Wednesday, September 20, 2017

शाबर-मन्त्र-अनुभूत-प्रयोग

शाबर-मन्त्र-अनुभूत-प्रयोग
        हनुमान रक्षा-शाबर मन्त्र
“ॐ गर्जन्तां घोरन्तां, इतनी छिन
कहाँ लगाई ? साँझ क वेला, लौंग-सुपारी-पान-फूल-
इलायची-धूप-दीप-रोट॒लँगोट-फल-
फलाहार मो पै माँगै। अञ्जनी-पुत्र ‌प्रताप-रक्षा-क
ारण वेगि चलो। लोहे की गदा कील, चं चं
गटका चक कील, बावन भैरो कील,
मरी कील, मसान कील,
प्रेत-ब्रह्म-राक्षस कील, दानव कील,
नाग कील, साढ़ बारह ताप कील,
तिजारी कील, छल कील, छिद
कील, डाकनी कील,
साकनी कील, दुष्ट कील,
मुष्ट कील, तन कील, काल-
भैरो कील, मन्त्र कील, कामरु देश के
दोनों दरवाजा कील, बावन वीर
कील, चौंसठ जोगिनी कील,
मारते क हाथ कील, देखते क नयन
कील, बोलते क जिह्वा कील, स्वर्ग
कील, पाताल कील,
पृथ्वी कील, तारा कील,
कील बे कील,
नहीं तो अञ्जनी माई
की दोहाई फिरती रहे। जो करै वज्र
की घात, उलटे वज्र उसी पै परै। छात
फार के मरै। ॐ खं-खं-खं जं-जं-जं वं-वं-वं रं-रं-रं
लं-लं-लं टं-टं-टं मं-मं-मं। महा रुद्राय नमः।
अञ्जनी-पुत्राय नमः। हनुमताय नमः। वायु-पुत्राय
नमः। राम-दूताय नमः।”
विधिः- अत्यन्त लाभ-दायक अनुभूत मन्त्र है। १००० पाठ करने
से सिद्ध होता है। अधिक कष्ट हो,
तो हनुमानजी का फोटो टाँगकर, ध्यान लगाकर लाल
फूल और गुग्गूल की आहुति दें। लाल लँगोट, फल,
मिठाई, ५ लौंग, ५ इलायची, १
सुपारी चढ़ा कर पाठ करें।

            गोरख शाबर गायत्री मन्त्र
“ॐ गुरुजी, सत नमः आदेश।
गुरुजी को आदेश। ॐकारे शिव-
रुपी, मध्याह्ने हंस-रुपी,
सन्ध्यायां साधु-रुपी। हंस, परमहंस दो अक्षर। गुरु
तो गोरक्ष, काया तो गायत्री। ॐ ब्रह्म,
सोऽहं शक्ति, शून्य माता, अवगत पिता, विहंगम जात, अभय
पन्थ, सूक्ष्म-वेद, असंख्य शाखा, अनन्त प्रवर, निरञ्जन
गोत्र, त्रिकुटी क्षेत्र, जुगति जोग, जल-स्वरुप रुद्र-
वर्ण। सर्व-देव ध्यायते। आए श्री शम्भु-जति गुरु
गोरखनाथ। ॐ सोऽहं तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय
धीमहि तन्नो गोरक्षः प्रचोदयात्। ॐ
इतना गोरख-गायत्री-जाप सम्पूर्ण भया।
गंगा गोदावरी त्र्यम्बक-क्षेत्र कोलाञ्चल अनुपान
शिला पर सिद्धासन बैठ। नव-नाथ, चौरासी सिद्ध,
अनन्त-कोटि-सिद्ध-मध्ये श्री शम्भु-जति गुरु
गोरखनाथजी कथ पढ़, जप के सुनाया। सिद्धो गुरुवरो,
आदेश-आदेश।।”
साधन-विधि एवं प्रयोगः-
प्रतिदिन गोरखनाथ
जी की प्रतिमा का पंचोपचार से पूजनकर
२१, २७, ५१ या १०८ जप करें। नित्य जप से भगवान् गोरखनाथ
की कृपा मिलती है, जिससे साधक और
उसका परिवार सदा सुखी रहता है। बाधाएँ स्वतः दूर
हो जाती है। सुख-सम्पत्ति में
वृद्धि होती है और अन्त में परम पद प्राप्त
होता है।

              दुर्गा शाबर मन्त्र
“ॐ ह्रीं श्रीं चामुण्डा सिंह-
वाहिनी। बीस-
हस्ती भगवती, रत्न-मण्डित सोनन
की माल। उत्तर-पथ में आप बैठी, हाथ
सिद्ध वाचा ऋद्धि-सिद्धि। धन-धान्य देहि देहि, कुरु कुरु
स्वाहा।”
विधिः- उक्त मन्त्र का सवा लाख जप कर सिद्ध कर लें। फिर
आवश्यकतानुसार श्रद्धा से एक माला जप करने से
सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
लक्ष्मी प्राप्त होती है,
नौकरी में उन्नति और व्यवसाय में
वृद्धि होती है।
           
             लक्ष्मी शाबर मन्त्र
“विष्णु-प्रिया लक्ष्मी, शिव-
प्रिया सती से प्रकट हुई।
कामाक्षा भगवती आदि-शक्ति, युगल मूर्ति अपार,
दोनों की प्रीति अमर, जाने संसार। दुहाई
कामाक्षा की। आय बढ़ा व्यय घटा। दया कर माई।
ॐ नमः विष्णु-प्रियाय। ॐ नमः शिव-प्रियाय।
ॐ नमः कामाक्षाय।
ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट्
स्वाहा।”
विधिः- धूप-दीप-नैवेद्य से पूजा कर सवा लक्ष जप
करें। लक्ष्मी आगमन एवं चमत्कार प्रत्यक्ष दिखाई
देगा। रुके कार्य होंगे।
लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।

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