अंक ज्योतिष- मूलांक 2
जिनका जन्म 2, 11, 20, 29 तारीख को हुआ है, उनका मूलांक 2 है। इस अंक का प्रतिनिधित्व चंद्रमा ग्रह करता है जो मन का भी स्वामी है। इस कारण इस मूलांक के व्यक्ति भावुक, संवेदनशील, चंचल और अनिश्चिय की स्थिति में रहने वाले होते हैं। इनके ऊपर आजीवन कार्याधिकता का बोझ पड़ा रहता है। इनमें मौलिक प्रतिभा, अनुभूति व समझ खूब होती है परन्तु भौतिक दृष्टि से ये पूर्ण सफल नहीं होते हैं। कोई विचार लम्बे समय तक इनके मस्तिष्क में नहीं रह सकता। वैचारिक परिवर्तन इनकी विशेषता है। जीवन में एक ही कार्य से संतुष्ट न रहकर ये बदल-बदल कर जीवन यापन के साधन अपनाते रहते हैं।
विवेचना- स्वामी ग्रह- चंद्रमा। विशेष प्रभावी- 20 जुलाई से 21 अगस्त के मध्य जन्म लेने वाले जातक। अत्यंत शुभ तिथियां- 2, 11, 20, 29। मध्यम फलदायी तिथियां- 4, 13, 22 31 एवं 3, 16, 25। सर्वोत्तम वर्ष- 2, 11, 20, 29, 38, 47, 56, 65। मध्यम वर्ष- 4, 13, 22, 31, 40, 49, 58, 67 एवं 7, 16, 25, 34, 43, 52, 61, 70। शुभ दिन- सोमवार, शुक्रवार, रविवार। सर्वोत्तम दिन- सोमवार। शुभ रंग- सफेद, कर्पूरी, धूप-छांव, अंगूरी तथा हल्का हरा रंग। अशुभ रंग- लाल, काला, नीला। शुभ रत्न- मोती, चंद्रकांता मणि, स्फटिक, दूधिया। प्रभावित अंग- फेफड़े, छाती, हृदय, वक्षस्थल, जिह्वा, तालु, रक्त संचार। रोग- हृदय और फेफड़े संबंधी, अपच, डिप्थीरिया, दार्इं आंख, निद्रा, अतिसार, जीभ पर छाले, रक्ताल्पता, गुर्दे संबंधी रोग, वीर्य दोष, मासिक धर्म में बाधा, जलोदर, आंत रोग, स्तन में गिल्टियां, कुंठा, उद्वेग। विवाह शुभता- 15 मई से 14 जून, 15 अक्टूबर से 14 नवम्बर, 15 फरवरी से 14 मार्च के मध्य उत्पन्न जातक से। शुभ मास- फरवरी, अप्रैल, जून, सितम्बर, नवम्बर। व्यवसाय- द्रव्य पदार्थ, तैतीय कार्य, पर्यटन, एजेंट, फल-फूल, दूध-दही, संपादन, लेखन, अभिनय, नृत्य, ठेकेदारी, चिकित्सा, रत्नों का व्यवसाय, दंत चिकित्सा, पशुपालन। शुभ दिशा- उत्तर, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम। अशुभ दिशा- दक्षिण-पूर्व, पश्चिम। दान पदार्थ- मोती, स्वर्ण, चांदी, कपूर, श्वेत वस्तु, पुस्तक, धार्मिक ग्रंथ, मिश्री, दूध, दही, श्वेत पुष्प, शंख, कागज व चीनी। देव- शिवजी
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