Saturday, July 29, 2017

चौथे भाव

हम अपनी कुन्डली के चौथे भाव को देखते है,चौथा भाव हमारी माता के बारे मेंपूरी स्थिति देता है,माता की पूरी जिन्दगी के बारे में चौथा भाव ही महत्ता रखता है
चौथे से दूसरा भाव, पांचवां माता के धन को प्रदर्शित करता है,छठा भाव माता के छोटे भाई बहिनो के बारे में और माता के द्वारा बोल चाल के शब्द, माता के द्वारा खुद को प्रदर्शित करने के बारे में ज्ञान देता है,यह भाव तब और महत्व पूर्ण हो जाता है,जब किसी वर की कुन्डली देखी जाती है,कारण वधू के साथ उसकी सास किस प्रकार से अपने को प्रदर्शित करेगी,सातवां भाव माता की जायदाद से समझा जाता है,और इसी कारण से सास बहू को अपनी परसनल जायदाद समझती है,क्योंकि माता का चौथा भाव कुन्डली का सातवां भाव होता है,साथ ही माता का पत्नी पर हावी रहने वाला प्रभाव
भी इसी बात पर निर्भर रहता है,कि जिस प्रकार से कोई
अपनी गाडी को संभाल कर सजा कर समाज के सामने प्रदर्शित करना चाहता है,और अपने प्रकार से उस पर सवारी करने की इच्छा रखता है,उसी प्रकार से माता अपनी बहू को सजा संवार कर और अपने प्रकार से उसे चलाने की कोशिश करती है,बहू अगर गाडी की तरह से भार उठाने के काबिल है तो जीवन की गाडी सही चलती है,वरना रास्ते में ही खडी रह जाती है,.आठवें भाव से माता की बुद्धिमत्ता को देखा जाता है,कि वह
कितनी बुद्धिमान है कितनी शिक्षित है,और जीवन में परिवार को किस प्रकार से साथ लेकर चल सकती है,या नही.नवां भाव माता के प्रति उसकी बीमारी कर्जा और दुश्मनी को प्रदर्शित करता है,दसवां भाव माता और पिता के सम्बन्धों के बारें मे अपना प्रभाव बताता है,ग्यारहवां भाव माता की चिन्तायें और माता को अपमान देनेवाले,माता की जान के लिये जोखिम देने वाले,और माता को मृत्यु देने वाले कारकों के प्रति अपनी क्रियात्मक शैली को प्रकाशित करता है,बारहवां भाव माता के द्वारा धर्म कार्यों और भाग्य के लिये किये जाने खर्चे और यात्राओं के बारे में अपनी राय देता है,पहला भाव माता अपने पुत्र या पुत्री से किस प्रकार के कैरियर की आकांक्षा रखती है,उसका पूरा विवरण
बताता है,दूसरा भाव माता के साथ उसकी इच्छानुसार
उसके मित्रों के बारे में अपना प्रकाश डालता है,कुन्डली का तीसरा भाव माता के द्वारा दान के निमित्त खर्च करने और माता के अन्तिम समय का विवरण देता है,इस प्रकार से चौथा भाव माता के बारे में पूर्णत: प्रकाश देता है.

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