चंद्रमा:-ज्योतिष में चंद्रमा का नवग्रहों में सबसे अधिक महत्व है यह मुख रूप से जातक की मनोस्थिति को प्रभावित करता है।मन जो सम्पूर्ण कामनाओ का आधार, बंधन का कारक, सुख, दुःख आदि की अनुभूति करने वाला है।यही चंद्र जातक को प्रसन्नता देने वाला है।आपकी कुंडली में कितने भी राजयोग, अन्य शुभ योग क्यों न हो यदि चंद्रमा की स्थिति जातक की कुंडली में अनुकूल न हो तब किसी भी सुख का आनंद जातक ठीक से नही उठा पाता ओर न ही ऐसे व्यक्ति को मानसिक सुख की प्राप्ति होती है।जब चंद्र शनि, राहु केतु जैसे ग्रहो के प्रभाव में आकर दूषित हो जाता है तब जातक आजीवन मानसिक सुख से हीन रहता है।ऐसे जातको की मानसिक विचार भी अस्थिर होते है।चंद्र अमावस्या का हो राहु केतु के मध्य हो तब जातक किसी भी छोटी सी दुखदाई बात से तुरंत बेचैन हो जाता है।ऐसे व्यक्तियो के मन में भी अधिकर भय बना रहता है कही इनके साथ कुछ गलत न हो जाएं, कोई समस्या इनके सामने आ गई तब उसका निवारण कैसे होगा आदि ऐसी स्थितियों से कमजोर और पाप प्रभाव में चंद्र वाले जातक तुरंत घबरा जाते है।जिन जातको का चंद्र जब शुभ प्रभाव में होता है, पूर्णिमा का हो तब अति बली होने से शुभ प्रभाव दिखाता है।शुभ ग्रहो के साथ चंद्र की स्थिति मानसिक शांति जरूर देती है।जब चंद्र को गुरु का साथ मिल जाता है तब मन से सारे भ्रम, अंधकार, और शंकाएं मिट जाती है।जातक के पास कुछ हो या न हो, जीवन में कितनी भी समस्या क्यों न आएं बली चंद्र वाले जातक ऐसी प्रतिकूल स्थितियों में भी अपना मानसिक संतुलन और एकाग्रता दृढ़ता से बनाएं रखते है।किसी भी जातक की कुंडली में चंद्र का स्थान अद्वितीय होता है।चंद्र की स्थिति से कई प्रकार के शुभ योग बनते है, चंद्र की स्थिति से ही मुहूर्त, व्रत, त्यौहार आदि की गणना की जाती है।चंद्र 12वें भाव में पाप ग्रहो से दूषित हो तब ऐसे जातको को नींद बहुत कम आती है।ठीक तरह से नींद पूरी न होने के कारण, नींद कम आने से ऐसे जातक मानसिक तनाब से अधिक परेशान रहते है जिस कारण इनके कार्य भी अधिकर अस्त, व्यस्त रहते है।चंद्रमा का जातक की भावनाओ पर भी अधिकार होता है कमजोर चंद्र वाले जातक भावनाओ के अधीन शीघ्र हो जाते है जिससे कई बार बिना सोच विचारे कई तरह के ऐसे कार्य कर बैठते है जिससे बाद में इनको ही नुकशान उठाना पड़ता है।जिन जातको की कुंडली में चंद्रमा अनुकूल फल न दे रहा हो तो शिव आराधना करना शुभ होता है।पूर्णिमा की रात्रि में चंद्र को जल देकर चंद्र दर्शन करे, चंद्र मन्त्र का जप करना चंद्र को अनुकूल करता है।
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