |
·ॐ व्री वृहस्पतये नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्करहोता है |
गुरूपारिवारिक उपाय:
यदि कुन्डली मे गुरू अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे गुरू अर्थातअध्यापक,धर्म आचार्य आदि या उनके तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहियेउनकी सेवा करनी चहिये उन्हें प्रसन्न रखना चहिये, यदि अध्यापक, धर्म आचार्यआदि या उनके तुल्य लोग आपसे संन्तुष्ट रहेंगे तो गुरू के अशुभ प्रभाव सेआप बचे रहेंगे !
बृहस्पतिदान (दिन - गुरुवार)
बृहस्पति ग्रह कि शांति हेतु पुखराज, चने की दाल, हल्दी, पीला कपड़ा, गुड़, केसर,पीला फूल, घी और सोने की वस्तुओं का दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं
दान किसे और कब दें
दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।
·दान करते समय आपको ध्यान रखना चाहिए कि दिन बृहस्पतिवार हो और सुबह का समय हो|
·दान किसी ब्राह्मण, गुरू अथवा पुरोहित को देना विशेष फलदायक होता है
गुरु की शांति के लिए टोटके
·ऐसे व्यक्ति को अपने माता-पिता,गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों केप्रति आदर भाव रखना चाहिए तथा महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श करआशिर्वाद लेना चाहिए।
·सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
·ऐसे व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर नि:शुल्क सेवा करनी चाहिए।
·किसी भी मन्दिर या इबादत घर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।
·गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।
·गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकरगाय को खिलानी चाहिए।
·बृहस्पति के उपाय हेतु जिन वस्तुओं का दान करना चाहिए उनमेंचीनी,केला, पीला वस्त्र, केशर, नमक,मिठाईयां, हल्दी, पीला फूल और भोजनउत्तम कहा गया है.
·इस ग्रह की शांति के लए बृहस्पति से सम्बन्धित रत्न कादान करना भी श्रेष्ठ होता है.
·बृहस्पतिवार के दिन व्रत रखना चाहिए.
·कमज़ोरबृहस्पति वाले व्यक्तियों को केला और पीले रंग की मिठाईयां गरीबों, पंक्षियों विशेषकर कौओं को देना चाहिए.
·ब्राह्मणों एवं गरीबों को दही चावलखिलाना चाहिए.
·रविवार और बृहस्पतिवार को छोड़कर अन्य सभी दिन पीपल के जड़को जल से सिंचना चाहिए.
·गुरू, पुरोहित और शिक्षकों में बृहस्पति का निवासहोता है अत: इनकी सेवा से भी बृहस्पति के दुष्प्रभाव में कमी आती है.
विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें
गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकोंहेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद)तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
क्यान करें –
ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार गुरु कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को
·प्रतिदिन चना नहीं खाना चाहिए.
·पीले वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए.
