Saturday, December 3, 2016

कैसे पढें कुंडली के रहस्य -

कैसे पढें कुंडली के रहस्य -
ज्योतिष से जीवन के रहस्य खोलने के लिए जन्म समय के अनुसार कुण्डली बनाना जरूरी होता है,अक्सर कुंडली बनाने के बाद उसके अन्दर भावो के अनुसार ग्रहों का विवेचन कैसे किया जाता है इस बात पर लोग अपने अपने ज्ञान के अनुसार कथन करते है,कई बार तो मैंने देखा है की कुंडली देखते ही कहना शुरू कर देते है की यह बात है इस बात का होना यह बात हुयी है लेकिन जो कुंडली को पूंछने के लिए आया है वह अपनी बात को कह ही नहीं पाया और तब तक दूसरे का नंबर आ गया,अपनी कुंडली को अपने आप जब तक पढ़ना नहीं आयेगा तब तक जीवन के भेद आप अपने लिए नहीं खोल पायेंगे,हर व्यक्ति के लिए तीन बाते जरूरी है की वह अपने समय को पहिचानना सीखे उसके बाद अपनी बात को दूसरे को समझना सीखे और तीसरी बात है की जब दुःख या कष्ट का समय है बीमारी है तो उसका अपने आप ही इलाज करना सीखे.समय को सीखना ज्योतिष कहलाता है और अपनी बात को समझाने की कला को मास्टर के रूप में जाना जाता है तीसरी बात जीवन के अन्दर आने वाली बीमारियों को दूर करने के लिए वैद्य का होना भी जरूरी है,बाकी के काम जो जीवन में अपने लिए जरूरी है वे केवल कमाने खाने के लिए और लोगो के साथ रहने तथा आगे की संतति को चलाने से ही जुड़े होते है.ज्योतिष के अनुसार जब भेद खोले जा सकते है तो क्यों न भेद को खोल कर अपने हित के लिए देखा जाए और जो दिक्कत आने वाली है उसका निराकारण खुद के द्वारा ही कर लिया जाए तो कितना अच्छा होगा.आज कल कुंडली बनाने के लिए ख़ास मेहनत नहीं करनी पड़ती है कुंडली को बनाने के लिए बहुत से सोफ्ट वेयर आ गए उनके द्वारा अपनी जन्म तारीख और समय तथा स्थान के नाम से आप अपनी कुंडली को आसानी से बना सकते है.
उपरोक्त कुंडली में नंबर लिखे हुए और भावो के नाम लिखे है तथा ग्रहों के नाम लिखे हुए है.नंबर राशि से सम्बंधित है जैसे लगन जिस समय जातक का जन्म हुआ था उस समय तीन नंबर की राशि आसमान में स्थान ग्रहण किये हुए थी,एक नंबर पर मेष दूसरे नंबर की वृष तीसरे नंबर की मिथुन चौथे पर कर्क पांचवे पर सिंह छठे नंबर की कन्या सातवे नंबर की तुला आठवे की वृश्चिक नवे की धनु दसवे की मकर ग्यारहवे की कुम्भ और बारहवे नंबर की राशि मीन होती है.इसी प्रकार कसे लगन जो पहले नंबर का भाव होता है उसके अन्दर जो राशि स्थापित होती है वह लगन की राशि कहलाती है जैसे उपरोक्त कुंडली में तीन नंबर की मिथुन राशि स्थापित है.इससे बाएं तरफ देखते है चार नंबर लिखा है,इसी क्रम से भावो का रूप बना हुया होता है.पहले भाव को शरीर से दुसरे को धन से तीसरे को हिम्मत और छोटे भाई बहिनों से चौथे नंबर को माता मन मकान और सुख से पांचवे को संतान शिक्षा और परिवार से छठे भाव को दुश्मनी कर्जा बीमारी से सातवे नंबर के भाव को जीवन साथी पति या पत्नी के लिए आठवे भाव को अपमान मृत्यु जान जोखिम नवे को भाग्य और धर्म न्याय विदेश दसवे को कर्म और धन के लिए किये जाने वाले प्रयास ग्यारहवे को लाभ और बड़े भाई बहिन दोस्त के लिए बारहवे को खर्च और आराम करने वाले स्थान के नाम से जाना जाता है.
ग्रह तीन प्रकार के होते है एक अच्छे दुसरे खराब और तीसरे अच्छे के साथ अच्छे और खराब के साथ खराब.खराब ग्रहों में सूर्य मंगल शनि राहू केतु को माना जाता है अच्छे ग्रहों में चन्द्र बुध शुक्र और गुरु को माना जाता है लेकिन बुध और चन्द्रमा के बारे में माना जाता है की बुध जिस ग्रह के साथ होता है और अधिक नजदीक होने पर वह उसी ग्रह के अनुसार अपने काम करने लगता है तथा चन्द्रमा के बारे में कहा जाता है की वह शुक्र पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक बहुत अच्छा होता है तथा कृष्ण पक्ष की अष्टमी से अमावस्या तक बहुत खराब होता है बीच के समय में सामान्य अच्छा या बुरा फल देने वाला होता है.
कुंडली को पढ़ने के लिए सबसे पहले तीन बाते ध्यान में रखनी पड़ती है पहली तो ग्रह का स्थान दूसरा ग्रह के द्वारा कहाँ से प्रभाव लिया जा रहा है तीसरा ग्रह किस ग्रह के साथ बैठ कर क्या फल ग्रहण कर रहा है.इसके अलावा जो पांच बाते इसी के अन्दर आती है उनके अन्दर कुंडली में धन कहा है,कुंडली में खराब स्थान कहाँ है कुंडली में राज योग कहा है,कुंडली में ग्रह एक दूसरे को कहाँ एक दूसरे के बल को ग्रहण कर रहे है,और आखिर में देखा जाता है की कुंडली के अन्दर विशेषता क्या है?

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