अस्ठ्म भाव
अस्ठ्म भाव जो हमारी आयु को मापता है यानी की मृत्यु का भाव है जो छुपे हुवे रहस्यों खजानों गुप्त शक्तियों अँधेरे का भाव होता है उस भाव में रौशनी का कारक ग्रह सूर्य कुछ सीमा तक कमजोर अवस्य हो जाता है | ऐसे में अस्ठ्म भाव वाले सूर्य के जातक को आंखों से सम्बन्धित समस्या का सामना करना पड़ता है लेकिन ये बात भी होती है की ऐसा जातक अँधेरे में भी किसी वस्तु का अन्य जातकों के मुकाबले सही अनुमान लगा लेता है याने अधेरे में किसी वस्तु को खोजना उसके लिय आसान होता है | इसी तरह ऐसे जातक जमीन में छुपे हुवे खजानों वस्तु भूगर्भ विज्ञान आदि में आसानी से सफल हो सकते है | सूर्य जो हमारी आत्मा का कारक माना जाता है ऐसे में इस भाव में शुभ सिथ्ती में यदि सूर्य अकेला हो तो ऐसे जातक के सामने किसी प्राणी की आत्मा उसका साथ नही छोडती इसिलिय ऐसा माना जाता है की यदि कोई गम्भीर संकट से गुजर रहा हो तो ऐसे जातक को उसके सामने से हट जाना चाहिए ताकि वो इस नश्वर संसार से मुक्ति पा सके | सूर्य यहाँ यदि शुभ फल देने वाला सिद्ध हो रहा ह तो जातक उजड़े हुवे मकानों को भी बसा देने वाला होता है | पथ्थर से आग और आग से पानी बना लेने की पैदा कर लेने की ताकत का मालिक होता है यानी की जातक को गुप्त शक्तियाँ भी मिल सकती है | ये मारक भाव होता है जहां बिच्छू का स्वरूप विर्स्चिक राशि आती है और इस बिच्छु से मौत के मौत के डंक से बचा लेने की सिफ्फ्त का मालिक यहाँ का सूर्य बन जाता है यानी की किसी मरते हुवे को भी बचा लेने की शक्ति का मालिक लेकिन साथ ही ये शर्त होती है की जातक ससुराल का कुता न बने यानी की घर जमाई न बने और अपने बड़े भाई की सेवा करे |
सूर्य शुभ होने की निशानी होगी की अंगूठे की सबसे निचली पोरी पर साखदार रेखा होगी और सूर्य का बुर्ज हाथ में उंचा होगा और सूर्य रेखा अच्छी हालत में हाथ में कायम कर लेगी |
अस्ठ्म भाव हमारे विवाह के भाव सप्तम से दूसरा होता है इसिलिय ऐसे जातकों को शादी के बाद धन लाभ मिलता है और उसकी आर्थिक सिथ्ती में सुधार होता है | वैसे समान्य तोर पर यहाँ के सूर्य का जातक की आर्थिक हालत पर शुभ प्रभाव नही पड़ता क्योंकि उसकी सप्तम दृष्टी दुसरे धन भाव पर होती है |
पुराने ज्योतिष ग्रंथो में अस्ठ्म भाव को विदेश यात्रा का भी माना जाता था इसिलिय इस भाव के सूर्य वाले जातक का विदेश से लाभ मिलने के योग प्रबल हो जाते है |
दुनियावी प्राप्ति के तोर पर यहाँ का सूर्य शुभ फल नही देता क्योंकि पूरी दुनिया को रौशनी देने वाला पते पते को हरा कर देने वाला सूर्य यहाँ खुद एक सूखे हुवे पेड़ की तरह हो जाता है ऐसे में जातक के जीवन में दुनियावी सुख की कंही न कंही कमी रह जाती है और वो उन्हें पूर्ण रूप से प्राप्त नही कर पाता|
ऐसा माना जाता है की सूर्य चन्द्र को अस्ठ्म का दोष नही लगता लेकिन ज्योतिष के सभी ग्रंथो में इनके अशुभ फल इन भावों में कुछ न कुछ अवस्य बताये है |
यहाँ सूर्य होने पर जातक अपनी सन्तान के प्रति कुछ न कुछ चिंतित अवस्य रहता है | सूर्य पर यदि पापी ग्रह शनी राहू की दृष्टी आ रही हो साथ ही कुंडली का चोथा भाव भी पीड़ित हो तो जातक को ह्दय रोग होने की सम्भवना बन जाती है |
सूर्य अस्ठ्म भाव वाले जातक को सफेद गाय की सेवा न करके काली या लाल गाय की सेवा करनी चाहिए | अस्ठ्म भाव सूर्य के लिय माना जाता है की जन्म चाहे वीराने में हो लेकिन गुरु की गद्दी पाने की सिफ्फ्त का मालिक होता है | किस्मत की हार बेशक चाहे न मिले लेकिन अपने हाथो से किस्मत की हार होगी यानि की ऐसा जातक यदि मांगकर खाने की आदत पाल ले या दुसरो के रहमों कर्म पर जीना सुरु कर दें , दूसरों से सहयता की उम्मीद रखे तो वो गरीबी के बोझ तले दब के मर जाता है यानी की गरीबी उसे उभरने ही नही देती | ऐसा जातक जब तक अपने खून के रिश्तेदारों से लड़ाई झगड़ा न करे उसे सूर्य उत्तम फल ही देगा |
यदि सूर्य अस्ठ्म के अशुभ फल मिल रहे हो तो सूर्य की कारक वस्तु गेहू को मन्दिर में 43 दिन लगातार दान करना चाहिए |
मित्रों ये आंशिक विवेचना है जैसा की आपको पता है की पूर्ण फल कुंडली में अन्य ग्रहों की सिथ्ती पर निर्भर करता है |
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