·केलाका सेवन और सोने वाले कमड़े में केला रखने से बृहस्पति से पीड़ितव्यक्तियों की कठिनाई बढ़ जाती है अत: इनसे बचना चाहिए।
·ऐसे व्यक्ति को परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
शुक्र ग्रह
शुक्र भी दो राशिओं का स्वामी है, वृषभ और तुला | शुक्र तरुण है, किशोरावस्था का सूचक है, मौज मस्ती,घूमना फिरना,दोस्त मित्र इसके प्रमुखलक्षण है |
शुक्रके अशुभ होने का कारण
अपने जीवनसाथी को कष्ट देने, किसी भी प्रकार के गंदे वस्त्र पहनने, घरमें गंदे एवं फटे पुराने वस्त्र रखने से शुभ-अशुभ फल देता है।
कुंडली में शुक्र के अशुभ प्रभाव में होने पर
मनं में चंचलतारहती है, एकाग्रता नहीं हो पाती | खान पान में अरुचि, भोग विलास में रूचिऔर धन का नाश होता है | अँगूठे का रोग हो जाता है। अँगूठे में दर्द बनारहता है। चलते समय अगूँठे को चोट पहुँच सकती है। चर्म रोग हो जाता है।स्वप्न दोष की शिकायत रहती है।
ये करें उपाय
·माँ लक्ष्मी की सेवा आराधना करे |
·श्री सूक्त का पाठ करे |
·खोये केमिस्ठान व मिश्री का भोग लगाये |
·ब्रह्मण ब्रह्मणि की सेवा करे |
·स्वयं केभोजन में से गाय को प्रतिदिन कुछ हिस्सा अवश्य दें।
·कन्या भोजन कराये |
·ज्वार दान करें।
·गरीब बच्चो व विद्यार्थिओं में अध्यन सामग्री का वितरण करे |
·नि:सहाय, निराश्रय के पालन-पोषण का जिम्मा ले सकते हैं।
·अन्न का दान करे |
·ॐ सुं शुक्राय नमः का 108 बार नित्य जाप करना भी लाभकारी सिद्ध होता है |
शुक्रपारिवारिक उपाय:
यदि कुन्डली मे शुक्र अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे शुक्र अर्थातपत्नी या सम्पर्की लोगों से मधुर सम्बन्ध रखने चहिये, उनकी भावनाओं कासम्मान करना चहिये और उनको संन्तुष्ट और प्रसन्न रखना चहिये, यदि पत्नी यासम्पर्की लोग आपसे संन्तुष्ट रहेंगे तो शुक्र के अशुभ प्रभाव से आप बचेरहेंगे !
शुक्रदान (दिन -शुक्रवार)
शुक्र ग्रह किशांति हेतु श्वेत रत्न, चाँदी,चावल, दूध, सफेद कपड़ा, घी, सफेद फूल, धूप, अगरबत्ती, इत्र, सफेद चंदन दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं
दान किसे और कब दें
दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।
·वस्तुओं का दान शुक्रवार के दिन संध्याकाल में किसी युवती को देना उत्तम रहता है.
शुक्र की शांति के लिए टोटके
·काली चींटियों को चीनीखिलानी चाहिए।
·शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
·किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
·किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय 10 वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
·अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
·किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
·शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
·शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला है और प्रेम का प्रतीक है. इसग्रह के पीड़ित होने पर आपको ग्रह शांति हेतु सफेद रंग का घोड़ा दान देनाचाहिए.
·रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध,चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूरका दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है.
·शुक्र से सम्बन्धितरत्न का दान भी लाभप्रद होता है.
·शुक्र ग्रह से सम्बन्धितक्षेत्र में आपको परेशानी आ रही है तो इसके लिए आप शुक्रवार के दिन व्रतरखें.
·मिठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें.
·ब्राह्मणों एवं गरीबों कोघी भात खिलाएं.
·अपने भोजन में से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं.
·वस्त्रों के चुनाव में अधिक विचार नहीं करें.काली चींटियों कोचीनी खिलानी चाहिए।
·शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
·किसीकाने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
·किसीमहत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय १० वर्ष से कम आयु की कन्या का चरणस्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
·अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
·किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
·शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें
शुक्र के दुष्प्रभावनिवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी,पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होतेहैं।
क्या न करें—-
ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार शुक्र कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को
·प्रतिदिन सुगंध नहीं लगाना चाहिए .
·स्वेत और चमकीले वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए.
