कुंडली का नवम भाव
जन्मकुंडली का नौवां घर सर्वाधिक शुभ घरों में गिना जाता है | इस घर का अपना विशेष महत्व है | मैंने जीवन में इस घर का प्रभाव स्वयं अनुभव करके देखा
है |अक्सर हम राजयोग के बारे में बात करते हैं | हर व्यक्ति की कुंडली में राजयोग और दरिद्र योग मिल जायेंगे | हर योग की कुछ समय अवधि रहती है | दो तीन साल से लेकर पांच छह साल तक ही ये योग प्रभावशाली रहते हैं | जिस राजयोग के विषय में मैं सोच रहां हूँ अलग है | नवम भाव से बनने वाला योग पूरे जीवन में प्रभाव कारी रहता है |
कुछ लोगों को आगे बढ़ने के अवसर ही नहीं मिल पाते और कुछ लोग अवसर मिलते ही बहुत दूर निकल जाते हैं | बदकिस्मती जो जीवन बदल दे इसी घर की देन होती है | खुशकिस्मती जो अगली पीढ़ियों के लिए भी रास्ता साफ़ कर दे नवम भाव का प्रबल होना दर्शाती है |
मनपसंद जीवनसाथी पाने की आस में पूरा जीवन गुजर जाता है उसके साथ जिसे कभी पसंद किया ही नहीं | जिन्दगी के साथ समझौता कर लेना या यह मान लेना कि यही नसीब था इन घटनाओं के लिए नवम भाव ही उत्तरदायी है |
आस लगाकर बैठे हजारों हजार लोग भाग्य के पीछे भागते रहते हैं और यह भी सच है कि इस दौड़ में हम सब हैं |
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हर कोई भाग्य की और देख रहा है | किस्मत का यह ताना बाना अपने आप में विचित्र है | भाग्य को समझ पाना आसान नहीं परन्तु जन्मकुंडली के द्वारा एक कोशिश की जा सकती है | तो आइये जानते हैं कैसे आपकी जन्मकुंडली का नवम भाव आपके जीवन को प्रभावित करता है |
*नवम भाव और राज योग*
नवम भाव किस्मत का है | यहाँ बैठे ग्रह आपके भाग्य को बहुत हद तक प्रभावित करते हैं | यदि यहाँ कोई भी ग्रह न हो तो भी यहाँ स्थित राशी के स्वामी को देखा जाता है | नवम भाव भाग्य का और दशम भाव कर्म का है | जब इन दोनों स्थानों के ग्रह आपस में किसी भी प्रकार का सम्बन्ध रखते हैं तब राजयोग की उत्पत्ति होती है | राजयोग में साधारण स्थिति में व्यक्ति सरकारी नौकरी प्राप्त करता है |
नवम और दशम भाव का आपस में जितना गहरा सम्बन्ध होगा उतना ही अधिक बड़ा राज व्यक्ति भोगेगा | मंत्री, राजनेता, अध्यक्ष आदि राजनीतिक व्यक्तियों की कुंडली में यह योग होना स्वाभाविक ही है |
*नवम भाव और दुर्भाग्य*
यदि नवम भाव का स्वामी ग्रह सूर्य के साथ १० डिग्री के बीच में हो तो निस्संदेह व्यक्ति भाग्यहीन होता है |
यदि नवमेश नीच राशी में हो तो व्यक्ति चाहे करोडपति क्यों न हो एक न एक दिन उसे सड़क पर आना पड़ ही जाता है |
यदि नवमेश १२वे भाव में हो तो व्यक्ति का भाग्य अपने देश में नहीं चमकता | विदेश में जाकर वहां कष्ट उठाकर जीना पड़ता है।
उसकी यही मेहनत उसके भाग्य का निर्माण करती है |
नवम भाव का स्वामी बलवान हो या निर्बल, उसकी दशा अन्तर्दशा में व्यक्ति को अवसर खूब मिलते हैं |
यदि नवमेश अच्छी स्थिति में होगा तो व्यक्ति अवसर का लाभ उठा पायेगा | अन्यथा अवसर पर अवसर ऐसे ही निकल जाते हैं जैसे मुट्ठी में से रेत |
पाप ग्रह इस स्थान में बैठकर भाग्य की हानि करते हैं और शुभ ग्रह मुसीबतों से बचाते हैं | इस स्थान पर बुध, शुक्र, चन्द्र और गुरु का होना व्यक्ति के उज्ज्वल भविष्य को दर्शाता है | मंगल, शनि, राहू और केतु इस स्थान में बैठकर व्यक्ति को दुर्भाग्य के अवसर प्रदान करते हैं | सूर्य का यहाँ होना निस्संदेह एक बहुत बड़ा राजयोग है | सूर्य स्वयं ग्रहों का राजा है और जब राजा ही भाग्य स्थान में बैठ जाए तो राजयोग स्पष्ट हो जाता है |
कोई भी ग्रह चाहे वह पाप ग्रह मंगल, शनि ही क्यों न हों, इस स्थान में यदि अपनी राशी में हो तो व्यक्ति बहुत भाग्यशाली हो जाता है |
पाप ग्रहों से अंतर केवल इतना पड़ता है कि उसके अशुभ कर्मों में भाग्य उसका साथ देता है |
*दुर्भाग्य को नष्ट करने के उपाय*
चाहे आपको ज्योतिष का ज्ञान हो या न हो, अपने भाग्य की स्थिति का ज्ञान तो हर व्यक्ति को होता है |
अब यदि दुर्भाग्य पीछा न छोड़ रहा हो तो क्या ऐसा करें कि दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाए |
यह संभव है क्योंकि नवम भाव का स्वामी मारक नहीं होता इसलिए उसका रत्न अधिकतर फायदा ही देता है |
नवम भाव के उपाय हमेशा काम करते हैं | यदि नवमेश का गहराई से अध्ययन करके उसके बलाबल का पता लगाया जाये तो आसान से उपायों से सौभाग्य को आमंत्रित किया जा सकता है |
नवम भाव धर्म का भाव है | धर्म कर्म में व्यक्ति की रूचि तभी होगी जब यह स्थान शुभ ग्रहों से विभूषित होगा | यदि यहाँ पाप ग्रहों का साया हो तो व्यक्ति नास्तिक होता है |
बुद्धिजीवी होने के फायदे हों न हों परन्तु धर्म कर्म के प्रभाव को समझना बुद्धिजीवियों के वश की बात नहीं | इसीलिए वे प्रकृति के इस वरदान से वंचित रह जाते हैं |
धर्म के रास्ते में चमत्कार अक्सर देखे सुने जाते रहे हैं परन्तु धर्म में रूचि ही नहीं होगी तो क्या लाभ |
मैं बात कर रहा हूँ उन मन्त्रों की जो व्यक्ति के दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने की क्षमता रखते हैं |
नीचे लिखे मन्त्र से आप भी अपने दुर्भाग्य को नष्ट करके उन्नति के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं |
*देहि में सौभाग्यमारोग्यं देहि में परम सुखं*
*धनं देहि, रूपम देहि यशो देहि द्विषो जहि*
उपरोक्त मन्त्र से केवल २१ दिन के भीतर आप अपने भीतर एक ऊर्जा को अनुभव करने लगेंगे |
यदि इस मन्त्र को गुरु के मुख से लिया जाए तो और भी कम समय में अधिक फल प्राप्त होता है |
केवल इस एक मन्त्र में धन, रूप और ऐश्वर्य प्रदान करने की क्षमता है |
दुर्भाग्य में क्षण सौभाग्य में बदल जाते हैं | केवल उच्चारण सटीक व् सौम्य होना आवश्यक है