पंचक संज्ञक नक्षत्र
धनिष्ठा का उत्तरार्ध,शतभिषा,पूर्वाभाद्रपद,उत्तराभाद्रपद और रेवती ये पंचक संज्ञक नक्षत्र हैं |
क्या पंचक वास्तव में इतने अशुभ होते हैं कि इसमें कोई
भी कार्य करना अशुभ होता है?-
ऐसा बिल्कुल नहीं है। बहुत सारे विद्वान इन पंचक
संज्ञक नक्षत्रों को पूर्णत: अशुभ मानने से इन्कार करते हैं। कुछ
विद्वानों ने ही इन नक्षत्रों को अशुभ माना है इसलिए
पंचक में कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं।
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इन
नक्षत्रों में कोई भी कार्य करना अशुभ होता है। इन
नक्षत्रों में भी बहुत सारे कार्य सम्पन्न किए जाते हैं।
पंचक के इन पांच नक्षत्रों में से धनिष्ठा एवं शतभिषा नक्षत्र चर
संज्ञक नक्षत्र हैं अत: इसमें पर्यटन, मनोरंजन, मार्केटिंग एवं
वस्त्रभूषण खरीदना शुभ होता है। पूर्वाभाद्रपद उग्र
संज्ञक नक्षत्र है अत: इसमें वाद-विवाद और मुकदमे जैसे
कामों को करना अच्छा रहता है। जबकि उत्तरा-भाद्रपद ध्रुव
संज्ञक नक्षत्र है इसमें शिलान्यास, योगाभ्यास एवं
दीर्घकालीन योजनाओं को प्रारम्भ
किया जाता है। वहीं रेवती नक्षत्र मृदु
संज्ञक नक्षत्र है अत: इसमें गीत,
संगीत, अभिनय, टी.वी.
सीरियल का निर्माण एवं फैशन शो आयोजित किये जा सकते
हैं। इससे ये बात साफ हो जाती है कि पंचक
नक्षत्रों में सभी कार्य निषिद्ध नहीं होते।
किसी विद्वान से परमर्श करके पंचक काल में विवाह,
उपनयन, मुण्डन आदि संस्कार और गृह-निर्माण व गृहप्रवेश के
साथ-साथ व्यावसायिक एवं आर्थिक गतिविधियां भी संपन्न
की जा सकती हैं।
क्या पंचक के दौरान पूजा पाठ या धार्मिक क्रिया कलाप
नहीं करने चाहिए?-
बहुतायत में यह धारणा जगह बना चुकी है कि पंचक
के दौरान हवन-पूजन या फिर देव विसर्जन
नहीं करना चाहिए। जो कि गलत है शुभ कार्यों, खास तौर
पर देव पूजन में पंचक का विचार नहीं किया जाता। अत:
पंचक के दौरान पूजा पाठ या धार्मिक क्रिया कलाप किए जा सकते हैं।
शास्त्रों में पंचक के दौरान शुभ कार्य के लिए
कहीं भी निषेध का वर्णन
नहीं है। केवल कुछ विशेष
कार्यों को ही पंचक के दौरान न करने
की सलाह
विद्वानों द्वारा दी जाती है।
पंचक के दौरान कौन-कौन से काम नहीं करने चाहिए?
पंचक के दौरान मुख्य रूप से इन पांच कामों को वर्जित किया गया है-
[१] घनिष्ठा नक्षत्र में घास लकड़ी आदि ईंधन
इकट्ठा नही करना चाहिए इससे अग्नि का भय
रहता है।
[२] दक्षिण दिशा में यात्रा नही करनी चाहिए
क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई
है इन नक्षत्रों में दक्षिण
दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
[३] रेवती नक्षत्र में घर की छत डालना धन
हानि और क्लेश कराने वाला होता है।
[४] पंचक के दौरान चारपाई नही बनवाना चाहिए।
[५] पंचक के दौरान किसी शव का अंतिम संस्कार करने
की मनाही की गई है
क्योकि ऐसा माना जाता है कि पंचक में शव का अन्तिम संस्कार करने से
उस कुटुंब या गांव में पांच लोगों की मृत्यु
हो सकती है। अत: शांतिकर्म कराने के पश्चात
ही अंतिम संस्कार करने की सलाह
दी गई है।
यदि किसी काम को पंचक के कारण टालना मुमकिन न
हो तो उसके लिए क्या उपाय करना चाहिए?
आज का समय प्राचीन समय से बहुत अधिक भिन्न है
वर्तमान में समाज की गति बहुत तेज है इसलिए
आधुनिक युग में उपरोक्त कार्यो को पूर्ण रूप से रोक देना कई बार
असम्भव हो जाता है| परन्तु शास्त्रकारों ने शोध करके
ही उपरोक्त कार्यो को पंचक काल में न करने
की सलाह दी है| जिन पांच कामों को पंचक
के दौरान न करने की सलाह प्राचीन
ग्रन्थों में दी गयी है अगर उपरोक्त वर्जित
कार्य पंचक काल में करने की अनिवार्यता उपस्थित
हो जाये तो निम्नलिखित उपाय करके उन्हें सम्पन्न
किया जा सकता है।
[१] लकड़ी का समान
खरीदना जरूरी हो तो खरीद ले
किन्तु पंचक काल समाप्त होने पर गायत्री माता के नाम
पर हवन कराए, इससे पंचक दोष दूर हो जाता है|
[२] पंचक काल में अगर दक्षिण
दिशा की यात्रा करना अनिवार्य हो तो हनुमान मंदिर में फल
चढा कर यात्रा आरम्भ करनी चाहिए।
[३] मकान पर छत डलवाना अगर
जरूरी हो तो मजदूरों को मिठाई खिलने के पश्चात
ही छत डलवाने का कार्य करे|
[४] पंचक काल में अगर पलंग या चारपाई
लेना जरूरी हो तो उसे खरीद
या बनवा तो सकते हैं लेकिन पंचक काल की समाप्ति के
पश्चात ही इस पलंग या चारपाई का प्रयोग करना चाहिए|
[५] शव दाह एक आवश्यक काम है लेकिन पंचक काल होने पर
शव दाह करते समय पाँच अलग पुतले बनाकर उन्हें
भी अवश्य जलाएं|
इन उपायों को नियमानुसार करके आप पंचक के दुष्प्रभावों से बच सकते
हैं।