·शुक्र से सम्बन्धित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
शनि ग्रह
शनि की गति धीमी है | इसके दूषित होने पर अच्छे से अच्छे काम में गतिहीनताआ जाती है |
शनिके अशुभ होने का कारण
ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति कोकष्ट देने, अपशब्द कहने एवं इसी के साथ शराब, माँस खाने पीने से शनि देवअशुभ फल देते हैं। कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहींकरते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।
कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव में होने पर
मकान या मकान काहिस्सा गिर जाता या क्षतिग्रस्त हो जाता है। अंगों के बाल झड़ जाते हैं।शनिदेव की भी दो राशिया है,मकर और कुम्भ | शारीर में विशेषकर निचले हिस्सेमें ( कमर से नीचे ) हड्डी या स्नायुतंत्र से सम्बंधित रोग लग जाते है |वाहन से हानि या क्षति होती है | काले धन या संपत्ति का नाश हो जाता है। अचानक आग लग सकती है या दुर्घटना हो सकती है।
ये करें उपाय –
·हनुमानआराधना करना,
·हनुमान जी को चोला अर्पित करना,
·हनुमान मंदिर में ध्वजा दानकरना,
·बंदरो को चने खिलाना,
·हनुमान चालीसा, बजरंग बाण,हनुमानाष्टक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ हन हनुमते नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्करहोता है |
·नाव की कील या काले घोड़े की नाल धारण करे |
·यदिकुंडली में शनि लग्न में हो तो भिखारी को ताँबे का सिक्का या बर्तन कभी नदें यदि देंगे तो पुत्र को कष्ट होगा।
·कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएँ।
·तेल में अपना मुख देखवह तेल दान कर दें (छाया दान करे ) ।
·लोहा, काली उड़द, कोयला, तिल,जौ, काले वस्त्र, चमड़ा, काला सरसों आदि दान दें।
शनिपारिवारिक उपाय:
यदि कुन्डली मे शनि अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे शनि अर्थातपरिवार य समाज के सेवक अर्थात घर के नौकर आदि से प्रेम भाव से व्यवहार करनाचहिये उनकी सेवा का पूर्ण मूल्य देना चहिये उन्हें प्रसन्न रखना चहिये यदिपरिवार के सेवक अर्थात घर के नौकर आदि आपसे संन्तुष्ट रहेंगे तो शनि केअशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !
शनिदान (दिन -शनिवार)
शनि ग्रह कि शांति हेतु निलम, काला कपड़ा, साबुत उड़द, लोहा, यथासंभव दक्षिणा, तेल, काला पुष्प, काले तिल,चमड़ा, काले कंबल का दान करने सेशुभ फल कि प्राप्ति होती हैं
शनि की शांति के लिए टोटके
·शनिवारके दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।
·भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।
·भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
·किसी दु:खी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
·घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।
·उन्हें कालीगाय का दान करना चाहिए.
·काला वस्त्र, उड़द दाल, काला तिल,चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल,लोहा, खेती योग्य भूमि, बर्तन व अनाज का दान करना चाहिए.
·शनि से सम्बन्धित रत्न का दान भी उत्तम होता है.
·शनि ग्रह की शांति के लिएदान देते समय ध्यान रखें कि संध्या काल हो और शनिवार का दिन हो तथा दानप्राप्त करने वाला व्यक्ति ग़रीब और वृद्ध हो.
·शनि के कोप से बचने हेतुव्यक्ति को शनिवार के दिन एवं शुक्रवार के दिन व्रत रखना चाहिए.
·लोहे केबर्तन में दही चावल और नमक मिलाकर भिखारियों और कौओं को देना चाहिए.
·रोटीपर नमक और सरसों तेल लगाकर कौआ को देना चाहिए.
·तिल और चावल पकाकर ब्राह्मणको खिलाना चाहिए.
·अपने भोजन में से कौए के लिए एक हिस्सा निकालकर उसे दें.
·शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ,
·महामृत्युंजयमंत्र का जाप एवं शनिस्तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है.
·शनि ग्रह केदुष्प्रभाव से बचाव हेतु गरीब, वृद्ध एवं कर्मचारियो के प्रति अच्छाव्यवहार रखें.
·मोर पंख धारण करने से भी शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है.
विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें
शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जारहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
क्या न करें—
ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार चन्द्रमा कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को
·शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
·यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तोधर्मशाला आदि न बनवाएँ।
·शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
राहु –
मानसिक तनाव, आर्थिक नुक्सान,स्वयं को ले कर ग़लतफहमी,आपसी तालमेल मेंकमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलना,
राहुके अशुभ होने का कारण
राहु सर्प का ही रूप है अत: सपेरे का दिल दुखाने से, बड़े भाई को कष्टदेने से अथवा बड़े भाई का अपमान करने से, ननिहाल पक्ष वालों का अपमान करनेसे राहु अशुभ फल देता है।
कुंडलीमें राहु के अशुभ होने पर
हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं। राजक्ष्यमारोग के लक्षण प्रगट होते हैं। वाहन दुर्घटना,उदर कस्ट, मस्तिस्क में पीड़ाआथवा दर्द रहना, भोजन में बाल दिखना, अपयश की प्राप्ति, सम्बन्ध ख़राबहोना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने कीसंभावना रहती है। जल स्थान में कोई न कोई समस्या आना आदि |
राहू पारिवारिक उपाय :
यदि कुन्डली मे राहू अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे राहू अर्थातदादा या दादा तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहिये उनकी सेवा करनी चहियेउन्हें प्रसन्न रखना चहिये , यदि परिवार मे दादा या दादा तुल्य लोग आपसेसंन्तुष्ट रहेंगे तो राहू के अशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !
राहुदान (दिन -शनिवार)
राहु ग्रह कि शांति हेतु काला एवं गोमेद,नीला कपड़ा, कंबल, साबूतसरसों (राई),ऊनी कपड़ा, काले तिल व तेल का दान करने से शुभ फल किप्राप्ति होती हैं
दान किसे और कब दें
दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।
·राहू का दान किसी भंगी को शनिवार को राहुकाल में देना उत्तम होगा
ये करें उपाय
·गोमेदधारण करे |
·दुर्गा, शिव व हनुमान की आराधना करे |
·तिल, जौ किसी हनुमानमंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे |
·जौ या अनाज को दूध में धोकरबहते पानी में बहाएँ,
·कोयले को पानी में बहाएँ,
·मूली दान में देवें, भंगीको शराब, माँस दान में दें।
·सिर में चोटी बाँधकर रखें।
·सोते समय सर के पासकिसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में दाल दे,यह प्रयोग 43 दिन करे|
·इसकेसाथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक,सुंदरकांड कापाठ और ॐ रं राहवे नमः का 108 बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है |
राहु की शांति के लिए टोटके
·ऐसे व्यक्ति को अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।
·हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।
·अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है
·जमादार को तम्बाकू का दान करना चाहिए।
·यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रात:काल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।
·झुठी कसम नही खानी चाहिए।
·बन्दरों को बैंगन या फल खिलाये|
·गरीबो को कम्बल , साबुन , या नमक का दान करें|
·मंगलवार , शनिवार श्री हनुमान जी को छुवारे ( खारक ) का प्रसाद अर्पण करें और बच्चो में बाटें|
·श्री हनुमान जी को यथा संभव गुड़ ,चनें का भोग रविवार , मंगलवार , व शनिवार को लगावें|
·प्रत्येक रविवार को श्री हनुमान जी को 11 या 21 लोगं की माला पहनाए और बजरंग बाण का पाठ करे ।
·भगवान शिव को पिण्ड खजूर का प्रसाद अर्पण करें और बांटें ।
·बहतें पानी में कोयले बहायें ।
·ताम्र पात्र का ही जल पीयें । और संभव हो तो ताम्र गिलास में ही जल पिवें ।
विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें
राहु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहेटोटकों हेतु शनिवार का दिन, राहु के नक्षत्र (आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा) तथाशनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
क्या न करें—
ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार चन्द्रमा कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को
·दिन के संधिकाल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नही करना चाहिए।
·किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहे|
केतु – केतु
यह राहू की तरह ही छाया ग्रह है
केतु के अशुभ होने का कारण
भतीजे एवं भांजे का दिल दुखाने एवं उनकाहक छीनने पर केतु अशुभ फल देना है। कुत्ते को मारने एवं किसी के द्वारामरवाने पर, किसी भी मंदिर को तोड़ने अथवा ध्वजा नष्ट करने पर इसी के साथज्यादा कंजूसी करने पर केतु अशुभ फल देता है। किसी से धोखा करने व झूठीगवाही देने पर भी राहु-केतु अशुभ फल देते हैं। अत: मनुष्य को अपना जीवनव्यवस्िथत जीना चाहिए। किसी को कष्ट या छल-कपट द्वारा अपनी रोजी नहींचलानी चाहिए। किसी भी प्राणी को अपने अधीन नहीं समझना चाहिए जिससे ग्रहोंके अशुभ कष्ट सहना पड़े।
कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव में होने पर
चर्म रोग, मानसिकतनाव, आर्थिक नुक्सान,स्वयं को ले कर ग़लतफहमी,आपसी तालमेल में कमी, बातबात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलना, जोड़ों का रोग यामूत्र एवं किडनी संबंधी रोग हो जाता है।
संतानको पीड़ा होती है। वाहन दुर्घटना,उदर कस्ट, मस्तिस्क में पीड़ा आथवा दर्दरहना, अपयश की प्राप्ति,सम्बन्ध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहताहै, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है।
केतुदान (दिन -मंगलवार)
केतु कि शांति हेतु सातप्रकार के वैदूर्य,अनाज, काजल, झंडा, ऊनी कपड़ा, तिल आदि का दान करने सेशुभ फल कि प्राप्ति होती हैं
दान किसे और कब दें
दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।
·दान मंगलवार करें|
ये करें उपाय–
·दुर्गा, शिव व हनुमान की आराधना करे |
·तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे |
·कान छिदवाएँ।
·सोते समय सर के पास किसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ मेंदाल दे,यह प्रयोग 43 दिन करे |
·इसके साथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक,सुंदरकांड का पाठ और ॐ कें केतवे नमः का १०८बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है |
·अपने खाने में से कुत्ते,कौव्वे को हिस्सा दें।
·तिल व कपिला गाय दान में दें। पक्षिओं को बाजरा दे |
·चिटिओं के लिए भोजन की व्यस्था करना अति महत्व्यपूर्ण है |
केतूपारिवारिक उपाय:
यदि कुन्डली मे केतू अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे केतू अर्थातनाना या नाना तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहिये उनकी सेवा करनी चहियेउन्हें प्रसन्न रखना चहिये , यदि परिवार मे नाना या नाना तुल्य लोग आपसेसंन्तुष्ट रहेंगे तो केतू के अशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !
केतु की शांति के लिए टोटके
·भिखारी को दो रंग का कम्बलदान देना चाहिए।
·नारियल में मेवा भरकर भूमि में दबाना चाहिए।
·बकरी को हरा चारा खिलाना चाहिए।
·ऊँचाई से गिरते हुए जल में स्नान करना चाहिए।
·घर में दो रंग का पत्थर लगवाना चाहिए।
·चारपाई के नीचे कोई भारी पत्थर रखना चाहिए।
·किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल अपने घर में लाकर रखना चाहिए।
विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें
केतु केदुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, केतु केनक्षत्र (अश्विनी, मघा तथा मूल) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं
क्या न करें—
ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार चन्द्रमा कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को
·किसी कुत्ते को चोट न पहुचाये|
उपाय करने का नियम
उपरोक्त उपाय किसी योग व्यक्ति की सलाह में ही करें
कभीभी किसी भी उपाय को 43 दिन करना चहिये तब ही फल प्राप्ति संभव होती है।मंत्रो के जाप के लिए रुद्राक्ष की माला सबसे उचित मानी गई है | इन उपायोंका गोचरवश प्रयोग करके कुण्डली में अशुभ प्रभाव में स्थित ग्रहों को शुभप्रभाव में लाया जा सकता है। सम्बंधित ग्रह के देवता की आराधना और उनकेजाप, दान उनकी होरा, उनके नक्षत्र में अत्यधिक लाभप्रद होते है।