अगर आपकी कुंडली मे सूर्य शनि एवम् गुरु की युति पाई जाती है तो यह जातक के लिए एक blessed योग है।
अर्थात जातक को अच्छे कर्मो का फल इस जन्म मे मिलेगा।
पूर्व जन्म मे किये गए अच्छे कर्मो के द्वारा लोगो ने आशीर्वाद दिए होंगे।
परन्तु वे अच्छे कर्म पिता पुत्र मे आपसी अन बन का भी कारण बने होंगे।
अत इस योग के फल वृद्धि के लिए निम्न उपाय है।
रामेश्वरम पूजा
कन्या कुमारी दर्शन
बृंनेस्वरी (brunneswri)
विनायक पूजा
नव ग्रह पूजा ।
ज्योतिषीय कारण।।
सूर्य - विष्णु। शनी - शिव ।गुरु -ब्राह्मण।
हिन्दू mythology मे ये तीनो एक साथ रामेश्वरम स्थापना पर एकत्र हुए।
अर्थात राम रूपी विष्णु ने शिव रूपी शिव लिंग की स्थापना की। ओर रावण को गुरु रूपी ब्राह्मण की तरह पूजा पधिति पूर्ण करने के लिए निमंत्रण दिया।
इस लिए रामेश्वरंम मंदिर पर पूजा पाठ मन्त्र जाप आदि से फायदा होता है।
बिनायक जी को भी गुरु का स्थान प्राप्त है। इसलिये विनायक की भी पूजा भी उत्तम फल देती है।
राम द्वारा रामेश्वरम पूजा के दर्शन हेतु सभी ग्रह उपस्थित हुए अत उनकी भी पूजा से भी वही फल मिलता है। देवी बृहनेस्वरी के बारे मे मुझे पूर्ण जानकारी नही है।अत मे बताने मे असमर्थ हूँ । परन्तु स्त्री ग्रह से दृस्ट इस योग मे ब्रिहनेस्वरी की पूजा की जाती हो। एवम् नाड़ी ग्रंथ मे देवी बृहनेस्वरी का वर्णन मिला है। बाकी व्याख्या मेरी है।
यहा सूर्य शनि के संभंध के कारण कुछ ज्योतिषी पित्र दोष कहेंगे । जो है भी। क्योकि राम को बनवास पितृ के कारण हुआ था। अत उसका भी यही उपाय है। परन्तु शनि ओर सूर्य के साथ गुरु न हो तो पित्र दोष के अन्य उपाय करने होंगे।
(नोट-उपाय ऋषियो द्वारा बताये उपाय है।)
नॉर्थ इंडिया मे बृहनेवश्री को भुवनेस्वरी बोला जाता है। जो पार्वती जी का रूप है। 10 म्हा विद्याओं मे से 4थी की अधिधसत्री है।
मै यहाँ एक बात बताना छोड़ गयी थी
देखिये आप काल पुरुष कुन्डली ले। सूर्य पंचमेश। गुरु नव मेष। एवम् मोक्ष मेष। शनि रजेशय एव कर्मेश
अत यह नैसर्गिक जीव धर्म कर्म योग है। धर्मा कर्मा जीवात्मा योग कहते है। सूर्य आत्मा गुरु जीव।
Monday, January 2, 2017
blessed योग
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SWAMI. 9375873519
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